तमाम रजब के पहले दिन के आमाल
इस दिन रोज़ा रखना मुस्तहब है
इस दिन ग़ुस्ल करना भी मुस्तहब है।
इस दिन के लिए यह तवील दुआ पढ़ना मुस्तहब है, जो किताब ‘इक़बालुल आमाल’ में मज़कूर है:
اَللَّهُمَّ إنِّي أَسْأَلُكَ يا اللهُ يا اللهُ يا اللهُ،
अल्लाहुम्मा इन्नी अस-अलुका या अल्लाहु या अल्लाहु या अल्लाहु،
ऐ अल्लाह! बेशक मैं तुझ से सवाल करता हूँ, ऐ अल्लाह; ऐ अल्लाह; ऐ अल्लाह;
أَنْتَ اللهُ القَديمُ الأَزَلِيُّ الْمَلِكِ العَظيمِ،
अन्ता अल्लाहु अल-क़दीमु अल-अज़लिय्यु अल-मलिकि अल-अज़ीमि،
तू ही अल्लाह है, क़दीम और अज़ली, बादशाहत-ए-अज़ीम का मालिक;
أَنْتَ اللهُ الحَيُّ القَيُّومُ الْمَوْلى السَّميعُ البَصيرُ،
अन्ता अल्लाहु अल-हय्यु अल-क़य्यूमु अल-मौला अस्समीउ अल-बसीरु،
तू ही अल्लाह है, ज़िन्दा और क़य्यूम, मौला, सब कुछ सुनने वाला और सब कुछ देखने वाला;
يا مَنِ العِزُّ وَالجَلالُ،
या मनि अल-इज़्ज़ु वल-जलाَلु،
ऐ वह ज़ात कि इज़्ज़त और जलाल
وَالكِبْرِياءُ وَالعَظَمَةُ،
वल-किब्रिया’उ वल-अज़मतु،
और किब्रिया और अज़मत
وَالقُوَّةُ وَالعِلْمُ وَالقُدْرَةُ،
वल-क़ुव्वतु वल-इल्मु वल-क़ुदरतु،
और क़ुव्वत और इल्म और क़ुदरत
वल-नूरु वल-र्रूहु،
और नूर और रूह
وَالْمَشيئَةُ وَالحَنانُ وَالرَّحْمَةُ وَالمُلْكُ لِرُبوبِيَّتِهِ،
वल-मशी’अतु वल-हनानु वल-र्रहमतु वल-मुल्कु लिरुबूबिय्यतिहि،
और मशीअत और हनान और रहमत और मुल्क—ये सब उसकी रुबूबियत के लिए हैं;
نورُكَ أَشْرَقَ لَهُ كُلُّ نورٍ،
नूरुका अशरक़ा लहू कुल्लु नूरिन،
तेरे नूर से हर नूर रौशन हुआ;
وَخَمَدَ لَهُ كُلُّ نارٍ،
वा खमदा लहू कुल्लु नारिन،
और हर आग बुझ गई;
وانْحَصَرَ لَهُ كُلُّ الظُّلُماتِ.
वनहसरा लहू कुल्लु अज़्ज़ुलुमाति.
और हर तारीकी मातहत हो गई।
أَسْأَلُكَ باسْمِكَ الَّذي اشْتَقَقْتَهُ مِنْ قِدَمِكَ وَأزَلِكَ وَنورِكَ،
अस-अलुका बिस्मिका अल्लज़ी इश्तक़क़्तहू मिन क़िदमिका वा अज़लिका वा नूरिका،
मैं तुझ से सवाल करता हूँ तेरे उस नाम के वसीले से जिसे तूने अपनी क़िदमत, अपनी अज़लियत और अपने नूर से मुश्तक़ किया;
وَبالإسْمِ الأَعْظَمِ الَّذي اشْتَقَقْتَهُ مِنْ كِبْرِيائِكَ وَجَبَروتِكَ وَعَظَمَتِكَ وَعِزِّكَ،
वा बिल-इस्मिल-अ’ज़मि अल्लज़ी इश्तक़क़्तहू मिन किब्रिया’इका वा जबारूतिका वा अज़मतिका वा इज़्ज़िका،
और (मैं तुझ से सवाल करता हूँ) तेरे उस इस्म-ए-अ’ज़म के वसीले से जिसे तूने अपनी किब्रिया, जबारूत, अज़मत और इज़्ज़त से मुश्तक़ किया;
وَبِجُودِكَ الَّذي اشْتَقَقْتَهُ مِنْ رَحْمَتِكَ،
वा बिजूदिका अल्लज़ी इश्तक़क़्तहू मिन रहमतिका،
और तेरे जूद के वसीले से जिसे तूने अपनी रहमत से मुश्तक़ किया;
وَبِرَحْمَتِكَ الَّتي اشْتَقَقْتَها مِنْ رَأفَتِكَ،
वा बिरहमतिका अल्लती इश्तक़क़्तहा मिन रअफ़तिका،
और तेरी रहमत के वसीले से जिसे तूने अपनी रअफ़त से मुश्तक़ किया;
وَبِرَأْفَتِكَ الَّتي اشْتَقَقْتَها مِنْ جودِكَ،
वा बिरअफ़तिका अल्लती इश्तक़क़्तहा मिन जूदिका،
और तेरी रअफ़त के वसीले से जिसे तूने अपने जूद से मुश्तक़ किया;
وَبِجودِكَ الَّذي اشْتَقَقْتَهُ مِنْ غَيْبِكَ،
वा बिजूदिका अल्लज़ी इश्तक़क़्तहू मिन गैबिका،
और तेरे जूद के वसीले से जिसे तूने अपने गैब से मुश्तक़ किया;
وَبِغَيْبِكَ وَإحاطَتِكَ وَقِيامِكَ وَدَوامِكَ وَقِدَمِكَ.
वा बिगैबिका वा इहाततिका वा क़ियामिका वा दवामिका वा क़िदमिका.
और तेरे गैब के वसीले से, और तेरी इहाता (सब पर घेराव) के वसीले से, और तेरे क़ियाम (क़ायम रहने) के वसीले से, और तेरे दवाम (हमेशा रहने) के वसीले से, और तेरी क़िदमत (अज़ली होने) के वसीले से।
وَأسْألُكَ بِجَمِيعِ أسْمائِكَ الْحُسْنى
वा अस-अलुका बिजमीइ अस्मा’इका अल-हुस्ना
और मैं तुझ से सवाल करता हूँ तेरे तमाम अस्मा-ए-हुस्ना के वसीले से।
لا إلَهَ إلاّ أنْتَ الواحِدُ الأحَدُ الفَرْدُ الصَّمَدُ الحَيُّ،
ला इलाहा इल्ला अन्त अल-वाहिदु अल-अहदु अल-फ़र्दु अस्समदु अल-हय्यु،
तेरे सिवा कोई माबूद नहीं; तू वाहिद है, अहद है, फ़र्द है, समद है, हय्य है,
الأوَّلُ الآخِرُ الظّاهِرُ الباطِنُ،
अल-अव्वलु अल-आख़िरु अज़्ज़ाहिरु अल-बातिनु،
अव्वल है, आख़िर है, ज़ाहिर है, बातिन है,
وَلَكَ كُلُّ اسْمٍ عَظيمٍ،
वा लका कुल्लु इस्मिन अज़ीमिन،
और तेरे ही लिए हर अज़ीम नाम है,
वा कुल्लु नूरिन वा गैबिन،
और हर नूर और हर गैब,
वा इल्मिन वा मअ’लूमिन،
और हर इल्म और हर मअ’लूम,
वा मुल्किन वा शा’निन،
और हर मुल्क और हर शान।
وَبِلا إلَهَ إلاّ أنْتَ تَقَدَّسْتَ وَتَعالَيْتَ عُلُوّاً كَبيراً.
वा बिला इलाहा इल्ला अन्त तक़द्दस्ता वा तआलयता उलूव्वन कबीरन.
और इस वजह से कि तेरे सिवा कोई माबूद नहीं, तू पाक है और तू बहुत बुलंद, बहुत अज़ीमुश्शान है।
اَللّهُمَّ إنّي أسْألُكَ بِكُلِّ اسْمٍ هُوَ لَكَ طاهِرٌ مُطَهَّرٌ،
अल्लाहुम्मा इन्नी अस-अलुका बिकुल्लि इस्मिन हुवा लका ताहिरुन मुतह्हरुन،
ऐ अल्लाह! मैं तुझ से सवाल करता हूँ तेरे हर उस नाम के वसीले से जो तेरा है—जो पाक है, मुतह्हर है,
طَيِّبٌ مُبارَكٌ مُقَدَّسٌ،
तय्यिबुन मुबारकुन मुक़द्दसुन،
जो तय्यिब है, मुबारक है, मुक़द्दस है,
أنْزَلْتَهُ في كُتُبِكَ وَأجْرَيْتَهُ في الذِّكْرِ عِنْدَكَ،
अन्ज़ल्तहू फी कुतुबिका वा अज्रैतहू फी अज़्ज़िक्रि इन्दका،
चाहे तूने उसे अपनी किताबों में नाज़िल किया हो, या अपने पास मौजूद ज़िक्र में उसे जारी फ़रमाया हो,
وَتَسَمَّيْتَ بِهِ لِمَنْ شِئْتَ مِنْ خَلْقِكَ
वा तसम्मैता बिहि लिमन शि’ता मिन ख़ल्क़िका
या तूने अपनी मख़लूक़ में से जिस के लिए चाहा उसी नाम से उसे मौसूम किया हो,
أوْ سَألَكَ بِهِ أحَدٌ مِنْ مَلائِكَتِكَ وَأنْبِيائِكَ وَرُسُلِكَ بِخَيْرٍ تُعْطيهِ فَأعْطَيْتَهُ،
औ स-अलका बिहि अहदुन मिन मलाइ’कतिक वा अन्बिया’इका वा रुसुलिका बिख़ैरिन तु’तिहि फ़अ’तैतहू،
या तेरे फ़रिश्तों, और अंबिया, और रसूलों में से किसी ने उसी नाम के वसीले से तुझ से किसी ख़ैर का सवाल किया जिसे तू देता है तो तूने उसे अता फ़रमाया,
أوْ شَرٍّ تَصْرِفُهُ فَصَرَفْتَهُ،
औ शर्रिन तस्रिफ़ुहू फ़सरफ़्तहू،
या किसी शर से बचाने का सवाल किया जिसे तू दूर करता है तो तूने उसे दूर फ़रमा दिया,
يَنْبَغي أنْ أسْألَكَ بِهِ.
यनबघी अन अस-अलका बिहि.
तो मेरे लिए भी मुनासिब है कि मैं उसी नाम के वसीले से तुझ से सवाल करूँ।
فأسْألُكَ يا رَبِّ أنْ تَنْصُرَني عَلى أعْدائي وَتَغْلِبَ ذِكْري عَلى نِسْياني،
फ़अस-अलुका या रब्बि अन तन्सुरनी अला अ’दाई वा तग़लिबा ज़िक्रि अला निस्यानी،
पस मैं तुझ से सवाल करता हूँ ऐ मेरे रब! कि तू मुझे मेरे दुश्मनों पर नुसरत अता फ़रमाए और मेरा ज़िक्र मेरी फ़रामोशी पर ग़ालिब कर दे,
اَللّهُمَّ إجْعَلْ لِعَقْلي عَلى هَوايَ سُلْطاناً مُبيناً،
अल्लाहुम्मा इज्अल लि-अ’क़्ली अला हवाया सुल्तानन मुबीनन،
ऐ अल्लाह! मेरे अक़्ल को मेरे हवाए-नफ़्स के मुक़ाबिल वाज़ेह सुल्तान बना दे,
وَإقْرِنْ اخْتِياري بِالتَّوْفيقِ،
वा इक़्रिन अख़्तियारि बित्तौफ़ीक़ि،
और मेरे इख़्तियार को तौफ़ीक़ के साथ जोड़ दे,
وإجْعَلْ صاحِبي التَّقْوى،
वइज्अल साहिबी अत-तक़वा،
और तक़वा को मेरा साथी बना दे,
وَأوْزِعْني شُكْرَكَ عَلى مَواهِبِكَ.
वा औज़िअ’नी शुक़्रका अला मवाहिबिका.
और मुझे अपनी नेमतों पर तेरा शुक्र अदा करने की तहरीक अता फ़रमा,
واهْدني اَللّهُمَّ بِهُداكَ إلى سَبيلِكَ المُقِيمِ وَصِراطِكَ المُسْتِقيمِ ،
वह्दिनी अल्लाहुम्मा बिहुदाका इला सबीलिका अल-मुक़ीमि वा सिरातिका अल-मुस्तक़ीमि ،
और ऐ अल्लाह! अपनी हिदायत के ज़रिए मुझे अपने सबील-ए-मुक़ीम और अपने सिरात-ए-मुस्तक़ीम की तरफ़ हिदायत दे,
وَلا تَمْلِكْ زِمامي الشَّهَواتُ فَتَحْمِلُني عَلى طَريقِ الْمَخْذولينَ،
वा ला तमलिक ज़िमामी अश्शहवातु फ़तहमिलुनी अला तरीक़िल-मख़ज़ूलीनَ،
और ख़्वाहिशात को मेरे लगाम का मालिक न बना कि वह मुझे मख़ज़ूलीन के रास्ते पर ले जाएँ,
وَحُلْ بَيْني وَبَيْنَ المُنْكَراتِ،
वा हुल बैनी वा बैनल-मुन्कराति،
और मेरे और मुनकरात के दरमियान हायल हो जा,
وَاجْعَلْ لي عِلْماً نافِعاً،
वइज्अल ली इल्मन नाफ़िअ’न،
और मेरे लिए नाफ़ेअ इल्म मुक़र्रर फ़रमा,
وَأغْرِسْ في قَلبي حُبَّ الْمَعْروفِ وَلا تَأخُذْني بَغْتَةً،
वअग़्रिस फी क़ल्बी हुब्बल-मअ’रूफ़ि वा ला तअख़ुज़नी बग़्ततन،
और मेरे दिल में मअ’रूफ़ की मुहब्बत बो दे, और मुझे अचानक न पकड़ लेना,
وَتُبْ عَلَيَّ إنَّكَ أنْتَ التَّوّابُ الرَّحيمُ.
वा तुब अ’लय्या इन्नका अन्त अत-तव्वाबु अर-र्रहीमु.
और मेरी तौबा क़बूल फ़रमा; बेशक तू ही तव्वाब और रहीम है।
وَعَرِّفْني بَرَكَةَ هذا الشَّهْرِ وَيُمْنَهُ،
वा अ’र्रिफ़नी बरकता हाज़ा अश्शह्रि वा युम्नहू،
और मुझे इस महीने की बरकत और युम्न से आशना कर दे,
وَارْزُقْني خَيْرَهُ وَاصْرِفْ عَنّي شَرَّهُ،
वर्ज़ुक़नी ख़ैरहू वस्रिफ़ अन्नी शर्रहू،
और मुझे इसका ख़ैर अता फ़रमा और इसका शर मुझ से दूर कर दे,
वा क़िनी अल-महज़ूर फ़ीहि،
और मुझे इसमें मौजूद ख़तरे/महज़ूर से महफ़ूज़ रख,
وَأعِنّي عَلى ما أُحِبُّهُ مِنَ القِيامِ بِحَقِّهِ،
वा अ’इन्नी अला मा उहिब्बुहू मिनल-क़ियामि बिहक्क़िहि،
और मुझे उस अमल पर मदद दे जिसे मैं पसंद करता हूँ—यानी इसका हक़ अदा करने के क़ियाम पर,
वा मअ’रिफ़ति फ़ज़्लिहि,
और इसके फ़ज़्ल की मअ’रिफ़त पर,
وَاجْعَلْني فيهِ مِنَ الفائِزينَ يا أرْحَمَ الرّاحِمينَ.
वइज्अलनी फीहि मिनल-फ़ाइज़ीना या अरहम अर-र्राहिमीना.
और मुझे इसमें कामयाब होने वालों में से बना दे; ऐ सबसे बढ़कर रहम करने वाला!
اَللّهُمَّ إنّي أسْألُكَ بِاسْمِكَ المُتَعالِ الجَليلِ العَظيمِ،
अल्लाहुम्मा इन्नी अस-अलुका बिस्मिका अल-मुतआ’ली अल-जलीलि अल-अज़ीमि،
ऐ अल्लाह! मैं तुझ से सवाल करता हूँ तेरे नाम के वसीले से—अल-मुतआ’ली, अल-जलील, अल-अज़ीम,
وَبِاسْمِكَ الواحِدِ الصَّمَدِ،
वा बिस्मिका अल-वाहिदि अस्समदि،
और तेरे नाम के वसीले से—अल-वाहिद, अस्समद,
وَبِاسْمِكَ العِزيزِ الأعْلى،
वा बिस्मिका अल-अज़ीज़ि अल-अ’ला،
और तेरे नाम के वसीले से—अल-अज़ीज़, अल-अ’ला,
وَبِأسْمائِكَ الحُسْنى كُلِّها،
वा बि-अस्मा’इका अल-हुस्ना कुल्लिहा،
और तेरे तमाम अस्मा-ए-हुस्ना के वसीले से,
يا مَنْ خَشَعَتْ لَهُ الأصْواتُ
या मन ख़शअ’त लहू अल-अस्वातु
ऐ वह जिसकी बारगाह में तमाम आवाज़ें झुक जाती हैं,
وَخَضَعَتْ لَهُ الرِّقابُ
वा ख़दअ’त लहू अर-रिक़ाबु
और तमाम गर्दनें इताअत में आ जाती हैं,
وَذَلَّتْ لَهُ الأعْناقُ،
वा ज़ल्लत लहू अल-अ’नाक़ु،
और तमाम सर (गरदनें) आजिज़ हो जाते हैं,
وَوَجِلَتْ مِنْهُ القُلوبُ،
वा वजिलत मिन्हु अल-क़ुलूबु،
और तमाम दिल उससे खौफ़ खाते हैं,
وَدانَ لَهُ كُلُّ شَيْءٍ،
वा दाना लहू कुल्लु शय’इन،
और हर चीज़ उसके आगे सर-ए-तस्लीम ख़म कर देती है,
وَقامَتْ بِهِ السَّماواتُ وَالأرْضُ،
वा क़ामत बिहि अस्समावातु वल-अर्दु،
और उसी के सहारे आसमान और ज़मीन क़ायम हैं,
أشْهَدُ أنَّكَ لا تُدْرِكُكَ الأبْصارُ
अश्हदु अन्नका ला तुद्रिकुका अल-अबसारु
मैं गवाही देता हूँ कि निगाहें तुझे पा नहीं सकतीं,
وأنْتَ تُدْرِكُ الأبْصارَ
वा अन्त तुद्रिकु अल-अबसारा
जबकि तू तमाम निगाहों को पा लेता है,
وأنْتَ اللَّطيفُ الخَبِيرُ.
वा अन्त अल-लतीफ़ु अल-ख़बीरु.
और तू लतीफ़ है, ख़बीर है।
يا رَبَّ جِبْرَئيلَ وَميكائيلَ وَإسْرافيلَ،
या रब्ब जिब्राईला वा मीकाईला वा इस्राफ़ीला،
ऐ रब्ब! (फ़रिश्तों) जिब्राईल, मीकाईल और इस्राफ़ील का,
وَجَميعِ الْمَلائِكَةِ المُقَرَّبينَ وَالكُروبِيّينَ وَالكِرامِ الكاتِبينَ،
वा जमीइ अल-मलाइ’कति अल-मुक़र्रबीन वल-कुरूबिय्यीन वल-किरामि अल-कातिबीनَ،
और तमाम मुक़र्रब फ़रिश्तों, कुरूबिय्यीन, और किरामन कातिबीन का,
وَجَميعِ الْمَلائِكَةِ المُسَبِّحينَ بِحَمْدِكَ،
वा जमीइ अल-मलाइ’कति अल-मुसब्बिहीना बिहम्दिका،
और तमाम उन फ़रिश्तों का जो तेरी हम्द के साथ तस्बीह करते हैं,
وَرَبَّ آدَمَ وَشيثٍ وَإدْريسَ،
वा रब्ब आदमा वा शीथिन वा इद्रीसा،
और आदम, शीथ और इद्रीस का रब्ब,
वा नूहिन वा हूदिन वसालिहिन،
और नूह, हूद और सालिह का,
वा इब्राहीमा वा इस्माईला
और इब्राहीम और इस्माईल,
वा इस्हाक़ा वा लूतिन،
और इस्हाक़ और लूत,
وَيَعْقوبَ وَيوسُفَ وَالأسْباطِ
वा यअ’क़ूबा वा यूसुफ़ा वल-असबाति
और याक़ूब और यूसुफ़ और अस्बात,
वा अय्यूबा वा मूसा
और अय्यूब और मूसा,
वा हारूना वा शुऐ’बिन،
और हारून और शुऐब,
وَداوودَ وَسُلَيْمانَ وَإرْمِيا،
वा दाऊदा वा सुलैमाना वा इरमिया,
और दाऊद और सुलैमान और इरमिया,
वा उज़ैरा वा हिज़क़ीला,
और उज़ैर और हिज़क़ील,
वा शअ’या वा इलयासा,
और शअ’या और इलयास,
وَإليَسَعَ وَيونُسَ وَذي الكِفْلِ،
वा इलयसअ’आ वा यूनुसा वा ज़िल-किफ़्लि,
और इलयसा, यूनुस और ज़िल-किफ़्ल,
वा ज़करिय्या वा यह्या,
और ज़करिया और यह्या,
वा ईसा वा जिरजीसा,
और ईसा और जिरजीस,
وَمُحَمَّدٍ صَلّى اللهُ عَلَيْهِمْ أجْمَعينَ،
वा मुहम्मदिन सल्लल्लाहु अलैहिम अज्मईन,
और मुहम्मद—अल्लाह की सलामती हो उन पर और उन सब पर,
وَعَلى مَلائِكَةِ اللهِ المُقَرَّبينَ
वा अला मलाइ’कति अल्लाहि अल-मुक़र्रबीन
और अल्लाह के मुक़र्रब फ़रिश्तों पर,
वल-किरामि अल-कातिबीन
और किरामन कातिबीन पर,
وَجَميعِ الأمْلاكِ المُسَبِّحينَ
वा जमीइ अल-अमलाकि अल-मुसब्बिहीन
और तमाम तस्बीह करने वाले फ़रिश्तों पर,
وَسلَّمَ تَسْليماً كَثيراً.
वा सल्लमा तस्लीमन कसीरन.
और उन पर बहुत ज़्यादा सलाम नाज़िल फ़रमा।
أنْتَ رَبُّنا الأوَّلُ الآخِرُ،
अन्ता रब्बुना अल-अव्वलु अल-आख़िरु،
तू ही हमारा रब है—अव्वल भी और आख़िर भी,
अज़्ज़ाहिरु अल-बातिनु
ज़ाहिर भी और बातिन भी,
الَّذي خَلَقْتَ السَّماواتِ وَالأرَضينَ
अल्लज़ी ख़लक़्ता अस्समावाति वल-अरज़ीन
जिसने आसमानों और ज़मीनों को पैदा फ़रमाया,
ثُمَّ اسْتَوَيْتَ عَلى العَرْشِ الْمَجيدِ،
सुम्म अस्तवैत अला अल-अर्शिल-मजीदि،
फिर तू अर्श-ए-मजीद पर जल्वा-अफ़रोज़ हुआ,
بِأسْمائِكَ الحُسْنى تُبْدِئُ وَتُعيدُ،
बि-अस्मा’इका अल-हुस्ना तुबदि’उ वा तुईदु,
अपने अस्मा-ए-हुस्ना के साथ तू ही इब्तिदा करता है और दोबारा पैदा करता है,
وَتُغْشي اللَيْلَ النَّهارَ يَطْلُبُهُ حَثيثاً،
वा तुग़्शी अल-लैला अन्नहार यतलुबुहू हसीसन,
और तू रात को दिन से ढाँप देता है जो तेज़ी से उसके पीछे आता है,
वश्शम्सु वल-क़मरु
और सूरज और चाँद,
वन-नुजूमु वल-फ़लकु
और सितारे और फ़लक,
वद्दुहूरु वल-ख़ल्क़ु
और ज़माने और तमाम मख़लूक़,
मुसख़्ख़रूना बि-अम्रिका،
सब तेरे हुक्म के ताबे हैं।
تَبارَكْتَ وَتَعالَيْتَ يا رَبَّ العالَمينَ.
तबारकता व तआलैता या रब्बल-आलमीन।
तू बहुत बरकत वाला है और बहुत बुलंद है, ऐ रब्बुल आलमीन।
ला इलाहा इल्ला अन्त
तेरे सिवा कोई माबूद नहीं,
अल-हन्नानु अल-मन्नानु
तू बहुत मेहरबान और बहुत अता करने वाला है,
بَديعُ السَّماواتِ وَالأرْضِ،
बदीउ’स्समावाति वल-अर्ज़ि,
आसमानों और ज़मीन का बेमिसाल पैदा करने वाला,
ज़ुल-जालालि वल-इकरामि,
जलाल और इकराम का मालिक।
لَوْ كَانَ الْبَحْرُ مِدَاداً لِكَلِمَاتِ رَبِّي
लौ कानल-बहरु मिदादन लिकलिमाति रब्बी
अगर मेरे रब की बातों के लिए समुंदर स्याही बन जाए,
لَنَفِدَ الْبَحْرُ قَبْلَ أَنْ تَنفَدَ كَلِمَاتُ رَبِّي
लनफ़िदल-बहरु क़ब्ला अन तनफ़दा कलिमातु रब्बी
तो समुंदर खत्म हो जाए, मगर मेरे रब की बातें खत्म न हों,
وَلَوْ جِئْنَا بِمِثْلِهِ مَدَداً.
वलौ जिअ’ना बिमिस्लिही मददन।
अगरचे हम उसी के बराबर और भी मदद ले आएँ।
تَعْلَمُ مَثاقيلَ الجِبالِ
तअ’लमु मसाक़ीलल-जिबालि
तू पहाड़ों के वज़न को जानता है,
व मिक़ायलल-बिहारि
और समुंदरों की पैमाइश को,
व अददर-रिमालि,
और रेत के ज़र्रों की गिनती को,
व क़त्रल-अम्तारि,
और बारिश की बूँदों की तादाद को,
व वरक़ल-अश्जारि,
और दरख़्तों के पत्तों को,
व नुजूमस्समाइ
और आसमान के सितारों को,
وَما أظْلَمَ عَلَيْهِ اللَيْلُ وَأشْرَقَ عَلَيْهِ النَّهارُ،
वा मा अज़्लमा अ’लैहि अल्लैलु वा अश्रक़ा अ’लैहि अन्नहारु،
और जो कुछ रात की तारीकी ने ढाँप लिया और जो कुछ दिन की रौशनी में चमक उठा।
لا يُواري مِنْكَ سَماءٌ سَماءً وَلا أرْضٌ أرْضاً،
ला युवारी मिनका समा’उन समा’अन वा ला अरज़ुन अरज़न,
कोई आसमान तुझ से दूसरे आसमान की ओट नहीं कर सकता और न कोई ज़मीन दूसरी ज़मीन की ओट बन सकती है,
वा ला बहरुं मुतताबिक़ुन,
और न ही कोई तह-ब-तह लहराता समुंदर,
وَلا ما بَيْنَ سَدِّ الرُّتوقِ،
वा ला मा बैना सद्दिर-रुतूक़ि,
और न ही वह चीज़ जो बन्दिशों/जोड़ों की रुकावट के दरमियान हो,
وَلا ما في القَرارِ مِنَ الهَباءِ الْمَبْثوثِ.
वा ला मा फ़िल-क़रारि मिनल-हबा’इल-मब्सूथि.
और न ही गहराइयों के क़रार में फैले हुए गर्द के ज़र्रे।
أسْألُكَ بِاسْمِكَ الْمَخْزونِ الْمَكْنونِ
अस-अलुका बिस्मिका अल-मख़्ज़ूनि अल-मक्नूनि
मैं तुझ से सवाल करता हूँ तेरे उस नाम के वसीले से जो मख़्ज़ून है, मक्नून है,
अन्नूरिल-मुनीरि,
नूर-ए-मुनीर के वसीले से,
अल-हक़्क़िल-मुबीनि,
हक़्क़-ए-मुबीन के वसीले से,
अल्लज़ी हुवा नूरुन मिन नूरिन
जो नूर में से नूर है,
वा नूरुन अ’ला नूरिन,
और नूर पर नूर है,
وَنورٌ فَوْقَ كُلِّ نورٍ،
वा नूरुन फ़ौक़ा कुल्लि नूरिन,
और हर नूर के ऊपर नूर है,
वा नूरुन मअ’ कुल्लि नूरिन,
और हर नूर के साथ नूर है,
वा लहू कुल्लु नूरिन,
और उसी के लिए हर नूर है,
मिनका या रब्बु अन्नूरु,
तेरी तरफ़ से है ऐ रब्ब-ए-नूर, नूर,
وَإلَيْكَ يَرْجِعُ النّورُ.
वा इलैका यर्जिउ अन्नूरु.
और तेरी ही तरफ़ नूर लौटता है,
وَبِنورِكَ الَّذي تُضيءُ بِهِ كُلُّ ظُلْمَةٍ،
वा बिनूरिका अल्लज़ी तुज़ी’उ बिहि कुल्लु ज़ुल्मतिन,
और तेरे उसी नूर के वसीले से जिससे हर तारीकी रौशन हो जाती है,
وَتَبْطُلُ بِهِ كَيْدُ كُلِّ شَيْطانٍ مَريدٍ،
वा तब्तुलु बिहि कैदु कुल्लि शैतानिन मरीदिन्,
और जिसके ज़रिए हर मरीद शैतान की चाल नाकाम हो जाती है,
وَتَذُلُّ بِهِ كُلُّ جَبّارٍ عَنيدٍ،
वा तज़ुल्लु बिहि कुल्लु जब्बारिन अ’नीदिन्,
और जिसके ज़रिए हर सरकश जब्बार ज़लील हो जाता है,
وَلا يَقومُ لَهُ شَيْءٌ مِنْ خَلْقِكَ
वा ला यक़ूमु लहू शय’उं मिन ख़ल्क़िका
और तेरी मख़लूक़ में से कोई चीज़ उसके मुक़ाबिल खड़ी नहीं हो सकती,
وَيَتَصَدَّعُ لِعَظَمَتِهِ البَرُّ وَالبَحْرُ،
वा यतसद्दअ’उ लि-अ’ज़मतिहि अल-बर्रु वल-बहरु,
और उसकी अज़मत से ख़ुश्की और समुंदर फट जाते हैं,
وَتَسْتَقِلُّ الْمَلائِكَةُ حينَ يَتَكَلَّمُ بِهِ،
वा तस्तक़िल्लु अल-मलाइ’कतु हीना यतकल्लमु बिहि,
और जब उसका ज़िक्र/गुफ़्तगू होती है तो फ़रिश्ते साकित हो जाते हैं,
وَتَرْعَدُ مِنْ خَشْيَتِهِ حَمَلَةُ العَرْشِ العَظيمِ
वा तरअ’दु मिन ख़श्यतिहि हमलतुल-अ’र्शिल-अ’ज़ीमि
और उसकी ख़शियत से अर्श-ए-अज़ीम उठाने वाले फ़रिश्ते कपकपा उठते हैं,
إلى تُخومِ الأرَضينَ السَّبْعِ،
इला तुख़ूमिल-अरज़ीन अस्सब्अ’ि,
यहाँ तक कि सातों ज़मीनों की हदों तक,
الَّذي انْفَلَقَتْ بِهِ البِحارُ،
अल्लज़ी अन्फलक़त बिहि अल-बिहारु,
जिसके ज़रिए समुंदर फट पड़े,
वा जरत बिहि अल-अन्हारु,
और नदियाँ बह चलीं,
وَتَفَجَّرَتْ بِهِ العُيونُ،
वा तफ़ज्जरत बिहि अल-उयूनु,
और चश्मे फूट निकले,
وَسارَتْ بِهِ النُّجُومُ،
वा सारत बिहि अन्नुजूमु,
और सितारे चल पड़े,
وَأُرْكِمَ بِهِ السَّحابُ وَأُجْرِيَ،
वा उरकिमा बिहि अस्सहाबु वा उ’ज्रिया,
और बादल जमा किए गए और चलाए गए,
وَاعْتَدَلَ بِهِ الضَّبابُ،
वा इ’तदला बिहि अज़्ज़बाबु,
और धुंध/कुहरा भी उसके ज़रिए मुअ’तदिल हो गया,
वा हालत बिहि अर-रिमालु،
और रेत के टीले जम गए,
वा रसत बिहि अल-जिबालु
और पहाड़ अपनी जगह जम गए,
وَاسْتَقَرَّتْ بِهِ الأرَضونَ،
वा इस्तक़र्रत बिहि अल-अरज़ूना،
और ज़मीनें उसके ज़रिए स्थिर हो गईं,
वा नज़ला बिहि अल-क़त्रु
और बारिश उतर आई,
वा ख़रजा बिहि अल-हब्बु,
और दाने (अन्न) उग आए,
وَتَفَرَّقَتْ بِهِ جَبَلاتُ الخَلْقِ،
वा तफ़र्रक़त बिहि जबलातुल-ख़ल्क़ि,
और मख़लूक़ की क़िस्में अलग-अलग हो गईं,
وَخَفَقَتْ بِهِ الرِّياحُ،
वा ख़फ़क़त बिहि अर-रियाहु,
और हवाएँ चलने लगीं,
وَانْتَشَرَتْ وَتَنَفَّسَتْ بِهِ الأرْواحُ.
वा अन्तशरत व तनफ़्फ़सत बिहि अल-अरवाहु.
और रूहें फैल गईं और (ज़िन्दगी की) साँस लेने लगीं।
يا اَللهُ أنْتَ المُتَسَمَّى بِالإلهِيَّةِ،
या अल्लाहु अन्त अल-मुतसम्मा बि-इलाहिय्यति,
ऐ अल्लाह! तू ही है जिस के लिए इलाहियत का नाम है,
بِاسْمِكَ الكَبيرِ الأكْبَرِ
बिस्मिका अल-कबीरी अल-अक्बरि
(मैं तुझ से सवाल करता हूँ) तेरे नाम—अल-कबीर, अल-अक्बर के वसीले से,
अल-अज़ीमि अल-अ’ज़मि
अल-अज़ीम, अल-अ’ज़म के वसीले से,
الَّذي عَنَتْ لَهُ الوُجوهُ،
अल्लज़ी अ’नत लहू अल-वुजूहु,
जिसके सामने तमाम चेहरे झुक जाते हैं।
يا ذا الطَّوْلِ وَالآلاءِ،
या ज़ा अत-तौ्लि वल-आला’इ,
ऐ तव्ल और नेमतों वाले,
لا إلَهَ إلاّ أنْتَ يا قَريبُ،
ला इलाहा इल्ला अन्त या क़रीबु,
तेरे सिवा कोई माबूद नहीं, ऐ क़रीब,
أنْتَ الغالِبُ عَلى كُلِّ شَيْءٍ،
अन्त अल-ग़ालिबु अला कुल्लि शय’इन,
तू हर चीज़ पर ग़ालिब है,
أسْألُكَ اَللّهُمَّ بِجَميعِ أسْمائِكَ كُلِّها
अस-अलुका अल्लाहुम्मा बिजमीइ अस्मा’इका कुल्लिहा
मैं तुझ से सवाल करता हूँ ऐ अल्लाह! तेरे तमाम अस्मा के वसीले से,
ما عَلِمْتُ مِنها وَما لَمْ أعْلَمْ،
मा अ’लिम्तु मिन्हा वा मा लम् अ’अलम,
जिन्हें मैं जानता हूँ और जिन्हें मैं नहीं जानता,
وَبِكُلِّ اسْمٍ هُوَ لَكَ
वा बिकुल्लि इस्मिन हुवा लका
और हर उस नाम के वसीले से जो तेरा है,
أنْ تُصَلِّيَ عَلى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अन तुसल्लिया अला मुहम्मदिन वा आलि मुहम्मदिन
कि तू मुहम्मद और आले मुहम्मद पर सलावत भेजे,
وَأنْ تَكْفِيَني أمْرَ أعْدائي
वा अन तक्फ़ियनी अम्रा अ’दाई
और मेरे दुश्मनों के मुआमले में मुझे किफ़ायत कर दे,
वा तुबल्लिग़नी मुनाया
और मुझे मेरी मुराद तक पहुँचा दे,
या अरहम अर-र्राहिमीन.
ऐ सबसे बढ़कर रहम करने वाला!
اَللّهُمَّ صَلِّ عَلى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ،
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन वा आलि मुहम्मदिन,
ऐ अल्लाह! मुहम्मद और आले मुहम्मद पर सलावत नाज़िल फ़रमा,
وارْحَمْ مُحَمَّداً وَآلَ مُحَمَّدٍ
वरहम मुहम्मदन वा आला मुहम्मदिन
और मुहम्मद और आले मुहम्मद पर रहम फ़रमा,
وَبارِكْ عَلى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ،
वा बारिक अला मुहम्मदिन वा आलि मुहम्मदिन,
और मुहम्मद और आले मुहम्मद पर बरकत नाज़िल फ़रमा,
كَما صَلَّيْتَ وَرَحِمْتَ وَبارَكْتَ وَتَرَحَّمْتَ عَلى إبْراهيمَ وَآلِ إبْراهيمَ
कमा सल्लयता वा रहिमता वा बारकता वा तरह्हम्ता अला इब्राहीमा वा आलि इब्राहीमा
जैसे तूने इब्राहीम और आले इब्राहीम पर सलावत, रहमत, बरकत और तरह्हुम फ़रमाया।
इन्नका हमीदुन मजीदुन,
बेशक तू हमीद है, मजीद है।
اَللّهُمَّ أعْطِ مُحَمَّداً الوَسيلَةَ وَالشَّرَفَ
अल्लाहुम्मा अ’ति मुहम्मदन अल-वसीलता वश्शरफ़ा
ऐ अल्लाह! मुहम्मद को वसीला और शरफ़ अता फ़रमा,
وَالرِّفْعَةَ وَالفَضيلَةَ عَلى خَلْقِكَ
वर्रिफ़’अता वल-फ़ज़ीलता अला ख़ल्क़िका
और अपने ख़ल्क़ पर रिफ़’अत और फ़ज़ीलत अता फ़रमा,
وَاجْعَلْ في المُصْطَفَيْنَ تَحِيّاتِهِ،
वइज्अल फ़िल-मुस्तफ़यैना तहिय्यातिहि,
और मुस्तफ़यीन में उसकी तहिय्यात मुक़र्रर फ़रमा,
وَفي العِلِّيّينَ دَرَجَتَهُ،
वफ़िल-इ’ल्लीयीना दरजातहू,
और इ’ल्लीयीन में उसका दर्जा बुलंद फ़रमा,
وَفي المُقَرَّبينَ مَنْزِلَتَهُ،
वफ़िल-मुक़र्रबीना मन्ज़िलतहू,
और मुक़र्रबीन में उसका मक़ाम अता फ़रमा।
اَللّهُمَّ صَلَّ عَلى جَميعِ مَلائِكَتِكَ
अल्लाहुम्मा सल्ला अला जमीइ मलाइ’कतिक
ऐ अल्लाह! अपने तमाम फ़रिश्तों पर सलावत नाज़िल फ़रमा,
वा अन्बिया’इका वा रुसुलिका
और अपने अंबिया और रसूलों पर,
वा अहलि तआ’तिक.
और अपनी इताअत करने वालों पर।
اَللّهُمَّ اغْفِرْ لِلْمُؤمِنينَ وَالمُؤmِناتِ
अल्लाहुम्मा अग़्फ़िर लिल-मु’मिनीना वल-मु’मिनाति
ऐ अल्लाह! मोमिन मर्दों और मोमिन औरतों को बख़्श दे,
وَالمُسْلِمينَ وَالمُسْلِماتِ
वल-मुस्लिमीना वल-मुस्लिमाति
और मुसलमान मर्दों और मुसलमान औरतों को,
الأحْياءِ مِنْهُمْ وَالأمْواتِ،
अल-अह्या’इ मिन्हुम वल-अम्वाति,
उनमें से ज़िन्दों को भी और मुर्दों को भी,
وَألِّفْ بَيْنَ قُلوبِنا وَقُلوبِهِمْ عَلى الخَيْراتِ،
वा अल्लिफ़ बैना क़ुलूबिना वा क़ुलूबिहिम अला अल-ख़ैराति,
और हमारे दिलों और उनके दिलों के दरमियान ख़ैरात पर उल्फ़त पैदा फ़रमा,
اَللّهُمَّ إجْزِ مُحَمَّداً صَلّى اللهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ
अल्लाहुम्मा इज़्ज़ि मुहम्मदन सल्लल्लाहु अलैहि वा आलिहि
ऐ अल्लाह! मुहम्मद को—अल्लाह की सलामती हो उन पर और उनकी आल पर—जज़ा अता फ़रमा,
أفْضَلَ ما جَزَيْتَ نَبِيّاً عَنْ أُمَّتِهِ،
अफ़ज़ल मा जज़ैता नबिय्यन अ’न उम्मतिहि,
सबसे बेहतर जज़ा जो तूने किसी नबी को उसकी उम्मत की तरफ़ से अता की हो,
कमा तला आयातिका
जैसे उसने तेरी आयात की तिलावत की,
وَبَلَّغَ ما أرْسَلْتَهُ بِهِ،
वा बल्लग़ा मा अरसल्तहू बिहि,
और वह पैग़ाम पहुँचा दिया जिसके साथ तूने उसे भेजा,
वा नसहा लि-उम्मतिहि
और उसने अपनी उम्मत के लिए नसीहत/ख़ैरख़्वाही की,
وَعَبَدَكَ حَتّى أتاهُ اليَقينُ
वा अ’बदका हत्ता अताहु अल-यक़ीनु
और उसने तेरी इबादत की यहाँ तक कि यक़ीन (मौत) आ पहुँची।
صَلّى اللهُ عَلَيْهِ وَعَلى آلِهِ الطَّيِّبينَ.
सल्लल्लाहु अलैहि वा अला आलिहि अत-तय्यिबीन.
अल्लाह की सलावत हो उन पर और उनकी पाक आल पर।
(تَبَارَكَ اللَّهُ رَبُّ الْعَالَمِينَ)
तबारक अल्लाहु रब्बुल-आलमीन
“तबारक है अल्लाह, रब्बुल आलमीन!”
(تَبَارَكَ اللَّهُ أَحْسَنُ الْخَالِقِينَ)
तबारक अल्लाहु अहसनुल-ख़ालिक़ीन
“तबारक है अल्लाह, सबसे बेहतरीन ख़ालिक़!”
(تَبَارَكَ الَّذِي نَزَّلَ الْفُرْقَانَ عَلَى عَبْدِهِ لِيَكُونَ لِلْعَالَمِينَ نَذِيراً.
तबारक अल्लज़ी नज़्ज़ला अल-फ़ुरक़ाना अला अ’बदिहि लियकूना लिल-आलमीना नज़ीरा
“तबारक है वह ज़ात जिसने अपने बन्दे पर फ़ुरक़ान नाज़िल किया ताकि वह तमाम आलम वालों के लिए डराने वाला बने।”
الَّذِي لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالأَرْضِ
अल्लज़ी लहू मुल्कु अस्समावाति वल-अर्ज़ि
“उसी के लिए है आसमानों और ज़मीन की बादशाहत,
वा लम् यत्तख़िज़ वलदन
और उसने कोई बेटा नहीं बनाया,
وَلَمْ يَكُنْ لَهُ شَرِيكٌ فِي الْمُلْكِ
वा लम् यकुन लहू शरीकुन फ़िल-मुल्कि
और न उसकी बादशाहत में कोई साझी है,
وَخَلَقَ كُلَّ شَيْءٍ فَقَدَّرَهُ تَقْدِيراً)
वा ख़लक़ा कुल्ला शय’इन फ़क़द्दरहू तक़दीरन
और उसने हर चीज़ को पैदा किया फिर उसे एक मिक़दार के साथ मुक़र्रर फ़रमाया।”
(تَبَارَكَ الَّذِي إِنْ شَاءَ جَعَلَ لَكَ خَيْراً مِنْ ذَلِكَ
तबारक अल्लज़ी इन शा’अ जअ’ला लका ख़ैरन मिन ज़ालिका
“तबारक है वह ज़ात जो अगर चाहे तो तुम्हारे लिए इससे बेहतर बना दे,
جَنَّاتٍ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الأَنْهَارُ
जन्नातिन तज्री मिन तहतिहा अल-अन्हारु
ऐसे बाग़ात जिनके नीचे नहरें बहती हैं,
وَيَجْعَلْ لَكَ قُصُوراً)
वा यज्अल लका क़ुसूरन
और तुम्हारे लिए क़ुसूर (महल) बना दे।”
(وَتَبَارَكَ الَّذِي لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا
वा तबारक अल्लज़ी लहू मुल्कु अस्समावाति वल-अर्ज़ि वा मा बैनहुमा
“और तबारक है वह ज़ात जिसके लिए आसमानों और ज़मीन की बादशाहत है और जो कुछ उनके दरमियान है,
وَعِنْدَهُ عِلْمُ السَّاعَةِ
वा इन्दहू इ’ल्मु अस्साअ’ति
और उसी के पास क़यामत की घड़ी का इल्म है,
वा इलैहि तुर्जअ’ऊन
और उसी की तरफ़ तुम लौटाए जाओगे।”
(تَبَارَكَ اسْمُ رَبِّكَ ذِي الْجَلالِ وَالإِكْرَامِ.)
तबारक अस्मु रब्बिका ज़िल-जालालि वल-इक्रामि
“तबारक है तुम्हारे रब का नाम—ज़ुल-जलाल वल-इकराम।”
(تَبَارَكَ الَّذِي بِيَدِهِ الْمُلْكُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
तबारक अल्लज़ी बियदिहि अल-मुल्कु वा हुवा अला कुल्लि शय’इन क़दीरुन
“तबारक है वह जिसके हाथ में बादशाहत है, और वह हर चीज़ पर क़ादिर है;
الَّذِي خَلَقَ الْمَوْتَ وَالْحَيَاةَ لِيَبْلُوَكُمْ أَيُّكُمْ أَحْسَنُ عَمَلاً
अल्लज़ी ख़लक़ा अल-मौता वल-हयाता लियब्लुवकुम अय्युकुम अहसनु अ’मलन
जिसने मौत और ज़िन्दगी को पैदा किया ताकि तुमको आज़माए कि तुम में से कौन अमल में बेहतर है;
وَهُوَ الْعَزِيزُ الْغَفُورُ.)
वा हुवा अल-अज़ीज़ु अल-ग़फ़ूरु
और वह अज़ीज़ है, ग़फ़ूर है।”
(تَبَارَكَ الَّذِي جَعَلَ فِي السَّمَاءِ بُرُوجاً
तबारक अल्लज़ी जअ’ला फ़िस्समाइ’ बुरूजन
“तबारक है वह जिसने आसमान में बुर्ज (सितारों के मक़ाम) बनाए,
وَجَعَلَ فِيهَا سِرَاجاً وَقَمَراً مُنِيراً.)
वा जअ’ला फ़ीहा सिराजन वा क़मरन मुनीरन
और उसमें एक चिराग़ और रोशन चाँद रखा।”
फिर आप ये इज़ाफ़ा कर सकते हैं:
أعوذُ بِكَلِماتِ اللهِ التّامّاتِ كُلِّها الَّتي لا يُجاوِزُهُنَّ بِرٌّ وَلا فاجِرٌ،
अ’ऊज़ु बिकलिमातिल्लाहि अत्ताम्माति कुल्लिहा अल्लती ला युजाविज़ुहुन्न बिर्रुन वा ला फाजिरुन,
मैं अल्लाह के तमाम कामिल कलिमात की पनाह चाहता हूँ—जिनसे न कोई नेक आगे बढ़ सकता है और न कोई बदकार,
مِنْ شَرِّ إبْليسَ وَجُنودِهِ،
मिन शर्रि इब्लीसा वा जुनूदिहि,
इब्लीस और उसके लश्कर के शर से,
وَمِنْ شَرِّ كُلِّ شَيْطانٍ وَسُلْطانٍ،
वा मिन शर्रि कुल्लि शैतानिन वा सुल्तानिन,
और हर शैतान और हर सुल्तान के शर से,
वा साहिरिन वा काहिनिन,
और हर जादूगर और काहिन के शर से,
वा शर्रि कुल्लि ज़ी शर्रिन.
और हर शर वाले के शर से।
اَللّهُمَّ إنّي أسْتَوْدِعُكَ نَفْسي وَديني
अल्लाहुम्मा इन्नी अस्तव्दिउका नफ़्सी वा दीनी
ऐ अल्लाह! मैं अपनी जान और अपना दीन तेरे सुपुर्द करता हूँ,
वा सम्अी वा बसरी
और अपनी सुनने की कुव्वत और अपनी नज़र,
وَجَسَدي وَجَميعَ جَوارِحي
वा जसदी जमीअ’ जवारिही
और अपना जिस्म और अपने तमाम आज़ा,
वा अहली वा माली वा औलादी
और अपने अहल-ओ-अयाल, अपना माल, और अपनी औलाद,
وَجَميعَ مَنْ يُعْنيني أمْرُهُ،
वा जमीअ’ मन युअ’नीनी अम्रुहू,
और हर वो शख़्स जिसके मुआमले की ज़िम्मेदारी मुझ पर है,
वा ख़वातिमा अ’मली
और मेरे आमाल के ख़वातिम,
وَسائِرَ ما مَلَّكْتَني وَخَوَّلْتَني وَرَزَقْتَني
वा साईर मा मल्लक्तनी वा ख़व्वल्तनी वा रज़क्तनी
और हर वो चीज़ जो तूने मुझे मालिक बनाया, इख़्तियार दिया, और रिज़्क़ अता फ़रमाया,
वा अन’अम्ता बिहि अ’लय्या
और जिन नेमतों से तूने मुझ पर इनायत की,
وَجَميعَ المُؤmِنينَ وَالمُؤmِناتِ،
वा जमीअ’ अल-मु’मिनीना वल-मु’मिनाति,
और तमाम मोमिन मर्दों और मोमिन औरतों को,
या ख़ैरा मुस्तव्दअ’िन
ऐ सबसे बेहतर अमानत रखने वाले,
वा या ख़ैरा हाफ़िज़िन
और ऐ सबसे बेहतर हिफ़ाज़त करने वाले,
وَيا أرْحَمَ الرّاحِمينَ.
वा या अरहम अर-र्राहिमीन.
और ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाला।
اَللّهُمَّ إنّي أسْألُكَ بِاسْمِكَ:
अल्लाहुम्मा इन्नी अस-अलुका बि-अस्मिका:
ऐ अल्लाह! मैं तुझ से सवाल करता हूँ तेरे इस्म के वसीले से:
اللهِ اللهِ اللهِ اللهِ اللهِ،
अल्लाहि अल्लाहि अल्लाहि अल्लाहि अल्लाहि,
अल्लाह, अल्लाह, अल्लाह, अल्लाह, अल्लाह,
الَّذي لا إلَهَ إلاّ هُوَ رَبُّ العَرْشِ العَظيمِ،
अल्लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा रब्बुल-अ’र्शिल-अ’ज़ीमि,
जिसके सिवा कोई माबूद नहीं—वही रब्ब है अर्श-ए-अज़ीम का,
أنْ تُصَلِّيَ عَلى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अन तुसल्लिया अ’ला मुहम्मदिन वा आलि मुहम्मदिन
(मैं तुझसे इल्तिजा करता हूँ) कि तू मुहम्मद और आले-मुहम्मद पर दरूद भेजे,
वा अन तुफ़र्रिजा अ’न्नी
और मेरी तंगी दूर फ़रमा दे;
يا رَبَّ السَّماواتِ وَالأرَضينَ وَمَنْ فيهِنَّ،
या रब्ब अस्समावाति वल-अरदीन व मन फ़ीहिन्ना,
ऐ आसमानों और ज़मीन और जो कुछ उनमें है—उन सब के रब,
वा मुज्रिया अल-बिहारि
ऐ समुंदरों को बहाने वाले,
वा राज़िक़ा मन फ़ीहिन्ना,
और उनमें रहने वालों को रिज़्क़ देने वाले,
وَفاطِرَ السَّماواتِ وَالأرَضينَ وَأطْباقِها
वा फ़ातिर अस्समावाति वल-अरदीन वा अत्बाक़िहा
ऐ आसमानों और ज़मीन और उनकी तहों के फातिर,
وَمُسَخِّرَ السَّحابِ وَمُجْرِيَ الفُلْكِ.
वा मुसख़्ख़िर अस्सहाबि वा मुज्रिया अल-फुल्कि.
और बादलों को मुसख़्ख़र करने वाले, और कश्तियों को चलाने वाले।
وَجاعِلَ الشَّمْسِ ضِياءً وَالقَمَرِ نوراً،
वा जा’इला अश्शम्सि ज़िया’न वल-क़मरी नूरन,
और सूरज को रौशनी और चाँद को नूर बनाने वाले,
وَخالِقَ آدَمَ عَلَيْهِ السَّلامُ،
वा ख़ालिक़ा आदमा अ’लैहिस्सलामु,
और आदम (अ.स.) के खालिक़,
وَمُنْشِئَ الأنْبِياءِ عَلَيْهِمُ السَّلامُ مِنْ ذُرِّيَّتِهِ،
वा मुन्शिअ अल-अनबिया’ि अ’लैहिमुस्सलामु मिन ज़ुर्रियतिहि,
और उनकी नस्ल से अम्बिया (अ.स.) को पैदा करने वाले—उन पर सलाम,
وَمُعَلِّمَ إدْريسَ عَدَدَ النُّجومِ وَالحِسابَ وَالسِّنينَ وَالشُّهورَ وَأوْقاتِ الأزْمانِ،
वा मु’अल्लिमा इद्रीसा अ’ददा अन्नुजूमि वल-हिसाबा वस्सिनीन वश्शुहूरा वा औक़ाति अल-अज़मानि,
और इद्रीस (अ.स.) को सितारों की गिनती, हिसाब, बरसों और महीनों की तादाद, और औक़ात सिखाने वाले,
वा मुकल्लिमा मूसा,
और मूसा (अ.स.) से कलाम करने वाले,
وَجاعِلَ عَصاهُ ثُعْباناً،
वा जा’इला अ’साहू थुअ’बानन,
और उनकी लाठी को अजगर बनाने वाले,
وَمُنْزِلَ التَّوْراةِ في الألْواحِ عَلى موسى عَلَيْهِ السَّلامُ.
वा मुनज़िला अत्तौराति फ़िल-अलवाहि अ’ला मूसा अ’लैहिस्सलामु.
और मूसा (अ.स.) पर अलवाह में तौरात नाज़िल करने वाले।
وَمُجْرِيَ الفُلْكِ لِنوحٍ،
वा मुज्रिया अल-फुल्कि लिनूहिन,
और नूह (अ.स.) की कश्ती को चलाने वाले,
وَفادِيَ إسْماعيلَ مِنَ الذَّبْحِ،
वा फ़ादिया इस्मा’ईला मिनज़्ज़ब्हि,
और इस्माईल (अ.स.) को ज़बह से छुड़ाने वाले,
وَالمُبْتَلِي يَعْقوبَ بِفَقْدِ يوسُفَ،
वल-मुब्तली यअ’क़ूबा बिफ़क़्दि यूसुफ़ा,
और यअ’क़ूब (अ.स.) को यूसुफ़ की जुदाई से आज़माने वाले,
وَرادَّ يوسُفَ عَلَيْهِ بَعْدَ أنِ ابْيَضَّتْ عَيناهُ مِنَ البُكاءِ،
वा राद्दा यूसुफ़ा अ’लैहि बअ’दा अनि इब्यद्दत् अ’यनाहू मिनल-बुका’इ,
और रोते-रोते उनकी आँखें सफ़ेद हो जाने के बाद यूसुफ़ को उन्हें लौटा देने वाले,
فَتَفَرَّجَ قَلْبُهُ مِنَ الحُزْنِ وَالشَّجى،
फ़तफ़र्रजा क़ल्बुहू मिनल-ह़ुज़्नि वश्शजा,
तो उनका दिल ग़म और रंज से हल्का हो गया,
وَرازِقَ زَكَرِيّا يَحْيى عَلى الكِبَرِ بَعْدَ الإياسِ
वा राज़िक़ा ज़करिय्या यह्या अ’ला अल-किबरि बअ’द अल-इयासि
और ज़करिय्या (अ.स.) को बुढ़ापे में मायूसी के बाद यह्या अता करने वाले,
وَمُخْرِجَ النّاقَةِ لِصالِحٍ،
वा मुख्रिजा अन्नाक़ति लिसालिहिन,
और सालेह (अ.स.) के लिए नाक़ा (ऊँटनी) निकालने वाले,
وَمُرْسِلَ الصَّيحَةِ عَلى مُكيدي هودٍ،
वा मुर्सिला अस्सैह़ति अ’ला मुक़ीदी हूदिन,
और हूद (अ.स.) के मुखालिफ़ों पर सैह़ा भेजने वाले,
وَكاشِفَ البَلاءِ عَنْ أيّوبَ،
वा काशिफ़ा अल-बला’इ अ’न अय्यूबा,
और अय्यूब (अ.स.) से बला दूर करने वाले,
وَمُنْجي لُوطٍ مِنَ القَوْمِ الفاحِشينَ.
वा मुन्जी लूत़िन मिनल-क़ौमिल-फ़ाहिशीन.
और लूत (अ.स.) को बेहयाई करने वाली क़ौम से निजात देने वाले,
وَواهِبَ الحِكْمَةِ لِلُقْمانَ،
वा वाहिबा अल-हिक्मति लिलुक़मानَ,
और लुक़मान को हिकमत अता करने वाले,
وَمُلقي رُوحِ القُدُسِ بِكَلِماتِهِ عَلى مَريَمَ عَلَيْها السَّلامُ،
वा मुल्क़ी रूह़ि अल-क़ुदुसि बिकलिमातिहि अ’ला मरयमा अ’लैहस्सलामु,
और अपने कलिमात के ज़रिये मरयम (अ.स.) तक रूह़ुल-क़ुदुस पहुँचाने वाले,
وَخَلَقْتَ مِنْها عَبْدَكَ عيسى عَلَيْهِ السَّلامُ،
वा ख़लक़्ता मिन्हा अ’बदका ईसा अ’लैहिस्सलामु,
और उन्हीं से अपने बंदे ईसा (अ.स.) को पैदा करने वाले,
وَالمُنْتَقِمَ مِنْ قَتَلَةِ يَحْيى بْنِ زَكَرِيّا عَلَيْهِما السَّلامُ،
वल-मुन्तक़िमा मिन क़तलति यह्या ब्नि ज़करिय्या अ’लैहिमस्सलामु,
और यह्या बिन ज़करिय्या (अ.स.) के क़ातिलों से इंतिक़ाम लेने वाले,
وأسْألُكَ بِرَفْعِكَ عيسى إلى سَمائِكَ
वा अस-अलुका बिरफ़्अ’िका ईसा इला समा’इका
मैं तुझसे सवाल करता हूँ—ईसा को अपने आसमान की तरफ़ उठा लेने के वसीले से,
وَبِإبْقائِكَ لَهُ إلى أنْ تَنْتَقِمَ لَهُ مِنْ أعْدائِكَ.
वा बि-इब्क़ा’इका लहू इला अन तन्तक़िमा लहू मिन अ’दा’इका.
और इस वसीले से कि तूने उन्हें ज़िन्दा रखा यहाँ तक कि तू उनके लिए अपने दुश्मनों से बदला ले।
وَيا مُرْسِلَ مُحَمَّدٍ صَلّى اللهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ خاتِمِ أنْبِيائِكَ
वा या मुर्सिला मुहम्मदिन सल्लल्लाहु अ’लैहि वा आलिहि ख़ातिमि अनबिया’इका
और ऐ वह ज़ात जिसने मुहम्मद (स) को—तेरे नबियों के ख़ातिम—भेजा,
إلى أشَرِّ عِبادِكَ بِشَرائِعِكَ الحَسَنَةِ،
इला अशर्रि इ’बादिका बिशराइअ’िका अल-हसनति,
तेरे बंदों में सबसे बुरे लोगों की तरफ़—तेरी हसीन शरीअतों के साथ,
वा दीनिका अल-क़य्यिमि,
और तेरे दीन-ए-क़य्यिम के साथ,
وَمِلَّةِ إبْراهيمَ خَليلِكَ عَلَيْهِ السَّلامُ
वा मिल्लति इब्राहीमा ख़लीलिका अ’लैहिस्सलामु
और तेरे ख़लील इब्राहीम (अ.स.) की मिल्लत के साथ,
وَإظْهارِ دينِهِ القَيِّمِ،
वा इज़्हारि दीनिहि अल-क़य्यिमि,
और उसके दीन-ए-क़य्यिम को ज़ाहिर/ग़ालिब करने के लिए,
वा इ’ला’इका कलिमतहू
और उसके कलिमा को बुलंद करने के लिए।
يا ذا الجَلالِ وَالإكرامِ،
या ज़ल-जालालि वल-इक्रामि,
ऐ ज़ुल-जलाल वल-इकराम,
يا مَنْ لا تَأخُذُهُ سِنَةٌ وَلا نَوْمٌ،
या मन ला तअख़ुज़ुहू सिनतुन वा ला नौमुन,
ऐ वह जिसे न ऊँघ आती है, न नींद,
या अहदु या समदु
ऐ अहद! ऐ समद!
يا عَزيزُ يا قادِرُ يا قاهِرُ،
या अ’ज़ीज़ु या क़ादिरु या क़ाहिरु,
ऐ अज़ीज़! ऐ क़ादिर! ऐ क़ाहिर!
يا ذا القُوَّةِ والسُّلطانِ
या ज़ल-क़ुव्वति वस्सुल्तानِ
ऐ क़ुव्वत और सुल्तान के मालिक,
وَالجَبَروتِ وَالكِبْرِياءِ.
वल-जबरूति वल-किब्रिया’इ.
और जबरूत और किब्रिया के मालिक।
या अ’लिय्यु या क़दीरु
ऐ अली! ऐ क़दीर!
या क़रीबु या मुजीबु,
ऐ क़रीब! ऐ मुजीब!
या हलीमु या मु’ईदु,
ऐ हलीम! ऐ मु’ईद!
या मुतदानी या बअ’ीदु,
ऐ क़रीब करने वाले! ऐ दूर रहने वाले!
या रऊफ़ु या रहीमु
ऐ रऊफ़! ऐ रहीम!
या करीमु या ग़फ़ूरु,
ऐ करीम! ऐ ग़फ़ूर!
या ज़स्सफ़्हि
ऐ दरगुज़र करने वाले,
या मुग़ीसु या मुत्अ’िमु,
ऐ फ़रियाद-रस! ऐ रोज़ी/ख़ुराक देने वाले!
या शाफ़ी या काफ़ी,
ऐ शाफ़ी! ऐ काफ़ी!
या कासी या मु’आफ़ी,
ऐ पहनावा देने वाले! ऐ आफ़ियत देने वाले!
या शाफ़ी अज़्ज़ुर्रि,
ऐ नुक़सान/तकलीफ़ को दूर करने वाले,
يا عَليمُ يا حَكيمُ يا وَدودُ.
या अ’लीमु या हकीमु या वदूदु.
ऐ अलीम! ऐ हकीम! ऐ वदूद!
या ग़फ़ूरु या रहीमु
ऐ ग़फ़ूर! ऐ रहीम!
يا رَحْمانَ الدُّنيا وَالآخِرَةِ،
या रहमान अद्दुन्या वल-आख़िरति,
ऐ दुनिया और आख़िरत के रहमान,
يا ذا الْمَعارِجِ يا ذا القُدْسِ،
या ज़ल-मअ’ारिजि या ज़ल-क़ुद्सि,
ऐ मअ’ारिज (ऊपर उठने के मक़ामात) के मालिक, ऐ क़ुद्स के मालिक,
या ख़ालिक़ु या अ’लीमु
ऐ ख़ालिक़! ऐ अलीम!
या मुफ़र्रिजु या अव्वाबु
ऐ ग़म दूर करने वाले! ऐ अव्वाब!
يا ذا الطَّوْلِ يا خَبيرُ،
या ज़त्तौलि या ख़बीरु,
ऐ फ़ज़्ल-ओ-अता़ के मालिक! ऐ ख़बीर!
يا مَنْ خَلَقَ وَلَمْ يُخْلَقْ
या मन ख़लक़ा वा लम युख़लक़
ऐ वह जिसने पैदा किया और खुद पैदा नहीं किया गया,
يا مَنْ لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ،
या मन लम यलिद् वा लम यूलद्,
ऐ वह जो न जना और न जना गया,
يا مَنْ بانَ مِنَ الأشْياءِ
या मन बाना मिनल-अश्या’इ
ऐ वह जो तमाम चीज़ों से मुनफ़रिद/जुदा है,
وَبانَتِ الأشْياءُ مِنْهُ بِقَهْرِهِ لَها وَخُضوعِها لَهُ،
वा बानतिल-अश्या’उ मिन्हु बि-क़ह्रिहि लहा वा ख़ुदू’इहा लहू,
और तमाम चीज़ें भी उससे जुदा हैं—उसके क़हर की वजह से और उसके सामने उनके ख़ुज़ू’ की वजह से,
يا مَنْ خَلَقَ البِحارَ وَأجْرى الأنْهارَ
या मन ख़लक़ा अल-बिहारَ व अज्रा अल-अनहारَ
ऐ वह जिसने समुंदर पैदा किए और नदियाँ बहाईं,
وَأنْبَتَ الأشْجارَ وَأخْرَجَ مِنْها النّارَ،
वा अंबता अल-अश्जारَ वा अख़रजा मिन्हा अन्नारَ,
और दरख़्त उगाए और उनमें से आग निकाली,
وَمِنْ يابِسِ الأرَضينَ النَّباتَ وَالأعْنابَ وَسائِرَ الثِّمارِ.
वा मिन याबिसि अल-अरदीन अन्नबातَ वल-अ’नाबَ वा साईर अस्सिमारِ.
और सूखी ज़मीन से नबातात, अंगूर, और दूसरे तमाम फल निकालता है।
يا فالِقَ البَحرِ لِعَبْدِهِ موسى عَلَيْهِ السَّلامُ وَمُكَلِّمَهُ،
या फ़ालिक़ा अल-बहरी लिअ’बदिहि मूसा अ’लैहिस्सलामु वा मुकल्लिमहू,
ऐ वह जिसने अपने बंदे मूसा (अ.स.) के लिए समुंदर को चीर दिया और उससे कलाम किया,
وَمُغْرِقَ فِرْعَوْنَ وَحِزْبَهُ
वा मुग़्रिक़ा फ़िर’औना वा हिज़बहू
और फ़िर’औन और उसके गिरोह को डुबो देने वाले,
وَمُهْلِكَ نَمْرودَ وَأشْياعَهُ،
वा मुह्लिका नमरूदा वा अश्या’अहू,
और नमरूद और उसके साथी/पैरवी करने वालों को हलाक करने वाले,
وَمُلَيِّنَ الحَديدِ لِخَليفَتِهِ داوودَ عَلَيْهِ السَّلامُ،
वा मुलय्यिना अल-हदीदि लि-ख़लीफ़तिहि दाऊदा अ’लैहिस्सलामु,
और अपने ख़लीफ़ा दाऊद (अ.स.) के लिए लोहे को नरम करने वाले,
وَمُسَخِّرَ الجِبالِ مَعَهُ يُسَبِّحْنَ بِالغُدُوِّ وَالآصالِ،
वा मुसख़्ख़िर अल-जिबालि मअ’हू युसब्बिह्ना बिल-ग़ुदूव्वि वल-आसालِ,
और पहाड़ों को उनके साथ मुसख़्ख़र करने वाले कि सुबह-शाम तस्बीह करें,
وَمُسَخِّرَ الطَّيْرِ وَالهَوامِّ وَالرِّياحِ وَالجِنِّ وَالإنْسِ لِعَبْدِكَ سُلَيْمانَ عَلَيْهِ السَّلامُ
वा मुसख़्ख़िर अत्तैरि वल-हवाम्मि वर्रियाख़ि वल-जिन्नि वल-इन्सि लिअ’बदिका सुलैमानَ अ’लैहिस्सलामु
और परिंदों, कीड़ों-मकोड़ों, हवाओं, जिन्नों और इंसानों को तेरे बंदे सुलैमान (अ.स.) के लिए मुसख़्ख़र करने वाले,
وأسْألُكَ بِاسْمِكَ الَّذي اهْتَزَّ لَهُ عَرْشُكَ
वा अस-अलुका बिस्मिका अल्लज़ी इह्तज़्ज़ा लहू अ’र्शुका
और मैं तुझसे सवाल करता हूँ—तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तेरा अर्श लरज़ उठा,
وَفَرِحَتْ بِهِ مَلائِكَتُكَ،
वा फ़रिहत् बिहि मलाइ’कतُका,
और तेरे फ़रिश्ते उससे ख़ुश हुए,
फ़ला इलाहा इल्ला अन्तَ
तो तेरे सिवा कोई माबूद नहीं,
خالِقُ النَّسَمَةِ وَبارِئُ النَّوى وَفالِقُ الحَبَّةِ،
ख़ालिक़ु अन्नसमति वा बारिउ अन्नवा वा फ़ालिक़ु अल-हब्बति,
रूहों का ख़ालिक़, बीज का बारी, और दाने को चीरने वाला,
وَبِاسْمِكَ العَزيزِ الجَليلِ الكَبيرِ المُتَعالِ.
वा बिस्मिका अल-अ’ज़ीज़ि अल-जलीलि अल-कबीरी अल-मुतअ’ाली.
और तेरे उस नाम के वसीले से: अज़ीज़, जलील, कबीरे, मुतआ’ली।
وَبِاسْمِكَ الَّذي يَنْفُخُ بِهِ عَبْدُكَ وَمَلَكُكَ إسْرافيلُ عَلَيْهِ السَّلامُ في الصّورِ،
वा बिस्मिका अल्लज़ी यनफ़ुख़ु बिहि अ’बदुका वा मलikuका इस्राफ़ीलु अ’लैहिस्सलामु फ़िस्सूरि,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिसके साथ तेरा बंदा और फ़रिश्ता इस्राफ़ील (अ.स.) सूर में फूँकेगा,
فَيَقومُ أهْلُ القُبورِ سِراعاً إلى الْمَحْشَرِ يَنْسِلونَ،
फ़यक़ूमु अह्लु अल-क़ुबूरि सिराअ’न इला अल-मह्शरि यन्सिलूनَ,
तो क़ब्रों वाले तेज़ी से मह्शर की तरफ़ दौड़ते हुए निकल पड़ेंगे,
وَبِاسْمِكَ الَّذي رَفَعْتَ بِهِ السَّماواتِ مِنْ غَيْرِ عِمادٍ
वा बिस्मिका अल्लज़ी रफ़अ’ता बिहि अस्समावाति मिन ग़ैरि इ’मादिन
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने आसमानों को बिना स्तूनों के बुलंद किया,
وَجَعَلْتَ بِهِ لِلأرَضينَ أوتاداً،
वा जअ’ल्ता बिहि लिल-अरदीन औतादan,
और ज़मीनों के लिए उससे औताद (मेखें/पहाड़) रखीं,
وَبِاسْمِكَ الَّذي سَطَحْتَ بِهِ الأرَضينَ فَوْقَ الماءِ الْمَحْبوسِ،
वा बिस्मिका अल्लज़ी सतह्ता बिहि अल-अरदीन फ़ौक़ अल-माइ’ अल-मह्बूसि,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने ज़मीनों को बंद किए हुए पानी के ऊपर बिछा दिया,
وَبِاسْمِكَ الَّذي حَبَسْتَ بِهِ ذلِكَ الماءَ
वा बिस्मिका अल्लज़ी हबस्ता बिहि ज़ालिका अल-माअ’
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने उस पानी को रोक रखा,
وَبِاسْمِكَ الَّذي حَمَلْتَ بِهِ الأرَضينَ مَنِ اخْتَرْتَهُ لِحَمْلِها،
वा बिस्मika अल्लज़ी हमल्ता बिहि अल-अरदीन मनि अख़्तरतहू लि-हम्लिहा,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने ज़मीनों का बोझ उसे उठवाया जिसे तूने इसके लिए चुना,
وَجَعَلْتَ لَهُ مِنَ القُوَّةِ ما اسْتَعانَ بِهِ عَلى حَمْلِها.
वा जअ’ल्ता लहू मिनल-क़ुव्वति मा इस्तअ’ाना बिहि अ’ला हम्लिहा.
और तूने उसे इतनी क़ुव्वत दी जिससे वह उसे उठाने में मदद ले सका,
وَبِاسْمِكَ الَّذي تَجْري بِهِ الشَّمْسُ وَالقَمَرُ،
वा बिस्मika अल्लज़ी तज्री बिहि अश्शम्सु वल-क़मरु,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे सूरज और चाँद चलते हैं,
وَبِاسْمِكَ الَّذي سَلَخْتَ بِهِ النَّهارَ مِنَ اللَيْلِ،
वा बिस्मika अल्लज़ी सलख़्ता बिहि अन्नहारَ मिनल-लैलِ,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तू रात से दिन को अलग करता है,
وَبِاسْمِكَ الَّذي إذا دُعيتَ بِهِ أنْزَلْتَ أرْزاقَ العِبادِ
वा बिस्मika अल्लज़ी इज़ा दुअ’īta बिहि अन्ज़ल्ता अरज़ाक़ अल-इ’बादِ
और तेरे उस नाम के वसीले से कि जब उसके साथ तुझे पुकारा जाता है तो तू बंदों के रिज़्क़ नाज़िल करता है,
वा जमीअ’ि ख़ल्क़िका
और अपनी तमाम मख़लूक़ के लिए,
वा अरदिका वा बिहारِका
और तेरी ज़मीनों और तेरे समुंदरों के लिए,
وَسُكّانِ البِحارِ وَالهّوامِّ،
वा सुक्कानि अल-बिहारि वल-हवाम्मि,
और समुंदरों के रहने वालों और कीड़ों-मकोड़ों के लिए,
वल-जिन्नि वल-इन्सि
और जिन्न व इंस के लिए,
وَكُلِّ دابَّةٍ أنْتَ آخِذٌ بِناصِيَتِها
वा कुल्लि दाब्बतिन अन्तَ आख़िज़ुन बिनासियतिहा
और हर चलने-फिरने वाली मख़लूक़ के लिए जिसकी पेशानी तू थामे हुए है—
إنَّكَ عَلى كُلِّ شَيْءْ قَديرٌ
इन्नका अ’ला कुल्लि शय’ क़दीरुन.
बेशक तू हर चीज़ पर क़ादिर है।
وَبِاسْمِكَ الَّذي جَعَلْتَ بِهِ لِجَعْفَرَ عَلَيْهِ السَّلامُ جَناحاً يَطيرُ بِهِ مَعَ الْمَلائِكَةِ،
वा बिस्मika अल्लज़ी जअ’ल्ता बिहि लि-जअ’फ़रा अ’लैहिस्सलामु जनाहan यतीरु बिहि मअ’ अल-मलाइ’कati,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने जअ’फ़र (अ.स.) को एक पर अता किया जिससे वह फ़रिश्तों के साथ उड़ते हैं,
وَبِاسْمِكَ الَّذي دَعاكَ بِهِ يُونُسُ عَلَيْهِ السَّلامُ في بَطْنِ الحوتِ فَأخْرَجْتَهُ مِنْهُ،
वा बिस्मika अल्लज़ी दअ’ाका बिहि यूनुसु अ’लैहिस्सलामु फ़ी बत्नि अल-हूति फ़अख़रज्तहू मिन्हु,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे यूनुस (अ.स.) ने मछली के पेट में तुझे पुकारा, तो तूने उन्हें उससे निकाल दिया,
وَبِاسْمِكَ الَّذي أنْبَتَّ بِهِ عَلَيْهِ شَجَرَةً مِنْ يَقْطينٍ،
वा बिस्मika अल्लज़ी अंबत्तَ बिहि अ’लैहि शजरतन मिन यक़्तीनिन,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने उनके ऊपर यक़्तीन (कद्दू) का दरख़्त उगाया,
فَاسْتَجَبْتَ لَهُ وَكَشَفْتَ عَنْهُ ما كانَ فيهِ مَنْ ضيقِ بَطْنِ الحوتِ.
फ़स्तजब्द्ta लहू वा कशफ्तَ अ’न्हू मा काना फ़ीहि मिन द़ीक़ि बत्नि अल-हूति.
तो तूने उनकी दुआ क़ुबूल की और मछली के पेट की तंगी से जो परेशानी थी उसे दूर कर दिया,
أسْألُكَ أنْ تُصَلِّيَ عَلى مُحَمَّدٍ عَبْدِكَ وَرَسولِكَ وَعَلى آلِهِ الطَّيِّبينَ،
अस-अलुका अन तुसल्लिया अ’ला मुहम्मदिन अ’बदिका वा रसूलिका वा अ’ला आलिहि अत्तय्यिबीनَ,
मैं तुझसे सवाल करता हूँ कि तू मुहम्मद—तेरे बंदे और तेरे रसूल—पर और उनकी पाकीज़ा आल पर दरूद भेजे,
وَأنْ تُفَرِّجَ عَنّي وَتَكْشِفَ ضُرّي وَتَسْتَنْقِذَني مِنْ وَرطَتي،
वा अन तुफ़र्रिजा अ’न्नी वा तकशिफ़ा दुर्री वा तस्तन्क़िज़नी मिन वर्तती,
और मेरी तंगी दूर करे, मेरी तकलीफ़ हटाए, और मुझे मेरे उलझाव/मुसीबत से बचा ले,
وَتُخَلِّصَني مِنْ مِحْنَتي،
वा तुख़ल्लिसनी मिन मिह्नती,
और मुझे मेरी आज़माइश से ख़लास करे,
वा तक़्दिया अ’न्नी दय्यूनी,
और मेरे क़र्ज़ अदा करने में मेरी मदद फ़रमा,
وَتُؤَدِّيَ عَنّي أمانَتي،
वा तुअ’द्दिया अ’न्नी अमानती,
और मेरी अमानत अदा कराने में मेरी मदद फ़रमा,
वा तक्बुता अ’दा’ई,
और मेरे दुश्मनों को दबा दे,
وَلا تُشْمِتَ بي حُسّادي،
वा ला तुश्मिता बी हुस्सादी,
और मेरे हसद करने वालों को मेरी मुसीबत पर ख़ुश न होने दे,
وَلا تَبْتَلِيَني بِما لا طاقَةَ لي بِهِ،
वा ला तब्तलियनी बिमा ला ताक़ता ली बिहि,
और मुझे ऐसी आज़माइश में न डाल जिसका मैं बोझ न उठा सकूँ,
وَأنْ تُبَلِّغَني أُمْنِيَّتي،
वा अन तुबल्लिघनी उम्मनिय्यती,
और मेरी आरज़ू/उम्मीद तक मुझे पहुँचा दे,
वा तुसह्हिला ली मिह्नती,
और मेरी मिह्नत/इम्तिहान आसान कर दे,
वा तुयस्सिरा ली इरादती,
और मेरे इरादे को मेरे लिए आसान/मुमकिन बना दे,
وَتُوصِلَني إلى بُغْيَتي،
वा तूसिलनी इला बुघ्यती,
और मुझे मेरी मुराद तक पहुँचा दे,
وَتَجْمَعَ لي خَيْرَ الدّارَيْنِ،
वा तज्मअ’ा ली ख़ैरद्-दारेनِ,
और मेरे लिए दोनों घरों (दुनिया और आख़िरत) की भलाई जमा कर दे,
وَتَحْرُسَني وَكُلَّ مَنْ يُعنيني أمْرُهُ،
वा तहरुसनी वा कुल्ला मन युअ’नीनी अम्रुहू,
और मेरी हिफ़ाज़त फ़रमा—और हर उस शख़्स की भी जिसकी फ़िक्र/ज़िम्मेदारी मुझे है,
بِعَينِكَ الّتي لا تَنامُ في اللَيْلِ وَالنَّهارِ،
बि-अ’यनिका अल्लती ला तनामु फ़िल-लैलि वन्नहारि,
अपनी उस निगाह/चश्म से जो न रात में सोती है न दिन में,
يا ذا الجَلالِ والإكْرامِ وَالأسْماءِ العِظامِ.
या ज़ल-जालालि वल-इक्रामि वल-अस्मा’इ अल-इ’ज़ामि.
ऐ ज़ुल-जलाल वल-इकराम और अज़ीम नामों वाले!
اَللّهُمَّ يا رَبُّ أنا عَبْدُكَ وَابْنُ عَبْدِكَ وَابْنُ أمَتِكَ
अल्लाहुम्मा या रब्बु अना अ’बदुका वब्नु अ’बदिका वब्नु अमतिका
ऐ अल्लाह! ऐ मेरे रब! मैं तेरा बंदा हूँ, और तेरे बंदे का बेटा, और तेरी बांदी का बेटा,
وَمِنْ أوْلِياءِ أهْلِ بَيْتِ نَبِيِّكَ صَلّى اللهُ عَلَيْهِ وَعَلَيْهِمْ،
वा मिन औलिया’इ अह्लि बैति नबिय्यिका सल्लल्लाहु अ’लैहि वा अ’लैहिम्,
और मैं तेरे नबी के अहले-बैत के औलिया/मुहिब्बीन में से हूँ—अल्लाह की सलामती हो उन पर और उन पर,
الَّذينَ بارَكْتَ عَلَيْهِمْ
अल्लज़ीना बारकता अ’लैहिम्
जिन पर तूने बरकत नाज़िल की,
وَرَحِمْتَهُمْ وَصَلَّيْتَ عَلَيْهِمْ
वा रहिम्तहुम् वा सल्लय्ता अ’लैहिम्
और तूने उन पर रहमत की और उन पर दरूद भेजा,
كَما صَلَّيْتَ وَبارَكْتَ عَلى إبْراهيمَ وَآلِ إبراهيمِ
कमा सल्लय्ता वा बारकता अ’ला इब्राहीमा वा आलि इब्राहीम
जैसे तूने इब्राहीम और आले-इब्राहीम पर दरूद और बरकत नाज़िल की,
इन्नका हमीदुन मजीदुन,
बेशक तू हमीद है, मजीद है,
वा लिमज्दिका वा तौलिका,
और तेरे मज्द और तेरे फ़ज़्ल/अता के वसीले से,
أسْألُكَ يا رَبّاهُ يا رَبّاهُ
अस-अलुका या रब्बाहु या रब्बाहु
मैं तुझसे सवाल करता हूँ—ऐ मेरे रब! ऐ मेरे रब!
या रब्बाहु या रब्बाहु
ऐ मेरे रब! ऐ मेरे रब!
या रब्बाहु या रब्बाहु
ऐ मेरे रब! ऐ मेरे रब!
या रब्बाहु या रब्बाहु
ऐ मेरे रब! ऐ मेरे रब!
या रब्बाहु या रब्बाहु
ऐ मेरे रब! ऐ मेरे रब!
بِحَقِّ مُحَمَّدٍ عَبْدِكَ وَرَسولِكَ
बि-हक़्क़ि मुहम्मदिन अ’ब्दिका वा रसूलिका
मुहम्मद—तेरे बंदे और रसूल—के हक़ के वसीले से,
صَلّى اللهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ،
सल्लल्लाहु अ’लैहि वा आलिहि,
अल्लाह की दरूद व सलाम हो उन पर और उनकी आल पर,
وَبِحَقِّكَ عَلى نَفْسِكَ
वा बि-हक़्क़िका अ’ला नफ़्सिका
और तेरे अपने ऊपर जो हक़ तूने मुक़र्रर किया है—उसके वसीले से,
إلاّ خَصَمْتَ أعْدائي وَحُسّادي
इल्ला ख़सम्ता अ’दा’ई वा हुस्सादी
कि तू मेरे दुश्मनों और मेरे हसद करने वालों के मुक़ाबिल/ख़िलाफ़ खड़ा हो जाए,
وَخَذَلْتَهُمْ وَانْتَقَمْتَ لي مِنْهُمْ،
वा ख़ज़ल्तहुम् वन्तक़म्ता ली मिन्हुम्,
और तू उन्हें ज़लील व नामुराद करे, और मेरे लिए उनसे इंतिक़ाम ले,
وَأظْهَرْتَني عَلَيْهِمْ وَكَفَيْتَني أمْرَهُمْ،
वा अज़-हरतनी अ’लैहिम् वा कफ़ैतनी अम्रहुम्,
और तू मुझे उन पर ग़ालिब कर दे, और उनके शर/मामले से मुझे काफ़ी हो जाए,
وَنَصَرْتَني عَلَيْهِمْ وَحَرَسْتَني مِنْهُمْ،
वा नसर्तनी अ’लैहिम् वा हरस्तनी मिन्हुम्,
और तू मेरी मदद फ़रमा कर मुझे उन पर नुसरत दे, और मुझे उनसे महफ़ूज़ रख,
وَوَسَّعْتَ عَلَيَّ في رِزْقي
वा वस्सअ’ता अ’लय्या फी रिज़्क़ी
और मेरे रिज़्क़ में वुसअत/कुशादगी अता फ़रमा,
وَبَلَّغْتَني غايَةَ أمَلي
वा बल्लग़्तनी ग़ायता अमली
और मुझे मेरी उम्मीदों की आख़िरी मंज़िल तक पहुँचा दे,
इन्नका समीअ’ुन मुजीबुन.
बेशक तू सब कुछ सुनने वाला है, दुआ क़बूल करने वाला है।