अ'माल और दुआ-ए-उम्मे दाऊद
15 रजब के अमाल में अदा किया जाता है
मुक्तसर और तफ़सीली तरीक़ा
अहमियत

मुख़्तसर तरीक़ा:
अगर किसी को ये सूरतें याद न हों या तमाम सूरतें पढ़ने की क़ुदरत न रखता हो, तो वह नीचे लिखा हुआ पढ़े
तस्बीहात-ए-अरबा’ 100 मर्तबा; अल-हम्द 100 मर्तबा, सूरह तौहीद 100 मर्तबा, आयतुल कुर्सी 10 मर्तबा। सलवात 100 मर्तबा।
फिर बहुत सी सूरतों की जगह सूरह तौहीद 1000 मर्तबा दोबारा पढ़े। हवाला/रिफरेन्स
शैख़ मुफ़ीद ने भी इसी तरह का तरीक़ा बयान किया है। सय्यद ताऊस ने किताब ‘इक़बाल-ए-अ’माल’ में (सफ़र की हालत में) तमाम सूरतों की जगह सूरह तौहीद 100 मर्तबा पढ़ने का ज़िक्र किया है।
आम तरीक़ा
13, 14 और 15 रजब के रोज़े रखें
15 रजब को फ़र्ज़ ज़ुहर-आस्र की नमाज़ अदा करने के बाद क़िब्ला रुख़ होकर नीचे दी गई तालिका के मुताबिक़ सूरतें बार-बार पढ़ें:

सूरह नंबर दफ़आत की तादाद आडियो
अल-हम्द 1 100
इख़लास 112 100
आयतुल कुर्सी 2:255-257 10
अनआम 6 1
बनी इसराईल 17 1
कहफ़ 18 1
लुक़मान 31 1
यासीन 36 1
वस्साफ़्फ़ात 37 1
हा मीम सज्दा 41 1
शूरा 42 1
दुख़ान 44 1
फ़तह 48 1
वाक़िआ 56 1
मुल्क 67 1
अल-क़लम 68 1
इन्शिक़ाक़ 84 1
अल-बुरूज से अन-नास 85 to 114 1 क्लिक

इसके बाद अगली टैब में दुआ-ए-उम्मे दाऊद पढ़ें





तमाम सूरहें पढ़ने के बाद, क़िब्ला रुख़ ही रहते हुए, नीचे दी गई दुआ पढ़ें
صَدَقَ ٱللَّهُ ٱلْعَظِيمُ
सदक़ अल्लाहुल अज़ीम
अल्लाह तआला की बात बिल्कुल सच्ची है, जो बहुत अज़ीम है।

ٱلَّذِي لاَ إِلٰهَ إِلاَّ هُوَ
अल्लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा
जिसके सिवा कोई माबूद नहीं,

ٱلْحَيُّ ٱلْقَيُّومُ
अल-हय्यु अल-क़य्यूम
जो हमेशा ज़िन्दा, और सबको थामे रखने वाला है,

ذُو ٱلْجَلالِ وَٱلإِكْرَامِ
ज़ुल-जलालि वल-इकराम
जलाल और इज़्ज़त वाला,

ٱلرَّحْمٰنُ ٱلرَّحِيمُ
अर-रहमानुर रहीम
बहुत मेहरबान, बहुत रहम करने वाला,

ٱلْحَلِيمُ ٱلْكَرِيمُ
अल-हलीमुल करीम
हिल्म वाला, बहुत करीम (सख़ी) है।

ٱلَّذِي لَيْسَ كَمِثْلِهِ شَيْءٌ
अल्लज़ी लैसा कमिस्लिही शै'उन
उसके जैसा कोई नहीं,

وَهُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ
वहुवा अस्समीउल अलीम
और वही सब सुनने वाला, सब जानने वाला है,

ٱلْبَصِيرُ ٱلْخَبِيرُ
अल-बसीरुल ख़बीर
सब देखने वाला, पूरी तरह ख़बर रखने वाला है।

شَهِدَ ٱللَّهُ انَّهُ لاَ إِلٰهَ إِلاَّ هُوَ
शहिद अल्लाहु अन्नहु ला इलाहा इल्ला हुवा
अल्लाह गवाही देता है कि उसके सिवा कोई माबूद नहीं,

وَٱلْمَلائِكَةُ وَاوْلُو ٱلْعِلْمِ
वल-मलाइका व उूलुल इल्म
और फ़रिश्ते तथा इल्म वाले भी (यही गवाही देते हैं),

قَائِماً بِٱلْقِسْطِ
क़ाइमन बिल-क़िस्त
वह इंसाफ़ के साथ क़ायम है (कायनात को अद्ल से चलाता है)।

لاَ إِلٰهَ إِلاَّ هُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ
ला इलाहा इल्ला हुवा अल-अज़ीज़ुल हकीम
उसके सिवा कोई माबूद नहीं, वही ग़ालिब (अज़ीज़), हिकमत वाला (हकीम) है।

وَبَلَّغَتْ رُسُلُهُ ٱلْكِرَامُ
व बल्लग़त रुसुलुहुल किराम
और उसके बुज़ुर्ग रसूलों ने पैग़ाम पहुँचा दिया।

وَانَا عَلَىٰ ذٰلِكَ مِنَ ٱلشَّاهِدِينَ
व अना अला ज़ालिका मिनश्शाहिदीन
और मैं इस पर गवाही देने वालों में से हूँ।

اللَّهُمَّ لَكَ ٱلْحَمْدُ
अल्लाहुम्मा लका अल्हम्दु
ऐ अल्लाह! तमाम हम्द तेरे ही लिए है,

وَلَكَ ٱلْمَجْدُ
व लका अल्मज्दु
और तमाम शान तेरे ही लिए है,

وَلَكَ ٱلْعِزُّ
व लका अल्-इज़्ज़ु
और इज़्ज़त तेरे ही लिए है,

وَلَكَ ٱلْفَخْرُ
व लका अल्फख्रु
और फख्र तेरे ही लिए है,

وَلَكَ ٱلْقَهْرُ
व लका अल्क़ह्रु
और क़हर (ग़लबा/हुकूमत) तेरा ही है,

ولَكَ ٱلنِّعْمَةُ
व लका अन्नि‘मतु
और नेअमतें तेरी ही हैं,

وَلَكَ ٱلْعَظَمَةُ
व लका अल्-अज़मतु
और अज़मत तेरे ही लिए है,

وَلَكَ ٱلرَّحْمَةُ
व लका अर्रहमतु
और रहमत तेरी ही है,

وَلَكَ ٱلْمَهَابَةُ
व लका अल्महाबतु
और हैबत (रौब/जलाल) तेरी ही है,

وَلَكَ ٱلسُّلْطَانُ
व लका अस्सुल्तानु
और सुल्तानत (इख़्तियार) तेरी ही है,

وَلَكَ ٱلْبَهَاءُ
व लका अल्बहाउ
और बहा (ख़ूबसूरती/रौनक़) तेरी ही है,

وَلَكَ ٱلاِمْتِنَانُ
व लका अल-इम्तिनानु
और एहसान/इम्तिनान तेरा ही है,

وَلَكَ ٱلتَّسْبِيحُ
व लका अत्तस्बीहू
और तस्बीह तेरे ही लिए है,

وَلَكَ ٱلتَّقْدِيسُ
व लका अत्तक़्दीसु
और तक़्दीस (पाकीज़गी बयान करना) तेरे ही लिए है,

وَلَكَ ٱلتَّهْلِيلُ
व लका अत्तहलीलु
और तहलील (ला इलाहा इल्लल्लाह कहना) तेरे ही लिए है,

وَلَكَ ٱلتَّكْبِيرُ
व लका अत्तक्बीरु
और तक्बीर (अल्लाहु अकबर कहना) तेरे ही लिए है,

وَلَكَ مَا يُرَىٰ
व लका मा युरा
और तेरे ही लिए है जो दिखाई देता है,

وَلَكَ مَا لاَ يُرَىٰ
व लका मा ला युरा
और तेरे ही लिए है जो दिखाई नहीं देता,

وَلَكَ مَا فَوْقَ ٱلسَّمَاوَاتِ ٱلْعُلَىٰ
व लका मा फौक़ अस्समावातिल्-उला
और तेरे ही लिए है जो ऊँचे आसमानों के ऊपर है,

وَلَكَ مَا تَحْتَ ٱلثَّرَىٰ
व लका मा तह्त अथ्थरा
और तेरे ही लिए है जो थरा (ज़मीन की तह) के नीचे है,

وَلَكَ ٱلارَضُونَ ٱلسُّفْلَىٰ
व लका अल-अरज़ूना अस्सुफ़ला
और तेरे ही लिए हैं नीचे के आलम/ज़मीनें,

وَلَكَ ٱلآخِرَةُ وَٱلاولَىٰ
व लका अल-आख़िरतु वल-ऊला
और तेरे ही लिए है आख़िरत और ऊला (पहला),

وَلَكَ مَا تَرْضَىٰ بِهِ مِنَ ٱلثَّنَاءِ وَٱلْحَمْدِ
व लका मा तरज़ा बिहि मिनस्सनाआइ वल्हम्दि
और तेरे ही लिए है वह सना और हम्द जो तुझे पसंद है,

وَٱلشُّكْرِ وَٱلنَّعْمَاءِ
वश्शुक्रि वन्नि’माइ
और शुक्र और नेअमतें, जितना तुझे रज़ा हो।

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ جَبْرَئِيلَ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला जब्राईल
ऐ अल्लाह! जिब्रईल पर रहमत (दरूद) नाज़िल फ़रमा,

امِينِكَ عَلَىٰ وَحْيِكَ
अमीनिका अला वह्यिका
जो तेरी वह्य पर अमीन है,

وَٱلْقَوِيِّ عَلَىٰ امْرِكَ
वल्क़विय्यि अला अम्रिका
और तेरे हुक्म को पहुँचाने में क़वी है,

وَٱلْمُطَاعِ فِي سَمَاوَاتِكَ وَمَحَالِّ كَرَامَاتِكَ
वल्मुताअि फी समावातिका व महाल्लि करामातिका
जो तेरे आसमानों में और तेरी करामतों की जगहों में इताअत किया जाता है,

ٱلْمُتَحَمِّلِ لِكَلِمَاتِكَ
अल्मुतहम्मिलि लिकलीमातिका
तेरे कलिमात का उठाने वाला,

ٱلنَّاصِرِ لانْبِيَائِكَ
अन्नासिरि लिअम्बियाइका
तेरे अंबिया का मददगार,

ٱلْمُدَمِّرِ لاعْدَائِكَ
अल्मुदम्मिरि लिअ’दाइका
और तेरे दुश्मनों को हलाक करने वाला।

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مِيكَائِيلَ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मीका’ईल
ऐ अल्लाह! मीकाईल पर रहमत (दरूद) नाज़िल फ़रमा,

مَلَكِ رَحْمَتِكَ
मलकि रहमतिका
तेरी रहमत का फ़रिश्ता,

وَٱلْمَخْلُوقِ لِرَافَتِكَ
वल्मख़्लूक़ि लिरा’फतिका
और तेरी शफ़क़त/मेहरबानी के लिए पैदा किया गया,

وَٱلْمُسْتَغْفِرِ ٱلْمُعِينِ لاهْلِ طَاعَتِكَ
वल्मुस्तग़्फिरि अल्मु’ईनि लिअह्लि ताअतिका
और इस्तिग़फार करने वाला, तेरी इताअत करने वालों की मदद करने वाला।

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ إِسْرَافِيلَ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला इस्राफ़ील
ऐ अल्लाह! इस्राफ़ील पर रहमत (दरूद) नाज़िल फ़रमा,

حَامِلِ عَرْشِكَ
हामिलि अर्शिका
तेरे अर्श का उठाने वाला,

وَصَاحِبِ ٱلصُّوْرِ
व साहिबि अस्सूरि
और सूर (नफ़्ख़ा) का मालिक/ज़िम्मेदार,

ٱلْمُنْتَظِرِ لامْرِكَ
अल्मुन्तज़िरि लिअम्रिका
तेरे हुक्म का मुन्तज़िर,

ٱلْوَجِلِ ٱلْمُشْفِقِ مِنْ خِيفَتِكَ
अल्वजिलि अल्मुश्फ़िक़ि मिन ख़ीफ़तिका
और तुझसे डर की वजह से खौफ़ज़दा और मुश्फ़िक़।

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ حَمَلَةِ ٱلْعَرْشِ ٱلطَّاهِرِينَ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला हमलतिल्-अर्शि अत्ताहिरीन
ऐ अल्लाह! अर्श उठाने वाले पाक फ़रिश्तों पर रहमत (दरूद) नाज़िल फ़रमा,

وَعَلَىٰ ٱلسَّفَرَةِ ٱلْكِرَامِ
व अला अस्सफरतिल्-किराम
और सफ़रा-ए-किराम पर,

ٱلْبَرَرَةِ ٱلطَّيِّبِينَ
अल्बररतिट्टय्यिबीन
जो नेक और पाकीज़ा हैं,

وَعَلَىٰ مَلائِكَتِكَ ٱلْكِرَامِ ٱلْكَاتِبِينَ
व अला मलाइकतिकल्-किरामिल्-कातिबीन
और तेरे इज़्ज़त वाले लिखने वाले फ़रिश्तों पर,

وَعَلَىٰ مَلائِكَةِ ٱلْجِنَانِ
व अला मलाइकतिल्-जिनान
और जन्नतों के फ़रिश्तों पर,

وَخَزَنَةِ ٱلنِّيرَانِ
व ख़ज़नतिन्नीरान
और दोज़ख़ की आग के ख़ज़ानचियों पर,

وَمَلَكِ ٱلْمَوْتِ وَٱلاعْوَانِ
व मलकि अल्मौतِ वल-अ’वान
और मलिकुल-मौत और उसके मददगारों पर।

يَا ذَا ٱلْجَلاَلِ وَٱلإِكْرَامِ
या ज़ल्जलालि वल-इकराम
ऐ जलाल और इकराम वाले!

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ ابِينَا آدَمَ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला अबीना आदम
ऐ अल्लाह! हमारे बाप आदम पर रहमत (दरूद) नाज़िल फ़रमा,

بَدِيعِ فِطْرَتِكَ
बदीइ फ़ित्रतिका
जो तेरी फ़ित्रत की बे-मिसाल इब्तिदा है,

ٱلَّذِي كَرَّمْتَهُ بِسُجُودِ مَلائِكَتِكَ
अल्लज़ी कर्रम्तहु बिसुजूदि मलाइकतिक
जिसे तूने अपने फ़रिश्तों के सज्दा से इज़्ज़त बख़्शी,

وَابَحْتَهُ جَنَّتَكَ
व अबह्तहु जन्नतका
और जिसे तूने अपनी जन्नत में रहने की इजाज़त दी।

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ امِّنَا حَوَّاءَ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला उम्मिना हव्वा’
ऐ अल्लाह! हमारी माँ हव्वा पर रहमत (दरूद) नाज़िल फ़रमा,

ٱلْمُطَهَّرَةِ مِنَ ٱلرِّجْسِ
अल्मुतह्हरति मिनर्रिज्स
जो नजासत से पाक की गई,

ٱلْمُصَفَّاةِ مِنَ ٱلدَّنَسِ
अल्मुसफ्फाति मिनद्दनस
जो मैल-कुचैल से साफ़ की गई,

ٱلْمُفَضَّلَةِ مِنَ ٱلإِنْسِ
अल्मुफ़ज़्ज़लति मिनल्-इन्स
जो इंसानों में से मुंतख़ब/फ़ज़ीलत वाली है,

ٱلْمُتَرَدِّدَةِ بَيْنَ مَحَالِّ ٱلْقُدْسِ
अल्मुतरद्दिदति बैना महाल्लिल्-क़ुद्स
और जिसे मुक़द्दस मक़ामात की ज़ियारत की इजाज़त थी।

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ هَابِيلَ وَشَيْثٍ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला हाबील व शैथ
ऐ अल्लाह! हाबील और शैथ पर रहमत (दरूद) नाज़िल फ़रमा,

وَإِدْرِيسَ وَنُوحٍ
व इदरीस व नूह
और इदरीस और नूह पर,

وَهُودٍ وَصَالِحٍ
व हूद व सालिह
और हूद और सालिह पर,

وَإِبْرَاهِيمَ وَإِسْمَاعِيلَ
व इब्राहीम व इस्माईल
और इब्राहीम और इस्माईल पर,

وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ
व इस्हाक़ व याक़ूब
और इस्हाक़ और याक़ूब पर,

وَيُوسُفَ وَٱلاسْبَاطِ
व यूसुफ़ वल-असबात
और यूसुफ़ और अस्बात (क़बीले) पर,

وَلُوطٍ وَشُعَيْبٍ
व लूत व शुऐब
और लूत और शुऐब पर,

وَايُّوْبَ وَمُوسَىٰ
व अय्यूब व मूसा
और अय्यूब और मूसा पर,

وَهَارُونَ وَيُوشَعَ
व हारून व यूशअ
और हारून और यूशअ पर,

وَمِيشَا وَٱلْخِضْرِ
व मीशा वल-ख़िज़्र
और मीशा और ख़िज़्र पर,

وَذِي ٱلْقَرْنَيْنِ وَيُونُسَ
व ज़िल्-क़रनैन व यूनुस
और ज़ुल-क़रनैन और यूनुस पर,

وَإِلْيَاسَ وَٱلْيَسَعَ
व इलियास वल-यसअ
और इलियास और यसअ पर,

وَذِي ٱلْكِفْلِ وَطَالُوتَ
व ज़िल्-किफ़्ल व तालूत
और ज़ुल-किफ़्ल और तालूत पर,

وَدَاوُودَ وَسُلَيْمَانَ
व दाऊद व सुलैमान
और दाऊद और सुलैमान पर,

وَزَكَرِيَّا وَشَعْيَا
व ज़करिय्या व शअया
और ज़करिय्या और शअया पर,

وَيَحْيَىٰ وَتُورَخَ
व यह्या व तूरखा
और यह्या और तूरखा पर,

وَمَتَّىٰ وَإِرْمِيَا
व मत्ता व इर्मिया
मत्ता और इर्मिया पर,

وَحَيْقُوقَ وَدَانِيَالَ
व हैक़ूक़ व दानियाल
और हैक़ूक़ और दानियाल पर,

وَعُزَيْرٍ وَعِيسَىٰ
व उज़ैर व ईसा
और उज़ैर और ईसा पर,

وَشَمْعُونَ وَجِرْجِيسَ
व शम्ऊन व जिरजीस
और शम्ऊन और जिरजीस पर,

وَٱلْحَوَارِيِّينَ وَٱلاتْبَاعِ
वल्हवारिय्यीन वल-अत्बाअ
और हवारीय्यीन और अत्बाअ पर,

وَخَالِدٍ وَحَنْظَلَةَ وَلُقْمَانَ
व ख़ालिद व हन्ज़ला व लुक़मान
और ख़ालिद और हन्ज़ला और लुक़मान पर।

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मद
ऐ अल्लाह! मुहम्मद और आले मुहम्मद पर रहमत (दरूद) नाज़िल फ़रमा,

وَٱرْحَمْ مُحَمَّداً وَآلَ مُحَمَّدٍ
वरहम मुहम्मदन व आला मुहम्मद
और मुहम्मद और आले मुहम्मद पर रहम फ़रमा,

وَبَارِكْ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
व बारिक अला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मद
और मुहम्मद और आले मुहम्मद पर बरकत नाज़िल फ़रमा,

كَمَا صَلَّيْتَ وَرَحِمْتَ وَبَارَكْتَ عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ وَآلِ إِبْرَاهِيمَ
कमा सल्लैत व रहिम्त व बारक्त अला इब्राहीम व आलि इब्राहीम
जिस तरह तूने इब्राहीम और आले इब्राहीम पर सलात, रहमत और बरकत नाज़िल की।

إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
इन्नका हमीदुन मजीदुन
बेशक तू हमीद है, मजीद है।

اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ ٱلاوْصِيَاءِ وَٱلسُّعَدَاءِ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला अल-अव्सियाइ वस्सु’दाइ
ऐ अल्लाह! अव्सिया और सु’अदा पर रहमत (दरूद) नाज़िल फ़रमा,

وَٱلشُّهَدَاءِ وَائِمَّةِ ٱلْهُدَىٰ
वश्शुहदाइ व आइम्मतिल्-हुदा
और शुहदा और आइम्मा-ए-हुदा पर,

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ ٱلابْدَالِ وَٱلاوْتَادِ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला अल-अब्दालि वल-अवतादि
ऐ अल्लाह! अब्दाल और अवताद पर रहमत (दरूद) नाज़िल फ़रमा,

وَٱلسُّيَّاحِ وَٱلْعُبَّادِ
वस्सुय्याहि वल-उब्बादि
और सियाह (सय्याह) और उब्बाद पर,

وَٱلْمُخْلِصِينَ وَٱلزُّهَّادِ
वल्मुख़्लिसीन वज़्ज़ुह्हाद
और मुख़्लिसीन और ज़ुह्हाद पर,

وَاهْلِ ٱلْجِدِّ وَٱلاِجْتِهَادِ
व अह्लिल्-जिद्दि वल-इज्तिहाद
और जिद्द व इज्तिहाद वालों पर।

وَٱخْصُصْ مُحَمَّداً وَاهْلَ بَيْتِهِ بِافْضَلِ صَلَوَاتِكَ
वख़्सुस मुहम्मदन व अह्ला बैतिहि बि-अफ़ज़लि सलवातिका
और मुहम्मद और उनके अहले-बैत को अपनी बेहतरीन सलवात के साथ ख़ास फ़रमा,

وَاجْزَلِ كَرَامَاتِكَ
व अजज़लि करामातिका
और अपनी ज़्यादा से ज़्यादा करामतें अता फ़रमा,

وَبَلِّغْ رُوحَهُ وَجَسَدَهُ مِنِّي تَحِيَّةً وَسَلاماً
व बल्लिघ रूअहू व जसदहू मिन्नी तहिय्यतन व सलामा
और मेरी तरफ़ से उनकी रूह और जिस्म तक तहिय्यत और सलाम पहुँचा दे,

وَزِدْهُ فَضْلاً وَشَرَفاً وَكَرَماً
व ज़िद्हू फ़ज़्लन व शरफ़न व करमा
और उन्हें फ़ज़्ल, शरफ़ और करम में और बढ़ा दे,

حَتَّىٰ تُبَلِّغَهُ اعْلَىٰ دَرَجَاتِ اهْلِ ٱلشَّرَفِ
हत्ता तुबल्लिघहू अअ्ला दरजाति अह्लिश्शरफ़
यहाँ तक कि तू उन्हें अहले-शरफ़ के बुलंद तरीन दर्जात तक पहुँचा दे,

مِنَ ٱلنَّبِيِّينَ وَٱلْمُرْسَلِينَ
मिनन्नबिय्यीन वल्मुरसलीन
नबीय्यीन और मुरसलीन में से,

وَٱلافَاضِلِ ٱلْمُقَرَّبِينَ
वल-अफ़ाज़िलिल्-मुक़र्रबीन
और अफ़ाज़िल व मुक़र्रबीन में से।

اَللَّهُمَّ وَصَلِّ عَلَىٰ مَنْ سَمَّيْتُ وَمَنْ لَمْ اسَمِّ
अल्लाहुम्मा व सल्लि अला मन सम्मैतु व मन लम असम्मि
ऐ अल्लाह! जिनका मैंने नाम लिया और जिनका नाम नहीं लिया, सब पर रहमत (दरूद) नाज़िल फ़रमा,

مِنْ مَلائِكَتِكَ وَانْبِيَائِكَ
मिन मलाइकतिका व अंबियाइका
तेरे फ़रिश्तों और तेरे अंबिया में से,

وَرُسُلِكَ وَاهْلِ طَاعَتِكَ
व रसूलिका व अह्लि ताअतिका
और तेरे रसूलों और तेरी इताअत करने वालों में से।

وَاوْصِلْ صَلَوَاتِي إِلَيْهِمْ وَإِلَىٰ ارْوَاحِهِمْ
व औसिल सलवाती इलैहिम व इला अरवाहिहिम
और मेरी सलवात उन्हें और उनकी अरवाह तक पहुँचा दे,

وَٱجْعَلْهُمْ إِخْوَانِي فِيكَ
वज्‘अल्हुम इख़वानी फीका
और उन्हें तेरे लिए मेरे भाई बना दे,

وَاعْوَانِي عَلَىٰ دُعَائِكَ
व अ’वानी अला दु’आइका
और मुझे तेरी दुआ पर मददगार बना दे।

اَللَّهُمَّ إِنِّي اسْتَشْفِعُ بِكَ إِلَيْكَ
अल्लाहुम्मा इन्नी अस्तश्फिउ बिका इलैका
ऐ अल्लाह! मैं तुझी को तुझ तक सिफ़ारिश बनाता हूँ,

وَبِكَرَمِكَ إِلَىٰ كَرَمِكَ
व बि करमिक इला करमिक
और तेरे करम के वसीले से तेरे करम की तरफ़,

وَبِجُودِكَ إِلَىٰ جُودِكَ
व बि जूदिक इला जूदिक
और तेरे जूद के वसीले से तेरे जूद की तरफ़,

وَبِرَحْمَتِكَ إِلَىٰ رَحْمَتِكَ
व बि रहमतिका इला रहमतिका
और तेरी रहमत के वसीले से तेरी रहमत की तरफ़,

وَبِاهْلِ طَاعَتِكَ إِلَيْكَ
व बि अह्लि ताअतिका इलैका
और तेरी इताअत करने वालों के वसीले से तुझ तक।

وَاسْالُكَ ٱللَّهُمَّ بِكُلِّ مَا سَالَكَ بِهِ احَدٌ مِنْهُمْ
व असअलुका अल्लाहुम्मा बि कुल्लि मा सालका बिहि अहदुन मिन्हुम
और मैं तुझसे ऐ अल्लाह! हर उस चीज़ के वसीले से सवाल करता हूँ जिससे उनमें से किसी ने तुझसे सवाल किया,

مِنْ مَسْالَةٍ شَرِيفَةٍ غَيْرِ مَرْدُودَةٍ
मिन मसअलतिन शरीफ़तिन ग़ैरि मर्दूदतिन
ऐसी इज़्ज़त वाली दरख़्वास्त के वसीले से जो रद्द नहीं की जाती,

وَبِمَا دَعَوْكَ بِهِ مِنْ دَعْوَةٍ مُجَابَةٍ غَيْرِ مُخَيِّبَةٍ
व बिमा द’अवका बिहि मिन द’वातिन मुजाबतिन ग़ैरि मुख़य्यिबतिन
और उस दुआ के वसीले से जिसे उन्होंने तुझसे माँगा और जो क़बूल हुई, जो नाकाम नहीं होती।

يَا اللَّهُ يَا رَحْمٰنُ يَا رَحِيمُ
या अल्लाहु या रहमानु या रहीम
या अल्लाह! या रहमान! या रहीम!

يَا حَلِيمُ يَا كَرِيمُ يَا عَظِيمُ
या हलीमु या करीमु या अज़ीम
या हलीम! या करीम! या अज़ीम!

يَا جَلِيلُ يَا مُنِيلُ يَا جَمِيلُ
या जलीलु या मुनीलु या जमीिलु
या जलील! या मुनील! या जमीिल!

يَا كَفِيلُ يَا وَكِيلُ يَا مُقِيلُ
या कफीलु या वकीलु या मुक़ीलु
या कफ़ील! या वकील! या मुक़ील!

يَا مُجِيرُ يَا خَبِيرُ
या मुजीरु या ख़बीरु
या मुजीर! या ख़बीर!

يَا مُنِيرُ يَا مُبِيرُ
या मुनीरु या मुबीरु
या मुनीर! या मुबीर!

يَا مَنِيعُ يَا مُدِيلُ يَا مُحِيلُ
या मनीउ या मुदीलु या मुहीलु
या मनीउ! या मुदील! या मुहील!

يَا كَبِيرُ يَا قَدِيرُ يَا بَصِيرُ
या कबीरु या क़दीरु या बसीरु
या कबीर! या क़दीर! या बसीर!

يَا شَكُورُ يَا بَرُّ
या शकूरु या बर्रु
या शकूर! या बर्र!

يَا طُهْرُ يَا طَاهِرُ
या तुहरु या ताहिरु
या तुहर! या ताहिर!

يَا قَاهِرُ يَا ظَاهِرُ
या क़ाहिरु या ज़ाहिरु
या क़ाहिर! या ज़ाहिर!

يَا بَاطِنُ يَا سَاتِرُ
या बातिनु या सातिरु
या बातिन! या सातिर!

يَا مُحِيطُ يَا مُقْتَدِرُ
या मुहीतु या मुक़्तदिरु
या मुहीत! या मुक़्तदिर!

يَا حَفِيظُ يَا مُتَجَبِّرُ
या हफ़ीज़ु या मुतजब्बिरु
या हफ़ीज़! या मुतजब्बिर!

يَا قَرِيبُ يَا وَدُودُ
या क़रीबु या वदूदु
या क़रीब! या वदूद!

يَا حَمِيدُ يَا مَجِيدُ
या हमीदु या मजीदु
या हमीद! या मजीद!

يَا مُبْدِئُ يَا مُعِيدُ يَا شَهِيدُ
या मुब्दिउ या मु’ईदु या शहीदु
या मुब्दिउ! या मु’ईद! या शहीद!

يَا مُحْسِنُ يَا مُجْمِلُ
या मुह्सिनु या मुज्मिलु
या मुह्सिन! या मुज्मिल!

يَا مُنْعِمُ يَا مُفْضِلُ
या मुन’इमु या मुफ़्दिलु
या मुन’इम! या मुफ़्दिल!

يَا قَابِضُ يَا بَاسِطُ
या क़ाबिदु या बासितु
या क़ाबिद! या बासित!

يَا هَادِي يَا مُرْسِلُ
या हादी या मुर्सिलु
या हादी! या मुर्सिल!

يَا مُرْشِدُ يَا مُسَدِّدُ
या मुर्शिदु या मुसद्दिदु
या मुर्शिद! या मुसद्दिद!

يَا مُعْطِي يَا مَانِعُ
या मु’ती या मानीउ
या मु’ती! या मानी’!

يَا دَافِعُ يَا رَافِعُ
या दाफ़िउ या राफ़िउ
या दाफ़िउ! या राफ़िउ!

يَا بَاقِي يَا وَاقِي
या बाक़ी या वाक़ी
या बाक़ी! या वाक़ी!

يَا خَلاَّقُ يَا وَهَّابُ
या ख़ल्लाक़ु या वह्हाबु
या ख़ल्लाक़! या वह्हाब!

يَا تَوَّابُ يَا فَتَّاحُ
या तव्वाबु या फ़त्ताहु
या तव्वाब! या फ़त्ताह!

يَا نَفَّاحُ يَا مُرْتَاحُ
या नफ्फाहु या मुर्ताहु
या नफ्फाह! या मुर्ताह!

يَا مَنْ بِيَدِهِ كُلُّ مِفْتَاحٍ
या मन बियदिहि कुल्लु मिफ्ताहिन
या वो जिसके हाथ में हर मिफ्ताह है!

يَا نَفَّاعُ يَا رَؤُوفُ يَا عَطُوفُ
या नफ्फाअु या रऊफु या अतूफु
या नफ्फाअ! या रऊफ! या अतूफ!

يَا كَافِي يَا شَافِي
या काफ़ी या शाफ़ी
या काफ़ी! या शाफ़ी!

يَا مُعَافِي يَا مُكَافِي
या मु’आफ़ी या मुकाफ़ी
या मु’आफ़ी! या मुकाफ़ी!

يَا وَفِيُّ يَا مُهَيْمِنُ
या वफ़िय्यु या मुहैमिनु
या वफ़िय्य! या मुहैमिन!

يَا عَزِيزُ يَا جَبَّارُ
या अज़ीज़ु या जब्बारु
या अज़ीज़! या जब्बार!

يَا مُتَكَبِّرُ يَا سَلامُ يَا مُؤْمِنُ
या मुतकब्बिरु या सलामु या मु’मिनु
या मुतकब्बिर! या सलाम! या मु’मिन!

يَا احَدُ يَا صَمَدُ
या अहदु या समदु
या अहद! या समद!

يَا نُورُ يَا مُدَبِّرُ
या नूरु या मुदब्बिरु
या नूर! या मुदब्बिर!

يَا فَرْدُ يَا وِتْرُ
या फ़र्दु या वित्रु
या फ़र्द! या वित्र!

يَا قُدُّوسُ يَا نَاصِرُ
या कुद्दूसु या नासिरु
या कुद्दूस! या नासिर!

يَا مُؤْنِسُ يَا بَاعِثُ يَا وَارِثُ
या मु’निसु या बा’इसु या वारिसु
या मु’निस! या बा’इस! या वारिस!

يَا عَالِمُ يَا حَاكِمُ
या आलिमु या हाकिमु
या आलिम! या हाकिम!

يَا بَادِي يَا مُتَعَالِي
या बादी या मुतआली
या बादी! या मुतआली!

يَا مُصَوِّرُ يَا مُسَلِّمُ يَا مُتَحَبِّبُ
या मुसव्विरु या मुसल्लिमु यामुतहब्बिबु
या मुसव्विर! या मुसल्लिम! या मुतहब्बिब!

يَا قَائِمُ يَا دَائِمُ
या क़ाइमु या दाइमु
या क़ाइम! या दाइम!

يَا عَلِيمُ يَا حَكِيمُ
या अलीमु या हकीमु
या अलीम! या हकीम!

يَا جَوَادُ يَا بَارِئُ
या जवादु या बारिउ
या जवाद! या बारिउ!

يَا بَارُّ يَاسَارُّ
या बर्रु या सार्रु
या बर्र! या सार्र!

يَا عَدْلُ يَا فَاصِلُ
या अद्लु या फ़ासिलु
या अद्ल! या फ़ासिल!

يَا دَيَّانُ يَا حَنَّانُ يَا مَنَّانُ
या दय्यानु या हन्नानु या मन्नानु
या दय्यान! या हन्नान! या मन्नान!

يَا سَمِيعُ يَا بَدِيعُ
या समीउ या बदीउ
या समीउ! या बदीउ!

يَا خَفِيرُ يَا مُعِينُ
या ख़फीरु या मु’ईनु
या ख़फीर! या मु’ईन!

يَا نَاشِرُ يَا غَافِرُ
या नाशिरु या ग़ाफ़िरु
या नाशिर! या ग़ाफ़िर!

يَا قَدِيمُ يَا مُسَهِّلُ يَا مُيَسِّرُ
या क़दीमु या मुसह्हिलु या मुयस्सिरु
या क़दीम! या मुसह्हिल! या मुयस्सिर!

يَا مُمِيتُ يَا مُحْيِي
या मुमीतु या मुह्यी
या मुमीत! या मुह्यी!

يَا نَافِعُ يَا رَازِقُ
या नाफ़िउ या राज़िक़ु
या नाफ़िउ! या राज़िक़!

يَا مُقْتَدِرُ يَا مُسَبِّبُ
या मुक़्तदिरु या मुसब्बिबु
या मुक़्तदिर! या मुसब्बिब!

يَا مُغِيثُ يَامُغْنِي يَا مُقْنِي
या मुगीथु यामुघ्नी या मुक़्नी
या मुगीथ! या मुग़्नी! या मुक़्नी!

يَا خَالِقُ يَا رَاصِدُ يَا وَاحِدُ
या ख़ालिक़ु या रासिदु या वाहिदु
या ख़ालिक़! या रासिद! या वाहिद!

يَا حَاضِرُ يَا جَابِرُ
या हादिरु या जाबिरु
या हादिर! या जाबिर!

يَاحَافِظُ يَا شَدِيدُ
या हाफ़िज़ु या शदीदु
या हाफ़िज़! या शदीद!

يَا غِيَاثُ يَا عَائِدُ يَا قَابِضُ
या ग़ियाथु या आ’इदु या क़ाबिदु
या ग़ियाथ! या आ’इद! या क़ाबिद!

يَا مَنْ عَلاَ فَٱسْتَعْلَىٰ
या मन अला फ़स्तअ’ला
या वो जो बुलंद हुआ तो और भी बुलंद हो गया,

فَكَانَ بِٱلْمَنْظَرِ ٱلاعْلَىٰ
फ़काना बिल्मन्ज़रिल्-अअला
तो सबसे आला मंज़र/मक़ाम पर हो गया,

يَا مَنْ قَرُبَ فَدَنَا
या मन क़रुब फ़दना
या वो जो क़रीब हुआ तो और क़रीब हो गया,

وَبَعُدَ فَنَاىٰ
व बअ’द फ़ना’
और दूर हुआ तो बेहद दूर हो गया,

وَعَلِمَ ٱلسِّرَّ وَاخْفَىٰ
व अ’लिमा अस्सिर्रा व अख़्फा
और उसने राज़ को और उससे भी ज़्यादा छुपी हुई चीज़ को जान लिया,

يَا مَنْ إِلَيْهِ ٱلتَّدْبِيرُ وَلَهُ ٱلْمَقَادِيرُ
या मन इलैहि अत्तद्बीरु व लहुल्-मक़ादीरु
या वो कि तमाम तद्बीर उसी की तरफ़ है और उसी के पास तक़दीरें हैं,

وَيَا مَنِ ٱلْعَسِيرُ عَلَيْهِ سَهْلٌ يَسِيرٌ
व या मन अल्असीरु अलैहि सह्लुन यसीरुन
और ऐ वो कि जिस पर सख़्त चीज़ भी आसान है और सरल है,

يَا مَنْ هُوَ عَلَىٰ مَا يَشَاءُ قَدِيرٌ
या मन हुवा अला मा यशाऊ क़दीरुन
या वो जो जो चाहे उस पर क़ादिर है,

يَا مُرْسِلَ ٱلرِّيَاحِ
या मुर्सिला अर्रियाहि
या भेजने वाले हवाओं के,

يَا فَالِقَ ٱلإِصْبَاحِ
या फ़ालिक़ल्-इस्बाहि
या सुबह को चीर निकालने वाले,

يَا بَاعِثَ ٱلارْوَاحِ
या बा’इसल्-अरवाहि
या अरवाह को उठाने/जगाने वाले,

يَا ذَا ٱلْجُودِ وَٱلسَّمَاحِ
या ज़ल्जूदि वस्समाहि
या जूद और समाह वाले,

يَا رَادَّ مَا قَدْ فَاتَ
या राद्दा मा क़द फात
या लौटाने वाले उस चीज़ को जो छूट गई,

يَا نَاشِرَ ٱلامْوَاتِ
या नाशिरल्-अम्वाति
या मुर्दों को उठाने वाले,

يَا جَامِعَ ٱلشَّتَاتِ
या जामिअश्शताति
या बिखरी हुई चीज़ों को जमा करने वाले,

يَا رَازِقَ مَنْ يَشَاءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ
या राज़िक़ा मन यशाऊ बि-ग़ैरि हिसाबिन
या वो जो जिसको चाहे बग़ैर हिसाब के रिज़्क़ देता है!

وَيَا فَاعِلَ مَا يَشَاءُ كَيْفَ يَشَاءُ
व या फ़ा’इला मा यशाऊ कैफ़ा यशाऊ
और या वो जो जो चाहे जैसा चाहे करता है!

وَيَا ذَا ٱلْجَلالِ وَٱلإِكْرَامِ
व या ज़ल्जलालि वल-इकराम
और या जलाल और इकराम वाले!

يَا حَيُّ يَا قَيُّومُ
या हय्यु या क़य्यूमु
या हय्य! या क़य्यूम!

يَا حَيّاً حِينَ لاَ حَيُّ
या हय्यन हीना ला हय्यु
या वो जो उस वक़्त भी ज़िंदा था जब कोई ज़िंदा न था!

يَا حَيُّ يَا مُحْيِيَ ٱلْمَوْتَىٰ
या हय्यु या मुह्यिय अल-मौता
या हय्य! या मुर्दों को ज़िंदा करने वाले!

يَاحَيُّ لاَ إِلٰهَ إِلاَّ انْتَ
या हय्यु ला इलाहा इल्ला अंता
या हय्य! तेरे सिवा कोई माबूद नहीं,

بَدِيعُ ٱلسَّمَاوَاتِ وَٱلارْضِ
बदीउ अस्समावाति वल-अर्दि
आसमानों और ज़मीन का बदीअ बनाने वाला।

يَا إِلٰهِي وَسَيِّدِي
या इलाही व सय्यिदी
ऐ मेरे माबूद और मेरे आका,

صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
सल्लि अला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मद
मुहम्मद और आले मुहम्मद पर रहमत (दरूद) नाज़िल फ़रमा,

وَٱرْحَمْ مُحَمَّداً وَآلَ مُحَمَّدٍ
वरहम मुहम्मदन व आला मुहम्मद
और मुहम्मद और आले मुहम्मद पर रहम फ़रमा,

وَبَارِكْ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
व बारिक अला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मद
और मुहम्मद और आले मुहम्मद पर बरकत नाज़िल फ़रमा,

كَمَا صَلَّيْتَ وَبَارَكْتَ وَرَحِمْتَ عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ وَآلِ إِبْرَاهِيمَ
कमा सल्लैत व बारक्त व रहिम्त अला इब्राहीम व आलि इब्राहीम
जिस तरह तूने इब्राहीम और आले इब्राहीम पर सलात और बरकत और रहमत नाज़िल की।

إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
इन्नका हमीदुन मजीदुन
बेशक तू हमीद है और मजीद है।

وَٱرْحَمْ ذُلِّي وَفَاقَتِي
वरहम ज़ुल्ली व फ़ाक़ती
और मेरे ज़िल्लत और मेरी हाजत पर रहम फ़रमा,

وَفَقْرِي وَٱنْفِرَادِي وَوَحْدَتِي
व फ़क़्री वन्फिरादी व वह्दती
और मेरे फ़क़्र और मेरे तन्हा होने और मेरी वह्दत पर,

وَخُضُوعِي بَيْنَ يَدَيْكَ
व ख़ुदू’ई बैना यदैक
और तेरे सामने मेरी आज़िज़ी पर,

وَٱعْتِمَادِي عَلَيْكَ
व’तिमादी अलैक
और तुझ पर मेरे भरोसे पर,

وَتَضَرُّعِي إِلَيْكَ
व तज़र्रु’ई इलैक
और तुझसे मेरी गिड़गिड़ाहट पर।

ادْعُوكَ دُعَاءَ ٱلْخَاضِعِ ٱلذَّلِيلِ
अद्उका दु’आअल्-ख़ादिअि अज़्ज़लील
मैं तुझे दुआ करता हूँ एक ख़ाज़ेअ और ज़लील बंदे की दुआ की तरह,

ٱلْخَاشِعِ ٱلْخَائِفِ
अल्खाशिअि अल्खाइफ़
ख़ुशू’ वाले, डरने वाले की तरह,

ٱلْمُشْفِقِ ٱلْبَائِسِ
अल्मुश्फ़िक़ि अल्बाइस
मुश्फ़िक़, बदहाल की तरह,

ٱلْمَهِينِ ٱلْحَقِيرِ
अल्महीनि अल्हक़ीर
ज़लील, हक़ीर की तरह,

ٱلْجَائِعِ ٱلْفَقِيرِ
अल्जाइ’इ अल्फ़क़ीर
भूखे, फ़क़ीर की तरह,

ٱلْعَائِذِ ٱلْمُسْتَجِيرِ
अल्आ’इज़ि अल्मुस्तजीर
पनाह चाहने वाले, अमान मांगने वाले की तरह,

ٱلْمُقِرِّ بِذَنْبِهِ
अल्मुक़िर्रि बि-ज़न्बिहि
अपने गुनाह का इक़रार करने वाले की तरह,

ٱلْمُسْتَغْفِرِ مِنْهُ
अल्मुस्तग़्फ़िरि मिन्हु
उससे इस्तिग़फार करने वाले की तरह,

ٱلْمُسْتَكِينِ لِرَبِّهِ
अल्मुस्तकीनि लिरब्बिहि
और अपने रब के सामने आज़िज़ रहने वाले की तरह,

دُعَاءَ مَنْ اسْلَمَتْهُ ثِقَتُهُ
दु’आअ मन असलमत्हु थिक़तहू
उस शख़्स की दुआ की तरह जिसे उसके भरोसे ने (लोगों के भरोसे ने) बेहाल/निराश कर दिया हो,

وَرَفَضَتْهُ احِبَّتُهُ
व रफ़दत्हु अहिब्बतहु
जिसे उसके अज़ीज़ों ने ठुकरा दिया हो,

وَعَظُمَتْ فَجِيعَتُهُ
व अज़ुमत फ़जी’अतहु
और जिसकी मुसीबत बहुत बड़ी हो गई हो।

دُعَاءَ حَرِقٍ حَزِينٍ
दु’आअ हरीक़िन हज़ीनिन
मैं तुझसे उस जले हुए, ग़मगीन की तरह दुआ करता हूँ,

ضَعِيفٍ مَهِينٍ
ज़ईफ़िन महीनिन
कमज़ोर, रुस्वा/ज़लील की तरह,

بَائِسٍ مُسْتَكِينٍ
बा’इसिन मुस्तकीनिन
बदहाल, बेसहारा की तरह,

بِكَ مُسْتَجِيرٍ
बिका मुस्तजीरिन
और तेरी पनाह लेने वाले की तरह।

اَللَّهُمَّ وَاسْالُكَ بِانَّكَ مَلِيكٌ
अल्लाहुम्मा व असअलुका बि-अन्नका मलीकुन
ऐ अल्लाह! मैं तुझसे सवाल करता हूँ इस वसीले से कि तू बादशाह/मालिक है,

وَانَّكَ مَا تَشَاءُ مِنْ امْرٍ يَكُونُ
व अन्नका मा तशाऊ मिन अम्रिन यकूनु
और जो अम्र तू चाहता है वो हो कर रहता है,

وَانَّكَ عَلَىٰ مَا تَشَاءُ قَدِيرٌ
व अन्नका अला मा तशाऊ क़दीरुन
और तू जिस पर चाहता है क़ादिर है।

وَاسْالُكَ بِحُرْمَةِ هٰذَا ٱلشَّهْرِ ٱلْحَرَامِ
व असअलुका बि-हुरमतِ हाज़ा अश्शहरِ अल्हराम
और मैं तुझसे सवाल करता हूँ इस महीने-ए-हराम की हुरमत के वसीले से,

وَٱلْبَيْتِ ٱلْحَرَامِ
वल्बैतिल्-हराम
और बैतुल्लाह-ए-हराम के वसीले से,

وَٱلْبَلَدِ ٱلْحَرَامِ
वल्बलदिल्-हराम
और शहर-ए-हराम (मक्का) के वसीले से,

وَٱلرُّكْنِ وَٱلْمَقَامِ
वर्रुक्नि वल्मक़ाम
और रुक्न और मक़ाम के वसीले से,

وَٱلْمَشَاعِرِ ٱلْعِظَامِ
वल्मशा’इरिल्-इज़ाम
और अज़ीम मशा’इर के वसीले से,

وَبِحَقِّ نَبِيِّكَ مُحَمَّدٍ عَلَيْهِ وَآلِهِ ٱلسَّلاَمُ
व बि-हक़्क़ि नबिय्यिका मुहम्मदिन अलैहि व आलिहिस्सलाम
और तेरे नबी मुहम्मद के हक़ के वसीले से—उन पर और उनके अहले-बैत पर सलाम हो।

يَا مَنْ وَهَبَ لآِدَمَ شَيْثاً
या मन वहबा लि-आदमा शैथन
या वो जिसने आदम को शैथ अता किया,

وَلإِبْرَاهِيمَ إِسْمَاعِيلَ وَإِسْحَاقَ
व लि-इब्राहीमा इस्मा’ईला व इस्हाक़
और इब्राहीम को इस्माईल और इस्हाक़ अता किए,

وَيَا مَنْ رَدَّ يُوسُفَ عَلَىٰ يَعْقُوبَ
व या मन रद्दा यूसुफ़ा अला यअ’क़ूब
और या वो जिसने यूसुफ़ को यअ’क़ूब के पास लौटा दिया,

وَيَا مَنْ كَشَفَ بَعْدَ ٱلْبَلاءِ ضُرَّ ايُّوْبَ
व या मन कशफ़ा बअ’दल्बलाइ दु्र्रा अय्यूब
और या वो जिसने बला के बाद अय्यूब की तकलीफ़ दूर कर दी,

يَا رَادَّ مُوسَىٰ عَلَىٰ امِّهِ
या राद्दा मूसा अला उम्मिहि
या वो जिसने मूसा को उसकी माँ के पास लौटा दिया,

وَزَائِدَ ٱلْخِضْرِ فِي عِلْمِهِ
व ज़ाइदा अल्ख़िद्रि फी इल्मिहि
और ख़िद्र के इल्म में इज़ाफ़ा किया,

وَيَا مَنْ وَهَبَ لِدَاوُودَ سُلَيْمَانَ
व या मन वहबा लि-दाऊदा सुलैमाना
और या वो जिसने दाऊद को सुलैमान अता किया,

وَلِزَكَرِيَّا يَحْيَىٰ
व लि-ज़करिय्या यह्या
और ज़करिय्या को यह्या अता किया,

وَلِمَرْيَمَ عِيسَىٰ
व लि-मर्यमा ईसा
और मरयम को ईसा अता किया,

يَا حَافِظَ بِنْتِ شُعَيْبٍ
या हाफ़िज़ बिन्ति शुऐ’ब
या वो जिसने शुऐ’ब की बेटी की हिफ़ाज़त की,

وَيَا كَافِلَ وَلَدِ امِّ مُوسَىٰ
व या काफ़िला वलदि उम्मि मूसा
और या वो जिसने उम्मे-मूसा के बेटे की कफ़ालत की,

اسْالُكَ انْ تُصَلِّيَ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
असअलुका अन तुसल्लिया अला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मद
मैं तुझसे सवाल करता हूँ कि तू मुहम्मद और आले मुहम्मद पर सलात (दरूद) भेजे,

وَانْ تَغْفِرَ لِي ذُنُوبِي كُلَّهَا
व अन तग़्फ़िरा ली ज़ुनूबी कुल्लहा
और मेरे तमाम गुनाह बख़्श दे,

وَتُجِيرَنِي مِنْ عَذَابِكَ
व तुजीरनी मिन अज़ाबिका
और मुझे अपने अज़ाब से पनाह दे,

وَتُوجِبَ لِي رِضْوَانَكَ وَ امَانَكَ
व तुजीबा ली रिज़्वानका व अमानका
और मेरे लिए अपना रिज़्वान और अमान वाजिब कर दे,

وَإِحْسَانَكَ وَغُفْرَانَكَ وَجِنَانَكَ
व इहसानका व ग़ुफ़रानका व जिनानका
और अपना एहसान, बख़्शिश और अपनी जन्नतों को,

وَاسْالُكَ انْ تَفُكَّ عَنِّي كُلَّ حَلْقَةٍ
व असअलुका अन तफुक्का अन्नी कुल्ला हल्क़तिन
और मैं तुझसे सवाल करता हूँ कि मेरे ऊपर से हर गिरह/हर हल्क़ा खोल दे,

بَيْنِي وَبَيْنَ مَنْ يُؤْذِينِي
बैनी व बैना मन युअ’ज़ीनी
मेरे और मेरे अज़ीयत देने वालों के दरमियान,

وَتَفْتَحَ لِي كُلَّ بَابٍ
व तफ्तहा ली कुल्ला बाबिन
और मेरे लिए हर दरवाज़ा खोल दे,

وَتُلَيِّنَ لِي كُلَّ صَعْبٍ
व तुलय्यिना ली कुल्ला सअ’बिन
और मेरे लिए हर सख़्त चीज़ नरम/आसान कर दे,

وَتُسَهِّلَ لِي كُلَّ عَسِيرٍ
व तुसह्हिला ली कुल्ला असीरिन
और मेरे लिए हर दुश्वार अम्र आसान कर दे,

وَتُخْرِسَ عَنِّي كُلَّ نَاطِقٍ بِشَرٍّ
व तुख्रिसा अन्नी कुल्ला नातिक़िन बिशर्रिन
और हर बुराई बोलने वाले की ज़बान मेरे ख़िलाफ़ बंद कर दे,

وَتَكُفَّ عَنِّي كُلَّ بَاغٍ
व तकुफ्फ़ा अन्नी कुल्ला बाग़िन
और हर सरकश/जालिम को मुझसे दूर कर दे,

وَتَكْبِتَ عَنِّي كُلَّ عَدُوٍّ لِي وَحَاسِدٍ
व तक्बिता अन्नी कुल्ला अदुव्विन ली व हासिदिन
और मेरे हर दुश्मन और हसद करने वाले को मेरे ख़िलाफ़ मग़लूब कर दे,

وَتَمْنَعَ مِنِّي كُلَّ ظَالِمٍ
व तम्नअ’ मिन्नी कुल्ला ज़ालिमिन
और हर ज़ालिम से मुझे महफ़ूज़ रख,

وَتَكْفِيَنِي كُلَّ عَائِقٍ يَحُولُ بَيْنِي وَبَيْنَ حَاجَتِي
व तक्फ़ीयनी कुल्ला आ’इक़िन यहूलु बैनी व बैना हाजती
और हर उस रुकावट से मुझे काफ़ी कर दे जो मेरी हाजत और मेरे दरमियान हाइल हो,

وَيُحَاوِلُ انْ يُفَرِّقَ بَيْنِي وَبَيْنَ طَاعَتِكَ
व युहाविलु अन युफर्रिक़ा बैनी व बैना ताअ’तिक
और जो कोशिश करे कि मुझे तेरी इताअत से जुदा कर दे,

وَيُثَبِّطَنِي عَنْ عِبَادَتِكَ
व युथब्बितनी अन इबादतिक
और मुझे तेरी इबादत से सुस्त/रोक दे।

يَا مَنْ الْجَمَ ٱلْجِنَّ ٱلْمُتَمَرِّدِينَ
या मन अल्जमा अल्जिन्न अल्मुतमर्द्दीन
या वो जिसने सरकश जिन्नात को लगाम दी,

وَقَهَرَ عُتَاةَ ٱلشَّيَاطِينِ
व क़हरा उतात अश्शयातीन
और सरकश शयातीन को क़ाबू में किया,

وَاذَلَّ رِقَابَ ٱلْمُتَجَبِّرِينَ
व अज़ल्ला रिक़ाब अल्मुतजब्बिरीन
और मुतकब्बिरों की गर्दनें झुका दीं,

وَرَدَّ كَيْدَ ٱلْمُتَسَلِّطِينَ عَنِ ٱلْمُسْتَضْعَفِينَ
व रद्दा कैद अल्मुतसल्लितीन अन अल्मुस्तद’अफ़ीन
और ज़ालिम हुक्मरानों के मकर को कमज़ोरों से फेर दिया!

اسْالُكَ بِقُدْرَتِكَ عَلَىٰ مَا تَشَاءُ
असअलुका बि-क़ुदरतिका अला मा तशाऊ
मैं तुझसे तیری क़ुदरत के वसीले से सवाल करता हूँ—हर उस चीज़ पर जो तू चाहता है,

وَتَسْهِيلِكَ لِمَا تَشَاءُ كَيْفَ تَشَاءُ
व तस्हीलिका लिमा तशाऊ कैफ़ा तशाऊ
और तेरे आसान कर देने के वसीले से—जिसे तू चाहे, जैसे चाहे,

انْ تَجْعَلَ قَضَاءَ حَاجَتِي فِيمَا تَشَاءُ
अन तजअ’ला क़दाअ हाजती फ़ीमा तशाऊ
कि तू मेरी हाजत का पूरा होना उसी में कर दे जो तू चाहता है।


फिर तुम सज्दा करो और अपने गालों को ज़मीन से लगाने की कोशिश करो, और ये पढ़ो:
اَللَّهُمَّ لَكَ سَجَدْتُ
अल्लाहुम्मा लका सजदतु
ऐ अल्लाह! मैंने तेरे लिए सज्दा किया

وَبِكَ آمَنْتُ
व बिका आमन्तु
और तुझ पर ईमान लाया

فَٱرْحَمْ ذُلِّي وَفَاقَتِي
फ़र्हम ज़ुल्ली व फ़ाक़ती
तो मेरी ज़िल्लत और मेरी हाजत पर रहम फ़रमा

وَٱجْتِهَادِي وَتَضَرُّعِي
वज्तिहादी व तज़र्रु’ई
और मेरी कोशिश और मेरी गिड़गिड़ाहट पर

وَمَسْكَنَتِي وَفَقْرِي إِلَيْكَ يَا رَبِّ
व मस्कनती व फ़क़्री इलैका या रब्बि
और मेरी बेबसी और तेरी तरफ़ मेरी फ़क़्र पर, ऐ मेरे रब।

कोशिश करो कि कम से कम एक आँसू की बूँद निकल आए, क्योंकि यही क़बूलियत की निशानी है।



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मख़्तसर तरीका
उम्मे दाऊद कौन थीं?
वह फ़ातिमा थीं, दाऊद की वालिदा, जो दूसरे इमाम हसन अल-मुजतबा (अ) की परपोती थीं और छठे इमाम जाफ़र अस-सादिक़ (अ) की रज़ाई बहन थीं। उम्मे दाऊद ने इमाम जाफ़र अस-सादिक़ (अ) को दूध पिलाया था।
एक बार छठे इमाम (अ) बीमार पड़े, तो फ़ातिमा (उम्मे दाऊद) उनकी इयादत के लिए गईं। मुलाक़ात के दौरान इमाम ने अपने [रज़ाई] भाई दाऊद के बारे में पूछा। फ़ातिमा ने जवाब दिया कि उन्होंने उसे पाने की उम्मीद छोड़ दी है, क्योंकि उन्हें यह तक नहीं मालूम कि वह ज़िंदा है या मर चुका है। तब इमाम ने उन्हें एक अमल सिखाया (क़ुरआनी तिलावत, दुआओं और नमाज़ों का एक मजमूआ) जो इंसान की क़ानूनी और ज़रूरी हाजतों के जल्दी पूरे होने में बहुत असरदार है। कहा जाता है कि जो भी इस अमल को अंजाम देता है, उसके लिए आसमानों के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और फ़रिश्ते नाज़िल होकर उसे क़बूलियत की खुशख़बरी देते हैं।
उम्मे दाऊद बयान करती हैं कि उन्होंने रजब की पंद्रहवीं तारीख़ को यह अमल अदा किया। अगले दिन किसी ने दरवाज़ा खटखटाया और उनकी हैरत की इंतिहा न रही जब सामने उनका बेटा दाऊद खड़ा था, जिसे क़ैद से रिहा कर दिया गया था। दाऊद ने अपनी माँ को बताया कि वह एक सख़्त पहरे वाली जेल में क़ैद था, उसकी गर्दन, हाथों और पैरों में ज़ंजीरें थीं। अचानक एक दिन सिपाही आए और उसे हुक्मरान मंसूर के पास ले गए। मंसूर ने ज़ंजीरें उतरवाने का हुक्म दिया, दाऊद को दस हज़ार दिरहम दिए और उसे घर पहुँचाने के लिए तेज़ सवारी का इंतज़ाम किया।
मुअतबर रिवायतों में है कि उम्मे दाऊद ने पूछा कि क्या यह अमल रजब के अलावा किसी और महीने में भी किया जा सकता है। इमाम ने हाँ में जवाब दिया और फ़रमाया कि इसे अरफ़ा के दिन भी अंजाम दिया जा सकता है, और अगर अरफ़ा जुमा के दिन पड़ जाए तो अमल पूरा होने से पहले ही करने वाले के गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।
यह अमल किसी भी महीने में किया जा सकता है। इंसान को महीने की 13वीं, 14वीं और 15वीं तारीख़ को रोज़ा रखना चाहिए और 15वीं तारीख़ को ऊपर बयान किए गए तरीक़े के मुताबिक़ यह दुआ पढ़नी चाहिए। इंशाअल्लाह उसकी मुराद पूरी होगी।