ज़्यारत ईमाम हुसैन (अ०स०)
रजब की 15वीं रात के लिए ख़ास


अहमियत

शैख़ अल-मुफ़ीद ने अपनी किताब ‘अल-मज़ार’ में ज़ियारत का एक ख़ास तरीक़ा बयान किया है जो इस रात इमाम अल-हुसैन (अ) की मुक़द्दस क़ब्र की ज़ियारत के वक़्त पढ़ा जाता है, जिसे ‘अल-ग़ुफ़ैला (ग़फ़लत की रात)” कहा जाता है, क्योंकि अक्सर लोग इस रात की फ़ज़ीलत से ग़ाफ़िल रहते हैं।
اللّهُ أَكْبَرُ.
अल्लाहु अकबर.
अल्लाह सबसे बड़ा है।

السَّلامُ عَلَيْكُمْ يَا آلَ اللّهِ،
अस्सलामु अलैकुम या आले-ल्लाहि
तुम सब पर सलाम हो, ऐ आल-ए-अल्लाह।

السَّلامُ عَلَيْكُمْ يَا صَفْوَةَ اللّهِ،
अस्सलामु अलैकुम या सफ़्वतल-्लाहि
तुम सब पर सलाम हो, ऐ अल्लाह के बरगुज़ीदा बंदो।

السَّلامُ عَلَيْكُمْ يَا خِيَرَةَ اللّهِ مِنْ خَلْقِهِ،
अस्सलामु अलैकुम या ख़ियरतल-्लाहि मिन ख़ल्क़िहि
तुम सब पर सलाम हो, ऐ अल्लाह की मख़लूक़ में से बेहतरीन।

السَّلامُ عَلَيْكُمْ يَا سَادَةَ السَّادَاتِ،
अस्सलामु अलैकुम या सादतस-सादाति
तुम सब पर सलाम हो, ऐ तमाम सरदारों के सरदार।

السَّلامُ عَلَيْكُمْ يَا لُيُوثَ الغَابَاتِ،
अस्सलामु अलैकुम या लुयूथल-ग़ाबाति
तुम सब पर सलाम हो, ऐ जंगलों के शेरो।

السَّلامُ عَلَيْكُمْ يَا سُفُنَ النَّجَاةِ،
अस्सलामु अलैकुम या सुफ़ुनन-नजाती
तुम सब पर सलाम हो, ऐ निजात की कश्तियो।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا أَبَا عَبْدِاللّهِ الحُسَيْنِ،
अस्सलामु अलैका या अबा अब्दिल्लाहिल-हुसैनि
आप पर सलाम हो, ऐ अबू अब्दिल्लाह अल-हुसैन।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا وَارِثَ عِلْمِ الأَنْبِيَاءِ وَرَحْمَةُ اللّهِ وَبَرَكَاتُهُ،
अस्सलामु अलैका या वारिसा इल्मिल-अंबियाइ व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
आप पर सलाम, और अल्लाह की रहमत व बरकतें हों; ऐ अंबिया के इल्म के वारिस।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا وَارِثَ آدَمَ صَفْوَةِ اللّهِ،
अस्सलामु अलैका या वारिसा आदमा सफ़्वतिल्लाहि
आप पर सलाम हो; ऐ आदम (अ) के वारिस, जो अल्लाह के बरगुज़ीदा थे।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا وَارِثَ نُوحٍ نَبِيِّ اللّهِ،
अस्सलामु अलैका या वारिसा नूहिन नबिय्यिल्लाहि
आप पर सलाम हो; ऐ नूह (अ) के वारिस, जो अल्लाह के नबी थे।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا وَارِثَ إِبْرَاهِيمَ خَلِيلِ اللّهِ،
अस्सलामु अलैका या वारिसा इब्राहीमा ख़लीलिल्लाहि
आप पर सलाम हो; ऐ इब्राहीम (अ) के वारिस, जो अल्लाह के ख़लील थे।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا وَارِثَ إِسْمَاعِيلَ ذَبِيحِ اللّهِ،
अस्सलामु अलैका या वारिसा इस्माईला ज़बीहिल्लाहि
आप पर सलाम हो; ऐ इस्माईल (अ) के वारिस, जो अल्लाह के हुक्म से ज़बीह होने वाले थे।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا وَارِثَ مُوسَى كَلِيمِ اللّهِ،
अस्सलामु अलैका या वारिसा मूसा कलीमिल्लाहि
आप पर सलाम हो; ऐ मूसा (अ) के वारिस, जो कलीमुल्लाह थे।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا وَارِثَ عِيسَى رُوحِ اللّهِ،
अस्सलामु अलैका या वारिसा ईसा रूहिल्लाहि
आप पर सलाम हो; ऐ ईसा (अ) के वारिस, जो रूहुल्लाह थे।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا وَارِثَ مُحَمَّدٍ حَبِيبِ اللّهِ،
अस्सलामु अलैका या वारिसा मुहम्मदिन हबीबिल्लाहि
आप पर सलाम हो; ऐ मुहम्मद (स) के वारिस, जो अल्लाह के हबीब हैं।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَابْنَ مُحَمَّدٍ المُصْطَفَى،
अस्सलामु अलैका यब्न मुहम्मदिनल-मुस्तफ़ा
आप पर सलाम हो; ऐ मुहम्मद अल-मुस्तफ़ा (स) के फ़र्ज़ंद।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَابْنَ عَلِيٍّ المُرْتَضَى،
अस्सलामु अलैका यब्न अलीय्यिल-मुर्तज़ा
आप पर सलाम हो; ऐ अली अल-मुर्तज़ा (अ) के फ़र्ज़ंद।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَابْنَ فَاطِمَةَ الزَّهْرَاءِ،
अस्सलामु अलैका यब्न फातिमतज़-ज़हरा
आप पर सलाम हो; ऐ फ़ातिमा ज़हरा (स) के फ़र्ज़ंद।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَابْنَ خَدِيجَةَ الكُبْرَى،
अस्सलामु अलैका यब्न खदीजतल-कुबरा
आप पर सलाम हो; ऐ ख़दीजा-ए-कुबरा (स) के फ़र्ज़ंद।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا شَهِيدُ ابْنَ الشَّهِيدِ،
अस्सलामु अलैका या शहीदु इब्नश-शहीद
आप पर सलाम हो; ऐ शहीद, शहीद के फ़र्ज़ंद।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا قَتِيلُ ابْنَ القَتِيلِ،
अस्सलामु अलैका या क़तीलु इब्नल-क़तील
आप पर सलाम हो; ऐ क़तील, क़तील के फ़र्ज़ंद।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا وَلِيَّ اللّهِ وَابْنَ وَلِيِّهِ،
अस्सलामु अलैका या वलिय्यल्लाहि वब्न वलिय्यिहि
आप पर सलाम हो; ऐ वली-ए-अल्लाह और वली-ए-अल्लाह के फ़र्ज़ंद।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا حُجَّةَ اللّهِ وَابْنَ حُجَّتِهِ عَلَى خَلْقِهِ،
अस्सलामु अलैका या हुज्जतल्लाहि वब्न हुज्जतिहि अला ख़ल्क़िहि
आप पर सलाम हो; ऐ हुज्जत-ए-अल्लाह, और उसकी मख़लूक़ पर उसकी हुज्जत के फ़र्ज़ंद।

أَشْهَدُ أَنَّكَ قَدْ أَقَمْتَ الصَّلاةَ،
अश्हदु अन्नका क़द अक़म्तस्सलाता
मैं गवाही देता/देती हूँ कि आपने नमाज़ क़ायम की,

وَآتَيْتَ الزَّكَاةَ،
व आतैतज़्ज़काता
और आपने ज़कात अदा की,

وَأَمَرْتَ بِالمَعْرُوفِ،
व अमर्त बिल-मअ’रूफ़ि
और आपने नेकी का हुक्म दिया,

وَنَهَيْتَ عَنِ المُنْكَرِ،
व नहैत अ’निल-मुनकरि
और आपने बुराई से रोका,

وَرُزِئْتَ بِوَالِدَيْكَ،
व रुज़ी’ता बि-वालेदैका
और आप अपने वालिदैन से महरूम कर दिए गए,

وَجَاهَدْتَ عَدُوَّكَ،
व जाहद्ता अ’दुव्वका
और आपने अपने दुश्मन के मुक़ाबले में जिहाद किया।

وَأَشْهَدُ أَنَّكَ تَسْمَعُ الكَلامَ،
व अश्हदु अन्नका तस्मअ’ुल-कलामा
और मैं गवाही देता/देती हूँ कि आप (अब) बात सुनते हैं,

وَتَرُدُّ الجَوَابَ،
व तरुद्दुल-जवाबा
और जवाब देते हैं,

وَأَنَّكَ حَبِيبُ اللّهِ وَخَلِيلُهُ وَنَجِيبُهُ
व अन्नका हबीबुल्लाहि व ख़लीलुहू व नजीबुहू
और बेशक आप अल्लाह के महबूब, उसके ख़लील और उसके चुने हुए बंदे हैं,

وَصَفِيُّهُ وَابْنُ صَفِيِّهِ،
व सफ़िय्युहू वब्नु सफ़िय्यिहि
और उसके बरगुज़ीदा, और उसके बरगुज़ीदा के फ़र्ज़ंद हैं।

يَا مَوْلايَ وَابْنَ مَوْلايَ
या मौलाया वब्न मौलाया
ऐ मेरे मौला, और मेरे मौला के फ़र्ज़ंद!

زُرْتُكَ مُشْتَاقاً
ज़ुरतूका मुश्ताक़न
मैं शौक़ व मुहब्बत के साथ आपकी ज़ियारत को आया/आई हूँ,

فَكُنْ لِي شَفِيعاً إِلَى اللّهِ يَا سَيِّدِي،
फ़कुन ली शफ़ीअ’न इलल्लाहि या सैय्यिदी
तो ऐ मेरे सैय्यिद, अल्लाह के हज़ूर मेरे लिए शफ़ाअत करने वाले बन जाइए,

وَأَسْتَشْفِعُ إِلَى اللّهِ بِجَدِّكَ سَيِّدِ النَّبِيِّينَ،
व अस्तश्फिअ’ु इलल्लाहि बि-जद्दिका सैय्यिदिन-नबिय्यीना
और मैं अल्लाह के हज़ूर आपके नाना—सैय्यिदुन-नबिय्यीन—के ज़रिए शफ़ाअत चाहता/चाहती हूँ,

وَبِأَبِيكَ سَيِّدِ الوَصِيِّينَ،
व बि-अबीका सैय्यिदिल-वसिय्यीना
और आपके वालिद—सैय्यिदुल-वसिय्यीन—के ज़रिए,

وَبِأُمِّكَ فَاطِمَةَ سَيِّدَةِ نِسَاءِ العَالَمِينَ،
व बि-उम्मिका फ़ातिमता सैय्यिदति निसाइ ल-आलमीना
और आपकी वालिदा फ़ातिमा—सैय्यिदतुन निसाइ-ल-आलमीन—के ज़रिए।

أَلا لَعَنَ اللّهُ قَاتِلِيكَ،
अला लअ’ना-ल्लाहु क़ातिलीक
ख़बरदार! अल्लाह उन पर लानत करे जिन्होंने आपको क़त्ल किया,

وَلَعَنَ اللّهُ ظَالِمِيكَ،
व लअ’ना-ल्लाहु ज़ालिमीक
और अल्लाह उन पर लानत करे जिन्होंने आप पर ज़ुल्म किया,

وَلَعَنَ اللّهُ سَالِبِيكَ وَمُبْغِضِيكَ مِنَ الأَوَّلِينَ وَالآخِرِينَ،
व लअ’ना-ल्लाहु सालिबीक व मुब्ग़िज़ीक मिनल-अव्वलीना वल-आख़िरीना
और अल्लाह उन पर लानत करे जिन्होंने आपका हक़ छीना, और जो अगलों और पिछलों में से आपके दुश्मन रहे।

وَصَلَّى اللّهُ عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ وَآلِهِ الطَّيِّبِينَ الطَّاهِرِينَ.
व सल्ला-ल्लाहु अला सैय्यिदिना मुहम्मदिन व आलेहित-तय्यिबीना त्ताहिरीन
और अल्लाह हमारे सैय्यिद मुहम्मद (स) और उनकी पाक व पाकीज़ा आल पर दुरूद भेजे।

अब आप मुक़द्दस क़ब्र को बोसा दे सकते हैं और फिर अली इब्न अल-हुसैन (अ) की क़ब्र की तरफ़ रुख़ करके उनकी ज़ियारत के लिए जाएँ। वहाँ आप यह कह सकते हैं:
السَّلامُ عَلَيْكَ يَا مَوْلايَ وَابْنَ مَوْلايَ،
अस्सलामु अलैका या मौलाया वब्न मौलाया
आप पर सलाम हो, ऐ मेरे मौला और मेरे मौला के फ़र्ज़ंद।

لَعَنَ اللّهُ قَاتِلِيكَ،
लअ’ना-ल्लाहु क़ातिलीक
अल्लाह उन पर लानत करे जिन्होंने आपको क़त्ल किया।

وَلَعَنَ اللّهُ ظَالِمِيكَ،
व लअ’ना-ल्लाहु ज़ालिमीक
और अल्लाह उन पर लानत करे जिन्होंने आप पर ज़ुल्म किया।

إِنِّي أَتَقَرَّبُ إِلَى اللّهِ بِزِيَارَتِكُمْ وَبِمَحَبَّتِكُمْ،
इन्नी अतक़र्रबु इलल्लाहि बिज़ियारतिकुम व बि-महब्बतिकुम
बेशक मैं आपकी ज़ियारत और आपकी मुहब्बत के ज़रिए अल्लाह की क़ुरबत चाहता/चाहती हूँ,

وَأَبْرَأُ إِلَى اللّهِ مِنْ أَعْدَائِكُمْ،
व अब्रअ’ु इलल्लाहि मिन अ’दाइ कुम
और मैं आपके दुश्मनों से अल्लाह के सामने बरी (अलग) होता/होती हूँ,

وَالسَّلامُ عَلَيْكَ يَا مَوْلايَ وَرَحْمَةُ اللّهِ وَبَرَكَاتُهُ.
व अस्सलामु अलैका या मौलाया व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
और आप पर सलाम हो, ऐ मेरे मौला, और अल्लाह की रहमत व बरकतें।

फिर आप शुहदा (शहीदों) की क़ब्रों की तरफ़ जा सकते हैं—अल्लाह की रज़ा उन पर हो—और वहाँ ठहर कर यह कहें:

السَّلامُ عَلَى الأَرْوَاحِ المُنِيخَةِ بِقَبْرِ أَبِي عَبْدِاللّهِ الحُسَيْنِ،
अस्सलामु अला ल-अरवाहिल-मुनीख़ति बि-क़ब्रि अबी अब्दिल्लाहिल-हुसैनि
सलाम हो उन रूहों पर जो अबू अब्दिल्लाह अल-हुसैन (अ) की क़ब्र के पास ठहरी हुई हैं।

السَّلامُ عَلَيْكُمْ يَا طَاهِرِينَ مِنَ الدَّنَسِ،
अस्सलामु अलैकुम या ताहिरीना मिनद-दनसि
तुम सब पर सलाम हो, ऐ हर नापाकी से पाक किए हुए।

السَّلامُ عَلَيْكُمْ يَا مَهْدِيُّونَ،
अस्सलामु अलैकुम या मह्दिय्यूना
तुम सब पर सलाम हो, ऐ हिदायत पाए हुए।

السَّلامُ عَلَيْكُمْ يَا أَبْرَارَ اللّهِ،
अस्सलामु अलैकुम या अबरारल-्लाहि
तुम सब पर सलाम हो, ऐ अल्लाह के नेक बंदो।

السَّلامُ عَلَيْكُمْ وَعَلَى المَلائِكَةِ الحَافِّينَ بِقُبُورِكُمْ أَجْمَعِينَ،
अस्सलामु अलैकुम व अला ल-मलाइकतिल-हाफ्फीना बि-क़ुबूरिकुम अज्मअ’ीना
तुम सब पर सलाम हो, और उन फ़रिश्तों पर भी जो तुम्हारी तमाम क़ब्रों के गिर्द हैं।

جَمَعَنَا اللّهُ وَإِيَّاكُمْ فِي مُسْتَقَرِّ رَحْمَتِهِ
जमअ’ना-ल्लाहु व इय्याकुम फी मुस्तक़र्रि रहमतिहि
अल्लाह हमें और तुम्हें अपनी रहमत के मुक़ाम में जमा फ़रमाए,

وَتَحْتَ عَرْشِهِ إِنَّهُ أَرْحَمُ الرَّاحِمِينَ،
व त़ह्ता अर्शिहि इन्नहू अरहमुर-राहिमीना
और अपने अर्श के साए तले। बेशक वह सबसे बढ़ कर रहम करने वाला है,

وَالسَّلامُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللّهِ وَبَرَكَاتُهُ.
व अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
और तुम सब पर सलाम हो, और अल्लाह की रहमत व बरकतें।

आप इसके बाद अमीरुल मो’मिनीन के फ़र्ज़ंद अल-अब्बास (अ) के रौज़े की तरफ़ जा सकते हैं—दोनों पर सलाम हो। जब आप वहाँ पहुँचें तो गुंबद के दरवाज़े पर ठहर कर यह पढ़ें:
سَلامُ اللّهِ وَسَلامُ مَلائِكَتِهِ المُقَرَّبِينَ،
सलामुल्लाहि व सलामु मलाइ-कतिहिल-मुक़र्रबीना
अल्लाह का सलाम और उसके मुक़र्रब फ़रिश्तों का सलाम,

وَأَنْبِيَائِهِ المُرْسَلِينَ،
व अंबियाइहिल-मुरसलीना
और उसके भेजे हुए नबियों का सलाम,

وَعِبَادِهِ الصَّالِحِينَ،
व इबादिहिस्सालिहीना
और उसके नेक बंदों का सलाम,

وَجَمِيعِ الشُّهَدَاءِ وَالصِّدِّيقِينَ،
व जमीइ’श्शुहदाइ वस्सिद्दीक़ीना
और तमाम शहीदों व सिद्दीक़ों का सलाम,

وَالزَّاكِيَاتُ الطَّيِّبَاتُ فِيمَا تَغْتَدِي وَتَرُوحُ
वज़्ज़ाकियातुत्तय्यिबातु फ़ीमा तग़्तदी व तरूहु
और पाक व तय्यिब बरकतें जो आती-जाती रहती हैं,

عَلَيْكَ يَابْنَ أَمِيرِ المُؤْمِنِينَ،
अलैका यब्न अमीरिल-मु’मिनीना
आप पर हों—ऐ अमीरुल मो’मिनीन के फ़र्ज़ंद,

أَشْهَدُ لَكَ بِالتَّسْلِيمِ وَالتَّصْدِيقِ وَالوَفَاءِ
अश्हदु लका बित्तस्लीमि वत्तस्दीक़ि वल-वफ़ाइ
मैं गवाही देता/देती हूँ कि आपने (हुक्म-ए-इलाही के आगे) सर-ए-तस्लीम, तस्दीक़ और वफ़ादारी दिखाई,

وَالنَّصِيحَةِ لِخَلَفِ النَّبِيِّ صَلَّى اللّهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ المُرْسَلِ،
वन्नसीहति लि-ख़लफ़िन-नबिय्यि सल्लल्लाहु अ’लैहि व आलेहिल-मुरसली
और रसूल-ए-मुरसल (स) के जाँनशीन के लिए ख़ैरख़्वाही (नसीहत) की—अल्लाह की सलात उनके और उनकी आल पर हो—

وَالسِّبْطِ المُنْتَجَبِ،
वस्सिब्तिल-मुन्तजबि
और चुने हुए नवासे के लिए,

وَالدَّلِيلِ العَالِمِ،
वद्दलीलिल-आलिमि
और आलिम रहनुमा (दलील) के लिए,

وَالوَصِيِّ المُبَلِّغِ،
वल-वसिय्यिल-मुबल्लिग़ि
और (अहकाम/पैग़ाम) पहुँचाने वाले वसी के लिए,

وَالمَظْلُومِ المُهْتَضَمِ،
वल-मज़्लूमिल-मुहतदमी
और उस मज़लूम के लिए जिस पर सितम ढाया गया—(यानी इमाम हुसैन बिन अली)।

فَجَزَاكَ اللّهُ عَنْ رَسُولِهِ وَعَنْ أَمِيرِ المُؤْمِنِينَ
फ़जज़ाका-ल्लाहु अ’न रसूलिहि व अ’न अमीरिल-मु’मिनीना
तो अल्लाह आपको अपने रसूल की तरफ़ से और अमीरुल मो’मिनीन की तरफ़ से अज्र अता फ़रमाए,

وَعَنِ الحَسَنِ وَالحُسَيْنِ
व अ’निल-हसन वल-हुसैन
और हसन व हुसैन की तरफ़ से,

صَلَوَاتُ اللّهِ عَلَيْهِمْ
सलवातुल्लाहि अ’लैहिम
अल्लाह की सलात उन पर हो,

أَفْضَلَ الجَزَاءِ بِمَا صَبَرْتَ وَاحْتَسَبْتَ وَأَعَنْتَ
अफ़ज़लल-जज़ाइ बिमा सबर्त वहतसبت व अ’अन्त
बेहतर-से-बेहतर बदला—आपके सब्र, इह्तिसाब और नुसरत के बदले।

فَنِعْمَ عُقْبَى الدَّارِ،
फ़नि’मा उ’क़्बाद्दारि
तो क्या ही बेहतरीन है आख़िरत का अंजाम।

لَعَنَ اللّهُ مَنْ قَتَلَكَ،
लअ’ना-ल्लाहु मन् क़तलक
अल्लाह की लानत हो उस पर जिसने आपको क़त्ल किया,

وَلَعَنَ اللّهُ مَنْ جَهِلَ حَقَّكَ،
व लअ’ना-ल्लाहु मन् जहिला हक़्क़क
और अल्लाह की लानत हो उस पर जिसने आपके हक़ को न पहचाना,

وَاسْتَخَفَّ بِحُرْمَتِكَ،
वस्तख़फ़्फ़ा बि-हुरमतिका
और आपकी हुरमत को हल्का समझा।

وَلَعَنَ اللّهُ مَنْ حَالَ بَيْنَكَ وَبَيْنَ مَاءِ الفُرَاتِ،
व लअ’ना-ल्लाहु मन् हाला बैनक व बैन माईल-फुराति
और अल्लाह की लानत हो उस पर जिसने आपके और फ़ुरात के पानी के दरमियान हाइल हुआ।

أَشْهَدُ أَنَّكَ قُتِلْتَ مَظْلُوماً،
अश्हदु अन्नका क़ुतिल्ता मज़्लूमन
मैं गवाही देता/देती हूँ कि आपको मज़लूमाना शहीद किया गया,

وَأَنَّ اللّهَ مُنْجِزٌ لَكُمْ مَا وَعَدَكُمْ،
व अन्नल्लाह मुंजिज़ुन लकुम मा वअ’दकुम
और बेशक अल्लाह तुमसे किया हुआ अपना वादा पूरा करने वाला है,

جِئْتُكَ يَابْنَ أَمِيرِ المُؤْمِنِينَ وَافِداً إِلَيْكُمْ
जी’तुक यब्न अमीरिल-मु’मिनीना वाफिदन इलैकुम
ऐ अमीरुल मो’मिनीन के फ़र्ज़ंद! मैं आपकी बारगाह में हाज़िर हुआ/हुई हूँ,

وَقَلْبِي مُسَلِّمٌ لَكُمْ وَتَابِعٌ،
व क़ल्बी मुसल्लिमुन लकुम व ताबिअ’ुन
और मेरा दिल तुम्हारे लिए सर-तस्लीम ख़म है और (तुम्हारा) पैरवीकार है,

وَأَنَا لَكُمْ تَابِعٌ،
व अना लकुम ताबिअ’ुन
और मैं तुम्हारा ताबे’ (पैरवी) हूँ,

وَنُصْرَتِي لَكُمْ مُعَدَّةٌ
व नुस्रती लकुम मुअ’द्दतुन
और मेरी मदद तुम्हारे लिए तैयार है,

حَتَّى يَحْكُمَ اللّهُ وَهُوَ خَيْرُ الحَاكِمِينَ،
हत्ता यह्कुमा-ल्लाहु व हुआ ख़ैरुल-हाकिमीना
यहाँ तक कि अल्लाह फैसला फ़रमाए; और वही सबसे बेहतर हुक्म करने वाला है,

فَمَعَكُمْ مَعَكُمْ لا مَعَ عَدُوِّكُمْ،
फ़मअ’कुम मअ’कुम ला मअ’ अ’दुव्विकुम
तो मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हारे साथ—तुम्हारे दुश्मन के साथ नहीं,

إِنِّي بِكُمْ وَبِإِيَابِكُمْ مِنَ المُؤْمِنِينَ،
इन्नी बिकुम व बि-ईयाबिकुम मिनल-मु’मिनीना
मैं तुम पर ईमान रखने वालों में से हूँ, और तुम्हारी वापसी (रजअत) पर ईमान रखने वालों में से हूँ,

وَبِمَنْ خَالَفَكُمْ وَقَتَلَكُمْ مِنَ الكَافِرِينَ،
व बि-मन् ख़ालफ़कुम व क़तलकुम मिनल-काफ़िरीना
और मैं उन लोगों से बेज़ार हूँ जो तुम्हारे मुख़ालिफ़ रहे और जिन्होंने तुम्हें क़त्ल किया—काफ़िरों में से,

قَتَلَ اللّهُ أُمَّةً قَتَلَتْكُمْ بِالأَيْدِي وَالأَلْسُنِ.
क़तला-ल्लाहु उम्मतन क़तलत्कुम बिल-अय्दी वल-अल्सुनी
अल्लाह हलाक करे उस गिरोह को जिसने तुम्हें हाथों और ज़बानों से (हुक्म देकर/उकसाकर) क़त्ल किया।

आप फिर अंदर दाख़िल हो सकते हैं, क़ब्र पर गिर जाएँ, और कहें:
السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا العَبْدُ الصَّالِحُ
अस्सलामु अ’लैका अय्युहल-अ’ब्दुस्सालिहु
आप पर सलाम हो; ऐ नेक बंदे (अल्लाह के),

المُطِيعُ لِلّهِ وَلِرَسُولِهِ وَلأَمِيرِ المُؤْمِنِينَ
अल-मुतीउ लिल्लाहि व लिरसूलिहि व लि-अमीरिल-मु’मिनीना
जो अल्लाह, उसके रसूल और अमीरुल मो’मिनीन के इताअत-गुज़ार हैं,

وَالحَسَنِ وَالحُسَيْنِ صَلَّى اللّهُ عَلَيْهِمْ وَسَلَّمَ،
वल-हसनि वल-हुसैनि सल्लल्लाहु अ’लैहिम व सल्लमा
और हसन व हुसैन के (भी)—अल्लाह की सलात और सलाम उन पर हो,

السَّلامُ عَلَيْكَ وَرَحْمَةُ اللّهِ وَبَرَكَاتُهُ
अस्सलामु अ’लैक व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
आप पर सलाम, अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें,

وَمَغْفِرَتُهُ وَرِضْوَانُهُ وَعَلَى رُوحِكَ وَبَدَنِكَ،
व मग़्फ़िरतुहु व रिज़्वानुहु व अ’ला रूहिका व बदनिका
और उसकी मग़्फ़िरत व रिज़्वान—और आपकी रूह और आपके बदन पर,

أَشْهَدُ وَأُشْهِدُ اللّهَ أَنَّكَ مَضَيْتَ عَلَى مَا مَضَى بِهِ البَدْرِيُّونَ
अश्हदु व उश्हिदुल्लाहा अन्नका मज़ैत अ’ला मा मज़ा बिहिल-बद्रिय्यूना
मैं गवाही देता/देती हूँ और अल्लाह को गवाह बनाता/बनाती हूँ कि आप उसी रास्ते पर चले जिस पर बद्र के मुजाहिद चले,

وَالمُجَاهِدُونَ فِي سَبِيلِ اللّهِ،
वल-मुजाहिदूना फ़ी सबीलिल्लाहि
और अल्लाह की राह में जिहाद करने वाले,

المُنَاصِحُونَ لَهُ فِي جِهَادِ أَعْدَائِهِ،
अल-मुनासिहूना लहू फ़ी जिहादि अ’अ’दाइहِ
जो उसके दुश्मनों के मुक़ाबले में जिहाद में उसके सच्चे ख़ैरख़्वाह रहे,

المُبَالِغُونَ فِي نُصْرَةِ أَوْلِيَائِهِ،
अल-मुबालिघूना फ़ी नुस्रति औलियाइहِ
जो उसके औलिया की मदद में भरपूर कोशिश करने वाले रहे,

الذَّابُّونَ عَنْ أَحِبَّائِهِ،
अज़्-ज़ाब्बूना अ’न अहिब्बाइहِ
और उसके महबूब बंदों का दिफ़ाअ करने वाले रहे।

فَجَزَاكَ اللّهُ أَفْضَلَ الجَزَاءِ،
फ़जज़ाकल्लाहु अफ़ज़लल-जज़ाइ
तो अल्लाह आपको बेहतरीन बदला अता फ़रमाए,

وَأَكْثَرَ الجَزَاءِ،
व अक़्सरल-जज़ाइ
और सबसे ज़्यादा बदला,

وَأَوْفَرَ الجَزَاءِ،
व औफ़रल-जज़ाइ
और सबसे वाफ़िर बदला,

وَأَوْفَى جَزَاءِ أَحَدٍ مِمَّنْ وَفَى بِبَيْعَتِهِ،
व औफ़ा जज़ाइ अहदिन मिम्मन वफ़ा बिबैअ’तिहِ
और उस शख़्स को मिलने वाले बदले में सबसे मुकम्मल बदला, जिसने अपनी बैअ’त पूरी की,

وَاسْتَجَابَ لَهُ دَعْوَتَهُ،
वस्तजाबा लहू दअ’वतहू
और उसके दअ’वत पर लब्बैक कहा,

وَأَطَاعَ وُلاةَ أَمْرِهِ.
व अताअ’ वुलाता अम्रिहِ
और उसके (मुन्तख़ब) रहबरों की इताअत की।

أَشْهَدُ أَنَّكَ قَدْ بَالَغْتَ فِي النَّصِيحَةِ،
अश्हदु अन्नका क़द बालघ्ता फ़िन्नसीहति
मैं गवाही देता/देती हूँ कि आपने नसीहत/ख़ैरख़्वाही में आख़िरी हद तक कोशिश की,

وَأَعْطَيْتَ غَايَةَ المَجْهُودِ،
व अ’अ’तैता ग़ायतल-मज्हूदि
और अपनी पूरी ताक़त और कोशिश लगा दी।

فَبَعَثَكَ اللّهُ فِي الشُّهَدَاءِ،
फ़बअ’सकल्लाहु फ़िश्शुहदाइ
तो अल्लाह आपको शुहदा के साथ उठाए,

وَجَعَلَ رُوحَكَ مَعَ أَرْوَاحِ السُّعَدَاءِ،
व जअ’ला रूहका मअ’ अर्वाहिस्सुअ’दाइ
और आपकी रूह को सआदतमंदों की रूहों के साथ क़रार दे,

وَأَعْطَاكَ مِنْ جِنَانِهِ أَفْسَحَهَا مَنْزِلاً،
व अ’अ’ताका मिन जिनानिहِ अफ़सहहा मंज़िलन
और अपनी जन्नतों में आपको सबसे वसीअ मक़ाम अता करे,

وَأَفْضَلَهَا غُرَفاً،
व अफ़ज़लहा ग़ुरफ़न
और उनमें सबसे बेहतरीन ग़ुरफ़ा (मकान/कक्ष) दे,

وَرَفَعَ ذِكْرَكَ فِي عِلِّيِّينَ،
व रफ़अ’ ज़िक्रका फ़ी इ’ल्लीयीना
और आपका ज़िक्र इ’ल्लीयीन में बुलंद करे,

وَحَشَرَكَ مَعَ النَّبِيِّينَ وَالصِّدِّيقِينَ
व हशरका मअ’न-नबिय्यीना वस्सिद्दीक़ीना
और आपको नबियों और सिद्दीक़ों के साथ महशूर करे,

وَالشُّهَدَاءِ وَالصَّالِحِينَ
वश्शुहदाइ वस्सालिहीना
और शहीदों और नेक लोगों के साथ,

وَحَسُنَ أُولئِكَ رَفِيقاً.
व हसुन उला’इका रफ़ीक़न
और क्या ही बेहतरीन है उनका साथ।

أَشْهَدُ أَنَّكَ لَمْ تَهِنْ وَلَمْ تَنْكُلْ،
अश्हदु अन्नका लम् तहिन व लम् तनकुल
मैं गवाही देता/देती हूँ कि आप न कमज़ोर पड़े और न पीछे हटे,

وَأَنَّكَ مَضَيْتَ عَلَى بَصِيرَةٍ مِنْ أَمْرِكَ،
व अन्नका मज़ैत अ’ला बसीरतम् मिन अम्रिक
और आप अपने अम्र में पूरी बसीरत के साथ चले,

مُقْتَدِياً بِالصَّالِحِينَ،
मुक़्तदियन बिस्सालिहीना
नेक लोगों की पैरवी करते हुए,

وَمُتَّبِعاً لِلنَّبِيِّينَ،
व मुत्तबिअ’न लिन्नबिय्यीना
और नबियों के नक़्शे-क़दम पर चलते हुए।

فَجَمَعَ اللّهُ بَيْنَنَا وَبَيْنَكَ
फ़जमअ’ल्लाहु बैनना व बैनक
तो अल्लाह हमें और आपको एक साथ करे,

وَبَيْنَ رَسُولِهِ وَأَوْلِيَائِهِ
व बैन रसूलिहِ व औलियाइहِ
और उसके रसूल व औलिया के साथ,

فِي مَنَازِلِ المُخْبِتِينَ
फ़ी मनाज़िलिल-मुख़्बितीना
उनकी मंज़िलों में जो अपने रब के आगे ख़ुज़ूअ/इन्किसार वाले हैं,

فَإِنَّهُ أَرْحَمُ الرَّاحِمِينَ.
फ़इन्नहू अरहमुर-राहिमीना
बेशक वही सबसे ज़्यादा रहम करने वाला है।

यह ज़ियारत इस तरह कहना मुनासिब है कि मुक़द्दस क़ब्र के पीछे खड़े हों और क़िब्ला की तरफ़ रुख़ करके पढ़ें—जैसा कि शैख़ अत-तूसी ने अपनी किताब ‘तहज़ीबुल-अहकाम’ में भी सलाह दी है। फिर आप अंदर दाख़िल हों, क़ब्र पर गिर जाएँ, और क़िब्ला की तरफ़ रुख़ करते हुए यह कहें:
السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا العَبْدُ الصَّالِحُ.
अस्सलामु अ’लैका अय्युहल-अ’ब्दुस्सालिहु
आप पर सलाम हो; ऐ नेक बंदे (अल्लाह के)।

पहले बयान की गई रिवायत के मुताबिक़, अल-अब्बास (अ) की ज़ियारत यहीं मुकम्मल होती है। लेकिन सय्यिद इब्न तावूस और शैख़ अल-मुफीद, और दूसरे उलमा ने यह आगे भी जोड़ा है:
फिर आप सिरहाने की तरफ़ रुख़ करें और दो रकअत नमाज़ पढ़ें। उसके बाद जितनी चाहें नमाज़ें पढ़ें। और अल्लाह तआला से गिड़गिड़ा कर दुआ करें। इन नमाज़ों के बाद आप यह कहें:
اللّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन वा आलि मुहम्मदिन
ऐ अल्लाह! (मेहरबानी फरमा कर) मुहम्मद और आले मुहम्मद पर दरूद भेज।

وَلا تَدَعْ لِي فِي هذَا المَكَانِ المُكَرَّمِ وَالمَشْهَدِ المُعَظَّمِ ذَنْباً إِلاَّ غَفَرْتَهُ،
व ला तदअ’ ली फी हाज़ल-मकानिल-मुकर्रमि वल-मश्हदिल-मुअ’ज़्ज़मि ज़न्बन इल्ला ग़फ़रतहू
और इस मुकर्रम मक़ाम और इस मुअ’ज़्ज़म मशहद में मेरा कोई गुनाह ऐसा न छोड़ कि तू उसे बख़्श न दे,

وَلا هَمّاً إِلاَّ فَرَّجْتَهُ،
व ला हम्मन इल्ला फ़र्रज्तहू
और कोई हम/रंज ऐसा न छोड़ कि तू उसे दूर न कर दे,

وَلا مَرَضاً إِلاَّ شَفَيْتَهُ،
व ला मरज़न इल्ला शफ़ैतहू
और कोई बीमारी ऐसी न छोड़ कि तू उसे शिफ़ा न दे,

وَلا عَيْباً إِلاَّ سَتَرْتَهُ،
व ला अ’यबन इल्ला सतरतहू
और कोई ऐब ऐसा न छोड़ कि तू उसे ढाँप न दे,

وَلا رِزْقاً إِلاَّ بَسَطْتَهُ،
व ला रिज़्क़न इल्ला बसत्तहू
और कोई रिज़्क़ ऐसा न छोड़ कि तू उसे वसीअ न कर दे,

وَلا خَوْفاً إِلاَّ آمَنْتَهُ،
व ला खौफ़न इल्ला आमन्तहू
और कोई ख़ौफ़ ऐसा न छोड़ कि तू उसे अम्न में न बदल दे,

وَلا شَمْلاً إِلاَّ جَمَعْتَهُ،
व ला शम्लन इल्ला जमअ’तहू
और कोई बिखराव ऐसा न छोड़ कि तू उसे जमा न कर दे,

وَلا غَائِباً إِلاَّ حَفِظْتَهُ وَأَدْنَيْتَهُ،
व ला ग़ाइबन इल्ला हफ़िज़्तहू व अदनैतहू
और कोई ग़ायब ऐसा न छोड़ कि तू उसकी हिफ़ाज़त न करे और उसे (मेरे) क़रीब न कर दे,

وَلا حَاجَةً مِنْ حَوَائِجِ الدُّنْيَا وَالآخِرَةِ
व ला हाजतन मिन हवाइ’जिद-दुन्या वल-आख़िरति
और दुनिया व आख़िरत की हाजतों में से कोई हाजत ऐसी न छोड़,

لَكَ فِيهَا رِضَىً وَلِيَ فِيهَا صَلاحٌ
लका फीहा रिदन वलिया फीहा सलाहुन
जिसमें तेरी रज़ा हो और मेरे लिए उसमें भलाई हो,

إِلاَّ قَضَيْتَهَا يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ.
इल्ला क़ज़ैतहा या अरहमर-राहिमीना
मगर यह कि तू उसे पूरा कर दे—ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले!

फिर आप क़ब्र की तरफ़ लौटें, पाँवों की तरफ़ वाले पहलू पर ठहरें, और यह कहें:
السَّلامُ عَلَيْكَ يَا أَبَاَالفَضْلِ العَبَّاسَ ابْنَ أَمِيرِ المُؤْمِنِينَ،
अस्सलामु अ’लैका या अबल-फ़ज़्लिल-अ’ब्बासा इब्ना अमीरिल-मु’मिनीना
आप पर सलाम हो; ऐ अबुल-फ़ज़्ल अल-अब्बास, अमीरुल मो’मिनीन के फ़र्ज़ंद।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَابْنَ سَيِّدِ الوَصِيِّينَ،
अस्सलामु अ’लैका यब्न सय्यिदिल-वसिय्यीना
आप पर सलाम हो, ऐ सैय्यिदुल-वसिय्यीन (अंबिया के औसिया के सरदार) के बेटे।

السَّلامُ عَلَيْكَ يَابْنَ أَوَّل القَوْمِ إِسْلاماً،
अस्सलामु अ’लैका यब्न अव्वलिल-क़ौमि इस्लामन
आप पर सलाम हो, ऐ उस शख़्स के बेटे जो क़ौम में सबसे पहले इस्लाम लाए,

وَأَقْدَمِهِمْ إِيمَاناً،
व अक़्दमिहिम ईमानन
और सबसे पहले ईमान लाए,

وَأَقْوَمِهِمْ بِدِينِ اللّهِ،
व अक़्वमिहिम बिदीनिल्लाहि
और दीन-ए-अल्लाह पर सबसे ज़्यादा क़ायम रहने वाले के बेटे,

وَأَحْوَطِهِمْ عَلَى الإِسْلامِ.
व अह्वतिहिम अ’लल-इस्लामि
और इस्लाम की सबसे ज़्यादा हिफ़ाज़त करने वाले के बेटे।

أَشْهَدُ لَقَدْ نَصَحْتَ لِلّهِ وَلِرَسُولِهِ وَلأَخِيكَ
अश्हदु ल-क़द नसह्त लिल्लाहि व लिरसूलिहि व लि-अख़ीका
मैं गवाही देता/देती हूँ कि आपने अल्लाह, उसके रसूल और अपने भाई के लिए सच्ची ख़ैरख़्वाही की।

فَنِعْمَ الأَخُ المُوَاسِي،
फ़नि’मल-अख़ुल-मुवासी
तो क्या ही बेहतरीन ग़मगुसार/साथ देने वाले भाई थे आप!

فَلَعَنَ اللّهُ أُمَّةً قَتَلَتْكَ،
फ़ला’अनल्लाहु उम्मतन क़तलत्का
तो अल्लाह की लानत हो उस गिरोह पर जिसने आपको क़त्ल किया,

وَلَعَنَ اللّهُ أُمَّةً ظَلَمَتْكَ،
व ला’अनल्लाहु उम्मतन ज़लमत्का
और अल्लाह की लानत हो उस गिरोह पर जिसने आप पर ज़ुल्म किया,

وَلَعَنَ اللّهُ أُمَّةً اسْتَحَلَّتْ مِنْكَ المَحَارِمَ،
व ला’अनल्लाहु उम्मतन इस्तहल्त मिंक अल-महारिमा
और अल्लाह की लानत हो उस गिरोह पर जिसने आपकी हुरमतों को हलाल समझ लिया,

وَانْتَهَكَتْ حُرْمَةَ الإِسْلامِ،
वंतहकत हुरमतल-इस्लामि
और इस्लाम की हुरमत को पामाल किया।

فَنِعْمَ الصَّابِرُ المُجَاهِدُ
फ़नि’मस्साबिरुल-मुजाहिदु
आप क्या ही बेहतरीन साबिर मुजाहिद थे,

المُحَامِي النَّاصِرُ
अल-मुहामी अन्नासिरु
हिमायत करने वाले, नुसरत करने वाले,

وَالأَخُ الدَّافِعُ عَنْ أَخِيهِ،
वल-अख़ुद्दाफ़िउ अ’न अख़ीहِ
और अपने भाई का दिफ़ाअ करने वाले भाई,

المُجِيبُ إِلَى طَاعَةِ رَبِّهِ،
अल-मुजीबु इला ता’अति रब्बिहِ
अपने रब की इताअत के लिए लब्बैक कहने वाले,

الرَّاغِبُ فِيمَا زَهِدَ فِيهِ غَيْرُهُ مِنَ الثَّوَابِ الجَزِيلِ،
अर-राग़िबु फीमा ज़हिद फीहِ ग़ैरुहू मिनस्सवाबिल-जज़ीली
और उस कसीर सवाब के तालिब, जिससे दूसरों ने रग़बत न की,

وَالثَّنَاءِ الجَمِيلِ،
वस्सना’इल-जमीली
और खूबसूरत सना (तारीफ़),

وَأَلْحَقَكَ اللّهُ بِدَرَجَةِ آبَائِكَ فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ.
व अल्हक़क़ल-अल्लाहु बिदरजाति आबा’इका फी जन्नातिन्न-नअ’ीमि
और अल्लाह आपको आपके आबा (पूर्वजों) के दर्जे में जन्नात-ए-नअ’ीम में शामिल फरमाए।

اللّهُمَّ إِنِّي تَعَرَّضْتُ لِزِيَارَةِ أَوْلِيَائِكَ رَغْبَةً فِي ثَوَابِكَ،
अल्लाहुम्मा इन्नी तअ’र्रज़्तु लिज़ियारति औलिया’इका रग़बतन् फी सवाबिका
ऐ अल्लाह! मैंने तेरे औलिया की ज़ियारत तेरे सवाब की रग़बत में की है,

وَرَجَاءً لِمَغْفِرَتِكَ وَجَزِيلِ إِحْسَانِكَ،
व रजा’अन लिमग़फ़िरतिका व जज़ीलि इह्सानिका
और तेरी मग़फिरत और तेरे कसीर एहसान की उम्मीद में,

فَأَسْأَلُكَ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَآلِهِ الطَّاهِرِينَ،
फ़अस्अलुका अन तुसल्लिया अला मुहम्मदिन व आलिहित्ताहिरीना
तो मैं तुझसे सवाल करता/करती हूँ कि मुहम्मद और उनकी पाक अहलेबैत पर सलवात भेज,

وَأَنْ تَجْعَلَ رِزْقِي بِهِمْ دَارّاً،
व अन तज्अ’ल रिज़्क़ी बिहिम दार्रन
और उनके वसीले से मेरे रिज़्क़ को खूब जारी (वसीअ) कर दे,

وَعَيْشِي بِهِمْ قَارّاً،
व अ’य्शी बिहिम क़ार्रन
मेरी ज़िंदगी/गुज़ारन को उनके वसीले से सुकून वाली कर दे,

وَزِيَارَتِي بِهِمْ مَقْبُولَةً،
व ज़ियारती बिहिम मक़बूलतन
और मेरी ज़ियारत को उनके वसीले से मक़बूल बना दे,

وَحَيَاتِي بِهِمْ طَيِّبَةً،
व हयाती बिहिम तय्यिबतन
और मेरी हयात को उनके वसीले से पाकीज़ा/ख़ुशगवार बना दे,

وَأَدْرِجْنِي إِدْرَاجَ المُكْرَمِينَ،
व अद्रिज्नी इद्राजल-मुकरमीना
और मुझे मुकर्रम (इज़्ज़त वाले) लोगों के तरीके पर चलने वालों में शामिल कर दे,

وَاجْعَلْنِي مِمَّنْ يَنْقَلِبُ مِنْ زِيَارَةِ مَشَاهِدِ أَحِبَّائِكَ
वज्अ’ल्नी मिम्मन यनक़लिबु मिन ज़ियारति मशाहिदि अहिब्बा’इका
और मुझे उन लोगों में से बना दे जो तेरे महबूबों के मशाहिद की ज़ियारत से पलटें तो

مُفْلِحاً مُنْجِحاً
मुफ़लिहन् मुनजिहन्
कामयाब और बामुराद हों,

قَدِ اسْتَوْجَبَ غُفْرَانَ الذُّنُوبِ،
क़दिस्तव्जबा ग़ुफ़रानज़्-ज़ुनूबि
(ऐसे कि) उसने गुनाहों की मग़फिरत का हक़ हासिल कर लिया हो,

وَسَتْرَ العُيُوبِ،
व सत्रल-अ’यूबि
और ऐबों के पर्दा-पोशी का,

وَكَشْفَ الكُرُوبِ،
व कश्फल-कुरूबि
और कुर्बतों/मुसीबतों के दूर होने का,

إِنَّكَ أَهْلُ التَّقْوَى وَأَهْلُ المَغْفِرَةِ.
इन्नका अह्लुत्तक़वा व अह्लुल-मग़फ़िरति
बेशक तू तक़वा का भी अहल है और मग़फिरत का भी अहल।

अगर आप रुख़्सत होना चाहें तो क़ब्र-ए-मुबारक के क़रीब जाएँ और यह कहें—जो अबू हमज़ा अस्सुमाली से रिवायत किया गया है, और दूसरे उलमा ने भी इसे नक़्ल किया है:
أَسْتَوْدِعُكَ اللّهَ وَأَسْتَرْعِيكَ
अस्तव्दीउ’कल्लाहा व अस्तरअ’ईका
मैं आपको अल्लाह की अमानत में देता/देती हूँ और (आपके बारे में) अल्लाह की हिफ़ाज़त तलब करता/करती हूँ,

وَأَقْرَأُ عَلَيْكَ السَّلامَ،
व अक़्रअ’उ अ’लैकस्सलामा
और आप पर सलाम अर्ज़ करता/करती हूँ।

آمَنَّا بِاللّهِ وَبِرَسُولِهِ وَبِكِتَابِهِ
आमन्ना बिल्लाहि व बिरसूलिहि व बिकिताबिहि
हम अल्लाह पर, उसके रसूल पर और उसकी किताब पर ईमान लाए,

وَبِمَا جَاءَ بِهِ مِنْ عِنْدِ اللّهِ،
व बिमा जा’अ बही मिन इन्दिल्लाहि
और उस पर भी जो वह अल्लाह की तरफ़ से लेकर आए।

اللّهُمَّ فَاكْتُبْنَا مَعَ الشَّاهِدِينَ،
अल्लाहुम्मा फ़क्तुब्ना मअश्शाहिदीना
ऐ अल्लाह! हमें गवाहों के साथ लिख दे,

اللّهُمَّ لا تَجْعَلْهُ آخِرَ العَهْدِ مِنْ زِيَارَتِي قَبْرَ ابْنِ أَخِي رَسُولِكَ
अल्लाहुम्मा ला तज्अ’ल्हु आखिरल-अ’ह्दि मिन ज़ियारती क़ब्र इब्नि अख़ी रसूलिका
ऐ अल्लाह! इस ज़ियारत को—तेरे रसूल के भाई के बेटे की क़ब्र की—मेरी आख़िरी हाज़िरी/आख़िरी अहद न बना,

صَلَّى اللّهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ،
सल्लल्लाहु अ’लैहि व आलिहि
(उस रसूल पर) अल्लाह की रहमत हो और उनकी आल पर भी।

وَارْزُقْنِي زِيَارَتَهُ أَبَداً مَا أَبْقَيْتَنِي،
वरज़ुक़्नी ज़ियारतहू अबदन् मा अबक़ैतनी
और जब तक तू मुझे ज़िंदा रखे, हमेशा मुझे उनकी ज़ियारत नसीब फरमा,

وَاحْشُرْنِي مَعَهُ وَمَعَ آبَائِهِ فِي الجِنَانِ،
वह्शुरनी मअहू व मअआबा’इहि फिल-जिनानी
और मुझे उनके साथ और उनके आबा के साथ जन्नात में महशूर कर,

وَعَرِّفْ بَيْنِي وَبَيْنَهُ وَبَيْنَ رَسُولِكَ وَأَوْلِيَائِكَ.
व अ’र्रिफ़ बैनी व बैनहू व बैन रसूलिका व औलिया’इका
और मेरे और उनके दरमियान, और तेरे रसूल और तेरे औलिया के दरमियान (मआरिफ़त/पहचान का) रिश्ता क़ायम कर दे।

اللّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन वा आलि मुहम्मदिन
ऐ अल्लाह! मुहम्मद और आले मुहम्मद पर दरूद भेज,

وَتَوَفَّنِي عَلَى الإِيمَانِ بِكَ،
व तवफ़्फ़नी अ’लल-ईमानि बिका
और मुझे इस हाल में वफ़ात दे कि मैं तुझ पर ईमान रखूँ,

وَالتَّصْدِيقِ بِرَسُولِكَ،
वत्-तस्दीक़ि बिरसूलिका
और तेरे रसूल की तस्दीक़ (सच्चा मानना),

وَالوِلايَةِ لِعَلِيِّ بْنِ أَبِي طَالِبٍ وَالأَئِمَّةِ مِنْ وُلْدِهِ،
वल्-विलायति लिअ’लिय्यि ब्नि अबी तालिबिन वल-अ’इम्मति मिन वुल्दिही
और अली बिन अबी तालिब और उनकी औलाद में से इमामों की विलायत (सरपरस्ती/मोहब्बत व इताअत),

وَالبَرَاءَةِ مِنْ عَدُوِّهِمْ،
वल्-बरा’अति मिन अ’दुव्विहिम
और उनके दुश्मनों से बराअत (बेज़ारी/अलगाव),

فَإِنِّي قَدْ رَضِيتُ يَا رَبِّي بِذلِكَ،
फ़इन्नी क़द रदीतु या रब्बी बिज़ालिका
तो ऐ मेरे रब! मैं इससे राज़ी हूँ,

وَصَلَّى اللّهُ عَلَى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ.
व सल्लल्लाहु अ’ला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मदिन
और अल्लाह मुहम्मद और आले मुहम्मद पर दरूद भेजे।

आप फिर अपने लिए, अपने वालिदैन के लिए, अहले-ईमान और तमाम मुसलमानों के लिए अल्लाह तआला से दुआ कर सकते/सकती हैं। दुआ के लिए आप जो चाहें अल्फ़ाज़ इख़्तियार कर सकते/सकती हैं।

15-रजब और 15-शाबान के दिन की एक और ज़ियारत