13वीं - 14वीं - 15वीं रजब आमाल
रजब की 13वीं, 14वीं और 15वीं तारीख़ को रोज़ा रखना बहुत ज़्यादा पसंदीदा (मुस्तहब) है।
नीचे दी गई रिवायत मेरे दादा अबी जाफ़र अत-तूसी तक सनद के साथ पहुँची है, जो इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.) से नक़्ल करते हैं: “जो शख़्स रजब की तेरहवीं, चौदहवीं और पंद्रहवीं तारीख़ को रोज़ा रखे, अल्लाह उसके लिए पूरे एक साल के रोज़ों और रात की इबादत का सवाब लिख देता है, और क़यामत के दिन उसे अमन वालों के मक़ाम पर खड़ा करेगा।”
हर दिन ग़ुस्ल करें और अल्लाह की राह में सदक़ा दें।
13 रजब — इमाम अली (अ.) की विलादत - | ज़ियारत अमीनुल्लाह
पढ़ें दुआ सद सुब्हान
“अय्यामे बैज़” की रातें
मुहम्मद बिन अली अत-तराज़ी ने अपनी किताब में सनद के साथ अबुल हुसैन अहमद बिन अहमद बिन सईद अल-कातिब (रह.) से रिवायत की है। अबुल अब्बास अहमद बिन मुहम्मद बिन सईद बयान करते हैं कि मुहम्मद बिन अली अल-क़ल्यानी ने कहा कि उन्होंने अपने दादा को कहते सुना कि अहमद बिन अबील ऐफ़ा ने जाफ़र बिन मुहम्मद (अ.) से रिवायत की, जिन्होंने फ़रमाया: “अल्लाह ने इस उम्मत को तीन महीने अता किए हैं जो किसी और उम्मत को नहीं दिए — रजब, शाबान और रमज़ान।
और अल्लाह ने उन्हें तीन रातें भी अता की हैं जो किसी और को नहीं दीं।
ये हर महीने की तेरहवीं, चौदहवीं और पंद्रहवीं रातें हैं।
अल्लाह ने इस उम्मत को तीन सूरतें भी अता की हैं जो किसी और को नहीं दीं।
ये सूरतें हैं: या-सीन, तबारकुल-मुल्क और क़ुल हुवल्लाहु अहद
ये तीनों चीज़ें मिलकर उस अज़ीम नेमत को बनाती हैं जो इस उम्मत को अता की गई।” उनसे पूछा गया: “ये तीनों कैसे जमा होंगी?” इमाम (अ.) ने फ़रमाया: “इन तीन महीनों में इन तीन रातों में नीचे बताई गई नमाज़ पढ़ो।
फिर तुम इन तीन महीनों की फ़ज़ीलत से फ़ायदा उठाओगे और अल्लाह तुम्हारे तमाम गुनाह माफ़ कर देगा सिवाए उसके कि तुम उसके साथ किसी को शरीक ठहराओ।”
तीन रातों में 12 रकअत नमाज़ (हर बार 2 रकअत) इस तरह पढ़ें:
“13वीं रात को 2 रकअत पढ़ें,
14वीं रात को 4 रकअत पढ़ें, और
15वीं रात को 6 रकअत पढ़ें:
हर रकअत में सूरह फ़ातिहा, सूरह यासीन, सूरह मुल्क और सूरह इख़लास पढ़ें।
रजब 15वीं शब व दिन के आमाल – यहाँ क्लिक करें
15 रजब के दिन आमाले उम्मे दाऊद अदा किए जाते हैं15 रजब — सैय्यदा ज़ैनब (अ.) की वफ़ात की बरसी, जो इमाम अली (अ.) की बेटी थीं।
