1.रसूल-ए-ख़ुदा (स०अ०व०) ने फ़रमाया
2.रजब की पहली रात ग़ुस्ल करना मुस्तहब है
कुछ उलमा ने रसूल-ए-ख़ुदा (उन पर और उनकी आल पर दुरूद) से रिवायत की है कि उन्होंने फ़रमाया: “जो शख़्स माह-ए-रजब को पाए और उसकी पहली, दरमियानी और आख़िरी तारीख़ को ग़ुस्ल करे, वह अपने तमाम गुनाहों से पाक हो जाएगा और ऐसे लौटेगा जैसे आज ही पैदा हुआ हो।”3. रजब की पहली रात में इमाम हुसैन (अ०स०) की ख़ास ज़ियारत पढ़ना मुस्तहब है
और हरम की ज़ियारत करे-4.
मगरिब की नमाज़ के बाद बीस रकअत नमाज़ अदा करना मुस्तहब है और हर रकअत में सूरह अल-फ़ातिहा एक बार और सूरह अल-तौहीद एक बार पढ़ेजो शख़्स यह नमाज़ अदा करेगा, उसके अहल-ओ-अयाल, माल और औलाद महफ़ूज़ रहेंगे, उसे अज़ाब-ए-क़ब्र से निजात मिलेगी और वह पुल-ए-सिरात से बिजली की तरह गुज़रेगा, बिना हिसाब के।
5.दो रकअत नमाज़
रौज़तुल आबिदीन में नबी (स०अ०व०) से रिवायत है:दो रकअत नमाज़ जिसमें पहली रकअत में सूरह अल-फ़ातिहा एक बार, सूरह अल-इंशिराह (94) एक बार और सूरह अल-तौहीद तीन बार पढ़ी जाए।
दूसरी रकअत में सूरह अल-फ़ातिहा, सूरह अल-इंशिराह (94), सूरह अल-तौहीद, सूरह अल-फ़लक़ और सूरह अन-नास एक-एक बार पढ़ी जाएँ।
तसलीम के बाद तीस बार दोहराए:
और फिर सलवात तीस बार पढ़े:
“जो शख़्स माह की पहली रात ईशा की नमाज़ के बाद ये दो रकअत नमाज़ अदा करेगा, उसके तमाम पिछले गुनाह माफ़ कर दिए जाएँगे और वह नवजात बच्चे की तरह पाक हो जाएगा।” – रसूल-ए-ख़ुदा (स०अ०व०)
6.
मुस्तहब है कि तीस रकअत नमाज़ अदा की जाए; हर रकअत में सूरह अल-फ़ातिहा एक बार, सूरह अल-काफ़िरून (109) एक बार, और सूरह अल-तौहीद तीन बार पढ़ी जाएरिवायत में सवाब यह है कि अल्लाह उसके तमाम गुनाह—छोटे हों या बड़े—माफ़ फरमा देगा, अगले साल तक नमाज़ पढ़ने वालों में उसका नाम लिख देगा, और उसे निफ़ाक़ से महफ़ूज़ रखेगा।
7.इमाम अबू-जा‘फ़र सानी (अ०स०) की दुआ नमाज़-ए-ईशा के बाद:
8.
इक़बाल आमाल में: यह रिवायत अल-मुख़्तसर मिन अल-मुन्तख़ब से नक़्ल की गई है, “रजब की पहली रात कहो दस रकअत नमाज़ दो-दो रकअत करके।हर रकअत में सूरह अल-हम्द एक बार, और सूरह इख़लास एक सौ बार पढ़ो।
फिर यह सत्तर बार कहो,
उसके बाद यह कहो:
وَ سُبْحَانَكَ بِمَا تَبْلُغُهُ أَحْكَامُكَ وَ لَا أَبْلُغُهُ
وَ سُبْحَانَكَ بِمَا أَنْتَ مُسْتَحِقُّهُ
وَ لَا يَبْلُغُهُ الْحَيَوَانُ [الحيران] مِنْ خَلْقِكَ وَ سُبْحَانَكَ بِالتَّسْبِيحِ الَّذِي يُوجِبُ عَفْوَكَ وَ رِضَاكَ
وَ سُبْحَانَكَ بِالتَّسْبِيحِ الَّذِي لَمْ تُطْلِعْ عَلَيْهِ أَحَداً مِنْ خَلْقِكَ
وَ سُبْحَانَكَ بِعِلْمِكَ فِي خَلْقِكَ كُلِّهِمْ وَ لَوْ عَلَّمْتَنِي أَكْثَرَ مِنْ هَذَا لَقُلْتُهُ
तेरी पाकी बयान है उस पर जो तेरे अहकाम पहुँचते हैं और मैं वहाँ तक नहीं पहुँचता।
तेरी पाकी बयान है उन हुक़ूक़ पर जिनका तू हक़दार है और तेरी मख़लूक़ उन्हें अदा नहीं करती।
तेरी पाकी बयान है उस तस्बीह के साथ जो तेरी मग़फ़िरत और तेरी रज़ा को वाजिब कर देती है।
तेरी पाकी बयान है उस तस्बीह के साथ जिसकी खबर तूने अपनी किसी मख़लूक़ को नहीं दी।
तेरी पाकी बयान है तेरे इल्म पर जो तेरी तमाम मख़लूक़ को घेरे हुए है।
अगर तू मुझे इससे ज़्यादा सिखाता तो मैं उसी तरह तेरी तस्बीह बयान करता।
وَ أَنْتَ عَالِمٌ بِحَاجَتِي فَاقْضِهَا يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ اللَّهُمَّ يَا رَافِعَ السَّمَاءِ فِي الْهَوَاءِ وَ كَابِسَ الْأَرْضِ عَلَى الْمَاءِ
وَ مُنْبِتَ الْخُضْرَةِ بِمَا لَا يُرَى
जिसे तू अमन देता है उसे कोई ख़ौफ़ नहीं होता।
मैं तेरे सामने हूँ और तू मेरी ज़रूरतों को जानता है, पस उन्हें पूरा फ़रमा।
ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले, सबसे मेहरबान! ऐ मेरे ख़ुदा! ऐ वह जिसने आसमानों को हवा में बुलंद किया! ऐ वह जिसने ज़मीन को पानी पर थामे रखा! ऐ वह जो ऐसी चीज़ों से हरियाली उगाता है जो दिखाई नहीं देती!
وَ لَا تَفْعَلْ بِي مَا أَنَا أَهْلُهُ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ
اللَّهُمَّ إِنِّي عَبْدُكَ وَ ابْنُ عَبْدِكَ نَاصِيَتِي بِيَدِكَ مَاضٍ فِيَّ حُكْمُكَ عَدْلٌ فِيَّ قَضَاؤُكَ
أَسْأَلُكَ بِكُلِّ اسْمٍ هُوَ لَكَ سَمَّيْتَ بِهِ نَفْسَكَ أَوْ أَنْزَلْتَهُ فِي كِتَابِكَ أَوْ عَلَّمْتَهُ أَحَداً مِنْ خَلْقِكَ
أَنْ تَجْعَلَ الْقُرْآنَ رَبِيعَ قَلْبِي وَ جَلَاءَ حُزْنِي وَ ذَهَابَ هَمِّي وَ غَمِّي
मेरे साथ वैसा सुलूक़ फ़रमा जैसा तू इसके क़ाबिल समझे, न कि जैसा मैं इसके लायक़ हूँ।
ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले, सबसे मेहरबान! ऐ मेरे ख़ुदा! मैं तेरा बंदा हूँ और तेरे बंदे का बेटा हूँ, मेरी पेशानी तेरे हाथ में है।
तेरा हुक्म मुझ पर जारी है और तेरा फ़ैसला मेरे बारे में बिल्कुल इंसाफ़ पर है।
मैं तुझसे तेरे तमाम नामों के वसीले से सवाल करता हूँ जिनसे तूने अपने आपको पुकारा, या जिन्हें तूने अपनी किताब में नाज़िल किया, या अपनी मख़लूक़ में से किसी को सिखाया, कि क़ुरआन को मेरे दिल की बहार बना दे ताकि मेरे ग़म, फ़िक्र और परेशानी दूर हो जाएँ।
اللَّهُمَّ خَشَعَتِ الْأَصْوَاتُ لَكَ وَ ضَلَّتِ الْأَحْلَامُ فِيكَ وَ ضَاقَتِ الْأَشْيَاءُ دُونَكَ وَ مَلَأَ كُلَّ شَيْءٍ نُورُكَ وَ وَجِلَ كُلُّ شَيْءٍ مِنْكَ وَ هَرَبَ كُلُّ شَيْءٍ إِلَيْكَ وَ تَوَكَّلَ كُلُّ شَيْءٍ عَلَيْكَ
وَ أَنْتَ الرَّفِيعُ فِي جَلَالِكَ وَ أَنْتَ الْبَهِيُّ فِي جَمَالِكَ وَ أَنْتَ الْعَظِيمُ فِي قُدْرَتِكَ وَ أَنْتَ الَّذِي لَا يَؤُدُكَ شَيْءٌ وَ أَنْتَ الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ
तेरी बारगाह में हर चीज़ महदूद हो जाती है।
तेरा नूर हर चीज़ पर ग़ालिब है।
हर चीज़ तुझसे डरती है।
हर चीज़ तेरी तरफ़ दौड़ती है और तुझी पर भरोसा करती है।
तू अपने जलाल में बुलंद है और अपने जमाल में बेहद हसीन है।
और तू अपनी क़ुदरत में बहुत ताक़तवर है और तेरे लिए कोई चीज़ मुश्किल नहीं।
और तू ही बुलंद-ओ-बरतर, सबसे आला है!
أَعْطِنِي مَسْأَلَتِي لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ أَصْبَحْتُ وَ أَمْسَيْتُ عَلَى عَهْدِكَ وَ وَعْدِكَ مَا اسْتَطَعْتُ أَعُوذُ بِكَ مِنْ سَيِّئَاتٍ أَعْمَالِي وَ أَسْتَغْفِرُكَ مِنَ الذُّنُوبِ الَّتِي لَا يَغْفِرُهَا غَيْرُكَ فَاغْفِرْ لِي وَ ارْحَمْنِي بِرَحْمَتِكَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ
तेरे सिवा कोई माबूद नहीं।
मैं सुबह और शाम इस हाल में करता हूँ कि अपनी अहद और अपने वाअदे पर अपनी ताक़त भर क़ायम हूँ।
मैं अपने बुरे आमाल से तेरी पनाह चाहता हूँ।
मैं तुझसे अपने उन गुनाहों की मग़फ़िरत मांगता हूँ जिन्हें तेरे सिवा कोई और बख़्श नहीं सकता।
पस तू मुझे बख़्श दे और अपनी रहमत से मुझ पर रहम फ़रमा।
اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنَ الحريق و السريق [و الثريق] [الْحَرَقِ وَ الشَّرَقِ] وَ الْهَدْمِ وَ الرَّدْمِ وَ أَنْ أُقْتَلَ فِي سَبِيلِكَ مُدْبِراً أَوْ أَمُوتَ لَدِيغاً
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ بِأَنَّكَ مَلِكٌ وَ أَنَّكَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ مُقْتَدِرٌ وَ مَا تَشَاءُ مِنْ أَمْرٍ يَكُونُ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ عَلَى آلِ مُحَمَّدٍ
وَ أَنْ تُفَرِّجَ عَنِّي وَ تَكْشِفَ ضُرِّي وَ تُبَلِّغَنِي أُمْنِيَّتِي وَ تُسَهِّلَ لِي مَحَبَّتِي [محنتي] وَ تُيَسِّرَ لِي إِرَادَتِي وَ تُوصِلَنِي إِلَى بُغْيَتِي سَرِيعاً عَاجِلًا وَ تَجْمَعَ لِي خَيْرَ الدُّنْيَا وَ الْآخِرَةِ
بِرَحْمَتِكَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ
وَ تَقُولُ بَعْدَ ذَلِكَ وَ فِي كُلِّ لَيْلَةٍ مِنْ لَيَالِي رَجَبٍ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ أَلْفَ مَرَّةٍ.
मुझे अपने पास से ऐसा रिज़्क़ अता फ़रमा कि कोई उसे मुझ पर एहसान समझ कर याद न दिलाए और आख़िरत के लिए मुझ पर कोई गुनाह बाक़ी न रहे—बेशक तू सबसे ज़्यादा रहम करने वाला, सबसे मेहरबान है!
ऐ मेरे ख़ुदा! मैं आग से, गला घुटने से, तबाही से, गिर पड़ने से, और तेरे रास्ते में जंग करते वक़्त पीठ फेर कर भागते हुए क़त्ल हो जाने से, और साँपों के डसने से तेरी पनाह मांगता हूँ।
ऐ मेरे ख़ुदा! मैं तुझसे सवाल करता हूँ जबकि तू बादशाह है!
बेशक तेरा हर चीज़ पर पूरा इख़्तियार है और जो तू चाहता है वही होता है।
मैं तुझसे सवाल करता हूँ कि मुहम्मद और आले-मुहम्मद पर अपनी रहमतें नाज़िल फ़रमा, मुझे राहत दे और मेरे नुक़सान दूर कर दे, मुझे मेरी उम्मीद तक पहुँचा दे, मेरी मुश्किलें आसान कर दे, मेरी ज़रूरतें आसानी से अता फ़रमा, और जो मैं चाहता हूँ वह मुझे जल्दी नसीब कर दे।
और अपनी रहमत से मुझे दुनिया और आख़िरत की बेहतरीन नेमतें अता फ़रमा।
ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले! सबसे मेहरबान!”
1.रिवायत है कि रजब का चाँद देखते ही रसूल-अल्लाह (स:अ:व) ने फ़रमाया::
اللَّهُمَّ بَارِكْ لَنَا فِي رَجَبٍ وَشَعْبَانَ
अल्लाहुम्मा बारिक लना फी रजबिन व शअ़बान
ऐ अल्लाह! रजब और शअ़बान में हमारे लिए बरकत अता फ़रमा।
وَبَلِّغْنَا شَهْرَ رَمَضَانَ
व बल्लिग़ना शह्र रमज़ान
और हमें माहे रमज़ान तक पहुँचा दे,
وَأَعِنَّا عَلَىٰ ٱلصِّيَامِ وَٱلْقِيَامِ
व अअ़िन्ना अ़लस्सियामि वल्क़ियाम
और रोज़ा रखने और इबादत करने में हमारी मदद फ़रमा,
وَحِفْظِ ٱللِّسَانِ
व हिफ़्ज़िल-लिसान<
और हमारी ज़बान की हिफ़ाज़त में,
وَغَضِّ ٱلْبَصَرِ
व ग़द्दिल-बस़रि
और निगाह को हराम से बचाने में,
وَلاَ تَجْعَلْ حَظَّنَا مِنْهُ ٱلْجُوعَ وَٱلْعَطَشَ
व ला तजअ़ल हज़्ज़ना मिन्हुल-जूअ़ वल-अ़तश
और ऐसा न कर कि इसमें हमारा हिस्सा सिर्फ़ भूख और प्यास ही रह जाए!”
अल्टरनेट मत्न
अल्लाहुम्मा बारिक लना फी रजबिन व शअ़बान, व बल्लिग़ना शह्र रमज़ान, व अअ़िन्ना अ़लस्सियामि वल्क़ियाम, व हिफ़्ज़िल-लिसान, व ग़द्दिल-बस़रि, व ला तजअ़ल हज़्ज़ना मिन्हुल-जूअ़ वल-अ़तश.
ऐ अल्लाह! रजब और शअ़बान में हमारे लिए बरकत अता फ़रमा और हमें माहे रमज़ान तक पहुँचा दे। इन महीनों में रोज़ा, क़ियाम (नमाज़) में हमारी मदद फ़रमा, ज़बान की हिफ़ाज़त और निगाह नीची रखने की तौफ़ीक़ दे, और इसमें हमारा (सिर्फ़) हिस्सा भूख और प्यास का तजुर्बा न बना।
(इब्न ताऊस, इक़बाल अल-अअ़माल, स. 628).
2.रिवायत है कि जब उन्होंने (स:अ:व) हिलाल देखा तो उन्होंने (स:अ:व) तीन मर्तबा अल्लाह की तस्बीह की, फिर फ़रमाया
الحمد لله الذي أذهب شهرکذا، وجاء بشهر، کذا.
“हर तरह की हम्द उस अल्लाह के लिए है जिसने पिछले महीने के चाँद को ले जाकर यह महीना (नया चाँद) ला दिया।”
3.नया चाँद देखने पर यह कहना मुस्तहब है
اَللَّهُمَّ أَهِلَّهُ عَلَيْنَا بِٱلْأَمْنِ وَٱلْإِيـمَانِ
अल्लाहुम्मा अहिल्लहू अ़लैना बिल-अम्नि वल-ईमान
ऐ अल्लाह! इस (चाँद) को हमारे लिए अमन और ईमान के साथ ज़ाहिर फ़रमा,
وَٱلسَّلاَمَةِ وَٱلإِسْلاَمِ
वस्सलामति वल-इस्लाम
सलामती और इस्लाम के साथ।
رَبِّي وَرَبُّكَ ٱللَّهُ عَزَّ وَجَلَّ
रब्बी व रब्बुकल्लाहु अ़ज़्ज़ा व जल्ला
मेरा और तेरा रब अल्लाह है, जो बड़ी अज़मत और जलाल वाला है।
4.हिलाल (नया चाँद) देखने के वक़्त सूरह अल-हम्द सात मर्तबा पढ़ना मुस्तहब है। अल्लाह तआला इस महीने में पढ़ने वाले को आँखों की तकलीफ़ से महफ़ूज़ रखेगा। -इक़बाल आमाल
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अल्टरनेट मत्न
2.रिवायत है कि जब उन्होंने (स:अ:व) हिलाल देखा तो उन्होंने (स:अ:व) तीन मर्तबा अल्लाह की तस्बीह की, फिर फ़रमाया
3.नया चाँद देखने पर यह कहना मुस्तहब है
4.हिलाल (नया चाँद) देखने के वक़्त सूरह अल-हम्द सात मर्तबा पढ़ना मुस्तहब है। अल्लाह तआला इस महीने में पढ़ने वाले को आँखों की तकलीफ़ से महफ़ूज़ रखेगा। -इक़बाल आमाल
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इब्न अशयम कहते हैं: आठ रकअत सलातुल-लैल (नमाज़-ए-शब) अदा करने के बाद और तीन रकअत सलातुल-वित्र अदा करने से पहले यह दुआ पढ़ना मुस्तहब है। आठ रकअत लैल के फ़ौरन बाद, बैठ कर यह दुआ पढ़ना मुस्तहब है:
اَلْحَمْدُ لِلَّهِ ٱلَّذِي لاَ تَنْفَدُ خَزَائِنُهُ
अल्हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी ला तन्फ़दु ख़ज़ाइनुहु
तमाम हम्द उस अल्लाह के लिए है जिसके ख़ज़ाने कभी ख़त्म नहीं होते
وَلاَ يَخَافُ آمِنُهُ
व ला यख़ाफ़ु आमिनुहु
और जिसे वह अमन देता है वह कभी किसी चीज़ से नहीं डरता।
رَبِّ إِنِ ٱرْتَكَبْتُ ٱلْمَعَاصِيَ
रब्बि इनि इरतकब्तुल-मआसिया
ऐ मेरे रब! अगर मैंने तेरी नाफ़रमानियाँ की हैं,
فَذٰلِكَ ثِقَةٌ مِنِّي بِكَرَمِكَ
फ़ज़ालिका थिक़तुन मिन्नी बि-करमिक
तो यह तेरे करम पर मेरे भरोसे की वजह से था।
إِنَّكَ تَقْبَلُ ٱلتَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِكَ
इन्नका तक़्बलुत-तौबता अ़न अ़बादिक
बेशक तू अपने बंदों की तौबा क़बूल करता है,
وَتَعْفُو عَنْ سَيِّئَاتِهِمْ
व तअ़फू अ़न सय्यिआतिहिम
और उनकी बुराइयों को माफ़ करता है,
وَتَغْفِرُ ٱلزَّلَلَ
व तग़्फ़िरुज़्-ज़लल
और उनकी لغزشों को बख़्श देता है।
وَإِنَّكَ مُجِيبٌ لِدَاعِيكَ
व इन्नका मुजीबुन लिदाअ़ीक
और बेशक तू दुआ करने वाले की दुआ सुनता है,
وَمِنْهُ قَرِيبٌ
व मिन्हु क़रीबुन
और उससे क़रीब है।
وَأَنَا تَائِبٌ إِلَيْكَ مِنَ ٱلْخَطَايَا
व अना ताइबुन इलैक मिन्नल-ख़ताया
मैं अपने गुनाहों से तेरी बारगाह में तौबा करता हूँ
وَرَاغِبٌ إِلَيْكَ فِي تَوْفِيرِ حَظِّي مِنَ ٱلْعَطَايَا
व राग़िबुन इलैक फी तौफ़ीरी हज़्ज़ी मिनल-अ़ताया
और मैं तुझसे तेरे अ़तिय्यात में से अपने हिस्से की फ़रावानी का तालिब हूँ।
يَا خَالِقَ ٱلْبَرَايَا
या ख़ालिक़ल-बराया
ऐ तमाम मख़लूक़ के ख़ालिक़!
يَا مُنْقِذِي مِنْ كُلِّ شَدِيدَةٍ
या मुन्क़िज़ी मिन कुल्लि शदीदतिन
ऐ हर सख़्ती से मुझे निजात देने वाले!
يَا مُجِيرِي مِنْ كُلِّ مَحْذُورٍ
या मुजीरी मिन कुल्लि महज़ूरिन
ऐ हर ख़तरे से मुझे पनाह देने वाले!
وَفِّرْ عَلَيَّ ٱلسُّرُورَ
वफ़्फ़िर अ़लय्यस्सुरूर
मेरे लिए खुशियाँ फ़रावां कर दे
وَٱكْفِنِي شَرَّ عَوَاقِبِ ٱلأُمُورِ
वक्फ़िनी शर्रा अ़वाक़िबिल-उमूरि
और उमूर के बुरे अंजाम से मेरी हिफ़ाज़त फ़रमा।
فَأَنْتَ ٱللَّهُ عَلَىٰ نَعْمَائِكَ وَجَزِيلِ عَطَائِكَ مَشكورٌ
फ़-अन्तल्लाहु अ़ला नअ़माइक व जज़ीलि अ़ताइक मश्कूरुन
बेशक तू वही अल्लाह है कि तेरी नेमतों और तेरी बेपनाह अ़ताओं पर तेरा शुक्र अदा किया जाता है
وَلِكُلِّ خَيرٍ مَذخُورٌ
व लिकुल्लि ख़ैरिन मज़ख़ूर
और हर भलाई के लिए (उम्मीद और) ज़खीरा है।
अली इब्न हदीद से रिवायत है कि इमाम मूसा इब्न जअ़फ़र (उन पर सलाम) नमाज़-ए-शब (सलातुल-लैल) मुकम्मल करने के बाद सज्दा में यह दुआ पढ़ा करते थे:
لَكَ ٱلْمَحْمَدَةُ إِنْ أَطَعْتُكَ
लकल-महमदतु इन अत़अ़तुका
(ऐ अल्लाह!) अगर मैं तेरी इताअत करूँ तो (यह) तेरे तौफ़ीक़ से है,
وَلَكَ ٱلْحُجَّةُ إِنْ عَصَيْتُكَ
व लकल-हुज्जतु इन अ़सैतुका
और अगर मैं तेरी नाफ़रमानी करूँ तो (सज़ा देने की) दलील तेरे पास है।
لاَ صُنْعَ لِي وَلاَ لِغَيْرِي فِي إِحْسَانٍ إِلاَّ بِكَ
ला स़ुनअ़ ली व ला लिग़ैरि फी इहसानिन इल्ला बिका
मुझ पर या किसी और पर जो भी एहसान होता है वह तेरे सिवा किसी से नहीं।
يَا كَائِناً قَبْلَ كُلِّ شَيْءٍ
या काइ’नन क़ब्ल कुल्लि शै’इन
ऐ वह जो हर चीज़ से पहले मौजूद था!
وَيَا مُكَوِّنَ كُلِّ شَيْءٍ
व या मुकव्विन कुल्लि शै’इन
और ऐ हर चीज़ को पैदा करने वाले!
إِنَّكَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
इन्नका अ़ला कुल्लि शै’इन क़दीरुन
बेशक तू हर चीज़ पर क़ादिर है।
اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنَ ٱلْعَدِيلَةِ عِنْدَ ٱلْمَوْتِ
अल्लाहुम्मा इन्नी अअ़ूज़ु बिका मिनल-अ़दीलति इन्दल-मौत
ऐ अल्लाह! मैं मौत के वक़्त (दीन से) फिसल जाने से तेरी पनाह चाहता हूँ,
وَمِنْ شَرِّ ٱلْمَرْجِعِ فِي ٱلْقُبُورِ
व मिन शर्रिल-मर्जिअ़ि फ़िल-क़ुबूरि
और क़ब्रों में बुरे अंजाम से,
وَمِنَ ٱلنَّدَامَةِ يَوْمَ ٱلآزِفَةِ
व मिनन-नदामति यौमल-आज़िफ़ा
और क़रीब आने वाले दिन (क़यामत) के दिन की पशेमानी से।
فَأَسْأَلُكَ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
फ़-असअलुका अन तुसल्लिया अ़ला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मद
पस मैं तुझसे सवाल करता हूँ कि मुहम्मद और आले-मुहम्मद पर रहमत नाज़िल फ़रमा,
وَأَنْ تَجْعَلَ عَيْشِي عِيشَةً نَقِيَّةً
व अन तजअ़ला अ़ैशी अ़ीशतन नक़ीय्यतन
और मेरी ज़िंदगी को पाकीज़ा बना दे,
وَمِيْتَتِي مِيتَةً سَوِيَّةً
व मीतती मीततन सविय्यतन
और मेरी मौत को सलामती वाली बना दे,
وَمُنْقَلَبِي مُنْقَلَباً كَرِيماً
व मुन्क़लबी मुन्क़लबन करीमन
और मेरा अंजाम इज़्ज़त वाला हो;
غَيْرَ مُخْزٍ وَلاَ فَاضِحٍ
ग़ैरा मुख़ज़िन व ला फ़ादिहिन
न शर्मिंदगी वाला, न रूसवा करने वाला।
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِهِ
अल्लाहुम्मा सल्लि अ़ला मुहम्मदिन व आलिहि
ऐ अल्लाह! मुहम्मद और उनकी आल पर रहमत नाज़िल फ़रमा;
ٱلأَئِمَّةِ يَنَابِيعِ ٱلْحِكْمَةِ
अल-अइम्मति यनाबिअ़िल-हिक्मति
(यानी) इमामों पर, जो हिकमत के चश्मे हैं,
وَأُوْلِي ٱلنِّعْمَةِ
व ऊलिन-निअ़मति
और नेअमतों के वसीले हैं,
وَمَعَادِنِ ٱلْعِصْمَةِ
व मआदिनिल-अ़िस्मति
और इस्मत के मआदिन हैं,
وَٱعْصِمْنِي بِهِمْ مِنْ كُلِّ سُوءٍ
व अ़इसिम्नी बिहिम मिन कुल्लि सूइन
और उनके वसीले से मुझे हर बुराई से महफ़ूज़ रख,
وَلاَ تَأْخُذْنِي عَلَىٰ غِرَّةٍ وَلاَ عَلَىٰ غَفْلَةٍ
व ला तअख़ुज़्नी अ़ला ग़िर्रतिन व ला अ़ला ग़फ़्लतिन
मुझे न अचानक पकड़ और न ग़फ़लत की हालत में,
وَلاَ تَجْعَلْ عَوَاقِبَ أَعْمَالِي حَسْرَةً
व ला तजअ़ल अ़वाक़िब अअ़माली हस्रतन
और मेरे आमाल का अंजाम हसरत न बना,
وَٱرْضَ عَنِّي
वरज़ा अ़न्नी
और मुझसे राज़ी हो जा,
فَإِنَّ مَغْفِرَتَكَ لِلظَّالِمِينَ وَأَنَا مِنَ ٱلظَّالِمِينَ
फ़-इन्ना मग़फ़िरतका लिज़्ज़ालिमीना व अना मिनज़्ज़ालिमीन
क्योंकि तेरी मग़फ़िरत ज़ालिमों के लिए है और मैं भी ज़ालिमों में से हूँ।
اللَّهُمَّ ٱغْفِرْ لِي مَا لاَ يَضُرُّكَ
अल्लाहुम्मग़्फ़िर ली मा ला यदुर्रुका
ऐ अल्लाह! मुझे वह (ख़ताएँ) बख़्श दे जो तुझे नुक़सान नहीं पहुँचातीं,
وَأَعْطِنِي مَا لاَ يَنْقُصُكَ
व अअ़तिनी मा ला यन्क़ुसुका
और मुझे वह अता फ़रमा जो तुझे कम नहीं करता।
فَإِنَّكَ ٱلْوَسِيعُ رَحْمَتُهُ
फ़-इन्नकल-वासीअ़ु रहमतुहू
बेशक तू वह है जिसकी रहमत वुसअ़त वाली है,
ٱلْبَدِيعُ حِكْمَتُهُ
अल-बदीअ़ु हिक्मतुहू
और जिसकी हिकमत बे-नज़ीर है।
وَأَعْطِنِي ٱلسَّعَةَ وَٱلدَّعَةَ
व अअ़तिनी अस्सअ़ता वद्दअ़ता
और मुझे फ़राख़ी और आराम अता फ़रमा,
وَٱلأَمْنَ وَٱلصِّحَّةَ
वल-अम्न वस्सिह्हत
अमन और सेहत अता फ़रमा,
وَٱلْنُّجُوعَ وَٱلْقُنُوعَ
वन्नुजूअ़ वल्क़ुनूअ़
ख़ुशगवारी और क़नाअत अता फ़रमा,
وَٱلشُّكْرَ وَٱلْمُعَافَاةَ وَٱلتَّقْوَىٰ
वश्शुक्र वल्मुअ़ाफ़ात वत्तक़्वा
शुक्र, आफ़ियत और तक़्वा अता फ़रमा,
وَٱلصَّبْرَ وَٱلصِّدْقَ عَلَيْكَ وَعَلَىٰ أَوْلِيَائِكَ
वस्सब्र वस्सिद्क़ अ़लैक व अ़ला औलियाइक
सब्र, तुझ पर और तेरे औलिया पर सिद्क़ (सच्चाई) अता फ़रमा,
وَٱلْيُسْرَ وَٱلشَّكْرَ
वल-युस्र वश्शुक्र
आसानी और शुक्र अता फ़रमा।
وَأَعْمِمْ بِذٰلِكَ يَا رَبِّ أَهْلِي وَوَلَدِي
व अअ़मिम बिज़ालिका या रब्बि अहली व वलदी
और ऐ मेरे रब! इसी को मेरे अहल और मेरी औलाद पर भी आम कर दे,
وَإِخْوَانِي فِيكَ
व इख़्वानी फीक
और दीन में मेरे भाइयों पर भी,
وَمَنْ أَحْبَبْتُ وَأَحَبَّنِي
व मन अहबब्तु व अहब्बनी
और उन सब पर जिनसे मैं मोहब्बत करता हूँ और जो मुझसे मोहब्बत करते हैं,
وَوَلَدْتُ وَوَلَدَنِي
व वलद्तु व वलदनी
और जिनको मैंने जना और जिन्होंने मुझे जना,
مِنَ ٱلْمُسْلِمِينَ وَٱلْمُؤْمِنِينَ
मिनल-मुस्लिमीन वल-मुअ़मिनीन
मुसलमानों और मोमिनों में से,
يَارَبَّ ٱلْعَالَمِينَ
या रब्बल-अ़ालमीन
ऐ रब्बुल-आलमीन!
अली इब्न हदीद से रिवायत है कि इमाम मूसा इब्न जअ़फ़र (उन पर सलाम) नमाज़-ए-शब (सलातुल-लैल) मुकम्मल करने के बाद सज्दा में यह दुआ पढ़ा करते थे:
5.इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ.स.)
लक़ब/कुनियत: अल बाक़िर, अबू जाफ़रवालिद: इमाम अली ज़ैनुल आबिदीन (अ.स.) | वालिदा: फ़ातिमा
विलादत: 1 रजब (या 3 सफ़र) 57 हि./675 ई.
शहादत: हिशाम इब्न अब्दुल मलिक द्वारा ज़हर दिए जाने से 7 ज़िलहिज्जा 114 हि./733 ई. | क़ब्र: बाक़ी, मदीना
उम्र: 57 साल
इमामत की उम्र: 38 साल
दौर-ए-इमामत: 19 साल
ज़ियारत और मज़ीद....
इस दिन रोज़ा रखना मुस्तहब है। रिवायात के मुताबिक़, हज़रत नूह (`a) इसी दिन कश्ती (सफ़ीना) पर सवार हुए; इसलिए उन्होंने अपने साथियों को रोज़ा रखने का हुक्म दिया। पस जो शख़्स इस दिन रोज़ा रखे, जहन्नम उससे एक साल की राह के फ़ासले तक दूर हो जाती है।
इस दिन ग़ुस्ल करना भी मुस्तहब है।
रजब के पहले दिन के लिए इमाम हुसैन (अ.स.) की ज़ियारत
सलमान फ़ारसी की नमाज़
नए महीने के आमालयह पढ़ना मुस्तहब है : इस ख़ास दिन के लिए लंबी दुआ, जो किताब ‘इक़बाल अल-अमाल’ से है, अगले टैब में
किताब ‘इक़बाल अल-अ‘माल’ में मज़कूर यह लंबी दुआ पढ़ें:अलग पेज
اَللَّهُمَّ إنِّي أَسْأَلُكَ يا اللهُ يا اللهُ يا اللهُ،
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका या अल्लाहु या अल्लाहु या अल्लाहु،
ऐ अल्लाह! बेशक मैं तुझसे सवाल करता हूँ—या अल्लाह, या अल्लाह, या अल्लाह;
أَنْتَ اللهُ القَديمُ الأَزَلِيُّ الْمَلِكِ العَظيمِ،
अन्तल्लाहुल-क़दीमुल-अज़लिय्युल-मलिकिल-अ़ज़ीम،
तू ही अल्लाह है—क़दीम, अज़ली, बड़े बादशाही का मालिक;
أَنْتَ اللهُ الحَيُّ القَيُّومُ الْمَوْلى السَّميعُ البَصيرُ،
अन्तल्लाहुल-हय्युल-क़य्यूमुल-मौला अस्समीउल-बसीर،
तू ही अल्लाह है—हय्य, क़य्यूम, मौला, सब सुनने वाला, सब देखने वाला;
يا مَنِ العِزُّ وَالجَلالُ،
या मनिल-इज़्ज़ु वल-जलालु،
ऐ वह कि इज़्ज़त और जलाल,
وَالكِبْرِياءُ وَالعَظَمَةُ،
वल-किब्रिया’उ वल-अ़ज़मतु،
और किब्रिया और अज़मत,
وَالقُوَّةُ وَالعِلْمُ وَالقُدْرَةُ،
वल-क़ुव्वतु वल-इल्मु वल-क़ुदरतु،
और क़ुव्वत, इल्म और क़ुदरत,
وَالنُّورُ وَالرُّوحُ،
वन्नूरु वर्रूहु،
और नूर और रूह,
وَالْمَشيئَةُ وَالحَنانُ وَالرَّحْمَةُ وَالمُلْكُ لِرُبوبِيَّتِهِ،
वल-मशीअतु वल-हनानु वर्रहमतु वल-मुल्कु लिरुबूबिय्यतिही،
और मशीयत, हनान, रहमत और मुल्क—ये सब उसकी रुबूबियत के लिए हैं;
نورُكَ أَشْرَقَ لَهُ كُلُّ نورٍ،
नूरुका अशरक़ लहू कुल्लु नूरिन،
तेरे नूर से हर नूर चमक उठा;
وَخَمَدَ لَهُ كُلُّ نارٍ،
व ख़मदा लहू कुल्लु नारिन،
और हर आग बुझ गई;
وانْحَصَرَ لَهُ كُلُّ الظُّلُماتِ.
वनहसरा लहू कुल्लुज़्-ज़ुलुमाति.
और हर अंधेरा दब गया।
أَسْأَلُكَ باسْمِكَ الَّذي اشْتَقَقْتَهُ مِنْ قِدَمِكَ وَأزَلِكَ وَنورِكَ،
असअलुका बिस्मिकल्लज़ी इश्तक़क़्तहू मिन क़िदमिक व अज़लिक व नूरिक،
मैं तुझसे तेरे उस नाम के वसीले से सवाल करता हूँ जो तूने अपने क़िदम, अज़ल और नूर से निकाला,
وَبالإسْمِ الأَعْظَمِ الَّذي اشْتَقَقْتَهُ مِنْ كِبْرِيائِكَ وَجَبَروتِكَ وَعَظَمَتِكَ وَعِزِّكَ،
व बिल-इस्मिल-अअ़ज़मिल्लज़ी इश्तक़क़्तहू मिन किब्रिया’इक व जबरूतिक व अ़ज़मतक व इज़्ज़िक،
और उस इस्म-ए-अअ़ज़म के वसीले से जो तूने अपनी किब्रिया, जबरूत, अज़मत और इज़्ज़ से निकाला,
وَبِجُودِكَ الَّذي اشْتَقَقْتَهُ مِنْ رَحْمَتِكَ،
व बिजूदिकल्लज़ी इश्तक़क़्तहू मिन रहमतक،
और तेरे जूद के वसीले से जो तूने अपनी रहमत से निकाला,
وَبِرَحْمَتِكَ الَّتي اشْتَقَقْتَها مِنْ رَأفَتِكَ،
व बिरहमतिकल-लती इश्तक़क़्तहा मिन राफ़तिक،
और तेरी रहमत के वसीले से जिसे तूने अपनी रअफ़त से निकाला;
وَبِرَأْفَتِكَ الَّتي اشْتَقَقْتَها مِنْ جودِكَ،
व बिरअफ़तिकल-लती इश्तक़क़्तहा मिन जूदिक،
और तेरी रअफ़त के वसीले से जिसे तूने अपने जूद से निकाला;
وَبِجودِكَ الَّذي اشْتَقَقْتَهُ مِنْ غَيْبِكَ،
व बिजूदिकल-लज़ी इश्तक़क़्तहू मिन ग़ैबिक،
और तेरे जूद के वसीले से जिसे तूने अपने ग़ैब से निकाला;
وَبِغَيْبِكَ وَإحاطَتِكَ وَقِيامِكَ وَدَوامِكَ وَقِدَمِكَ.
व बिग़ैबिक व इहाततिक व क़ियामिक व दवामिक व क़िदमिक.
और तेरे ग़ैब, तेरी इहाता, तेरे क़ियाम, तेरे दवाम और तेरे क़िदम के वसीले से।
وَأسْألُكَ بِجَمِيعِ أسْمائِكَ الْحُسْنى
व असअलुका बिजमीअ़ि अस्माइकल-हुस्ना
और मैं तुझसे तेरे तमाम अस्मा-ए-हुस्ना के वसीले से सवाल करता हूँ।
لا إلَهَ إلاّ أنْتَ الواحِدُ الأحَدُ الفَرْدُ الصَّمَدُ الحَيُّ،
ला इलाहा इल्ला अन्तल-वाहिदुल-अहदुल-फ़र्दुस्समदुल-हय्यु،
तेरे सिवा कोई माबूद नहीं; तू वाहिद, अहद, फ़र्द, समद, हय्य है,
الأوَّلُ الآخِرُ الظّاهِرُ الباطِنُ،
अल-अव्वलुल-आख़िरुज़्-ज़ाहिरुल-बातिनु
अव्वल, आख़िर, ज़ाहिर, बातिन है,
وَلَكَ كُلُّ اسْمٍ عَظيمٍ،
व लक कुल्लु इस्मिन अ़ज़ीमिन،
और हर अज़ीम नाम तेरा है,
وَكُلُّ نورٍ وَغَيْبٍ،
व कुल्लु नूरिन व ग़ैबिन،
और हर नूर और हर ग़ैब तेरा है,
وَعِلْمٍ وَمَعْلومٍ،
व अ़िल्मिन व मअ़लूमिन،
और हर इल्म और हर मअ़लूम तेरा है,
وَمُلْكٍ وَشَأْنٍ
व मुल्किन व शअ’निन،
और हर मुल्क और हर शान तेरा है।
وَبِلا إلَهَ إلاّ أنْتَ تَقَدَّسْتَ وَتَعالَيْتَ عُلُوّاً كَبيراً.
व बिला इलाहा इल्ला अन्त तक़द्दस्त व तअ़ालय्त अ़ुलुव्वन कबीरन.
और (इस वजह से कि) तेरे सिवा कोई माबूद नहीं, तू पाक है और बहुत बुलंद-ओ-बरतर है।
اَللّهُمَّ إنّي أسْألُكَ بِكُلِّ اسْمٍ هُوَ لَكَ طاهِرٌ مُطَهَّرٌ،
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका बिकुल्लि इस्मिन हुवा लक ताहिरुन मुतह्हरुन،
ऐ अल्लाह! मैं तुझसे हर उस नाम के वसीले से सवाल करता हूँ जो तेरा है—जो पाक और मुतह्हर है,
طَيِّبٌ مُبارَكٌ مُقَدَّسٌ،
तय्यिबुन मुबारकुन मुक़द्दसुन،
जो तय्यिब, मुबारक और मुक़द्दस है,
أنْزَلْتَهُ في كُتُبِكَ وَأجْرَيْتَهُ في الذِّكْرِ عِنْدَكَ،
अन्जल्तहू फी कुतुबिक व अज्रय्तहू फ़िज़्-ज़िक्रि इन्दक،
जिसे तूने अपनी किताबों में नाज़िल किया और अपने पास के ज़िक्र में जारी रखा,
وَتَسَمَّيْتَ بِهِ لِمَنْ شِئْتَ مِنْ خَلْقِكَ
व तसम्मय्ता बिहि लिमन शिअता मिन ख़ल्किक
या तूने उसे अपनी मख़लूक़ में से जिसके लिए चाहा, उसके लिए इस्तेमाल फ़रमाया,
أوْ سَألَكَ بِهِ أحَدٌ مِنْ مَلائِكَتِكَ وَأنْبِيائِكَ وَرُسُلِكَ بِخَيْرٍ تُعْطيهِ فَأعْطَيْتَهُ،
औ सअलका बिहि अहदुन मिन मलाइकतिक व अन्बिया’इक व रुसुलिक बिख़ैरिन तुअ़तीहि फ़-अअ़तय्तहु,
या तेरे फ़रिश्तों, अंबिया और रसूलों में से किसी ने उसी के वसीले से तुझसे किसी भलाई का सवाल किया जिसे तू अता करता है तो तूने उसे अता फ़रमाया,
أوْ شَرٍّ تَصْرِفُهُ فَصَرَفْتَهُ،
औ शर्रिन तस्रिफ़ुहू फ़-स़रफ्तहू,
या किसी शर्र को दूर करने का सवाल किया तो तूने उसे दूर फ़रमा दिया,
يَنْبَغي أنْ أسْألَكَ بِهِ.
यन्बग़ी अन असअलका बिहि.
तो मुझे भी चाहिए कि मैं उसी के वसीले से तुझसे सवाल करूँ।
فأسْألُكَ يا رَبِّ أنْ تَنْصُرَني عَلى أعْدائي وَتَغْلِبَ ذِكْري عَلى نِسْياني،
फ़-असअलुका या रब्बि अन तन्सुरनी अ़ला अअ़दाई व तग़्लिब ज़िक्री अ़ला निस्यानी,
पस ऐ मेरे रब! मैं तुझसे सवाल करता हूँ कि तू मेरे दुश्मनों पर मेरी मदद फ़रमा और मेरा ज़िक्र मेरी भुलक्कड़पन पर ग़ालिब कर दे,
اَللّهُمَّ إجْعَلْ لِعَقْلي عَلى هَوايَ سُلْطاناً مُبيناً،
अल्लाहुम्मज्अल लिअ़क़्ली अ़ला हवाया सुल्तानन मुबीनन,
ऐ अल्लाह! मेरे अ़क़्ल को मेरे नफ़्सानी ख्वाहिशों पर वाज़ेह ग़लबा अता फ़रमा,
وَإقْرِنْ اخْتِياري بِالتَّوْفيقِ،
व इक्रिन इख़्तियारी बित्तौफ़ीक़,
और मेरे इख़्तियार को तौफ़ीक़ के साथ जोड़ दे,
وإجْعَلْ صاحِبي التَّقْوى،
विज्अल साहिबीत-तक़्वा,
और तक़्वा को मेरा हमनशीन बना दे,
وَأوْزِعْني شُكْرَكَ عَلى مَواهِبِكَ.
व औज़िअ़नी शुक़्रका अ़ला मवाहिबिक.
और मुझे तेरी नेमतों पर तेरा शुक्र अदा करने की तहरीक दे,
واهْدني اَللّهُمَّ بِهُداكَ إلى سَبيلِكَ المُقِيمِ وَصِراطِكَ المُسْتِقيمِ ،
वह्दिनी अल्लाहुम्मा बिहुदाका इला सबीलिकल-मुक़ीमि व सिरातिकल-मुस्तक़ीमि ,
और ऐ अल्लाह! अपनी हिदायत से मुझे अपने सबील-ए-मुक़ीम और अपने सिरात-ए-मुस्तक़ीम तक पहुँचा दे,
وَلا تَمْلِكْ زِمامي الشَّهَواتُ فَتَحْمِلُني عَلى طَريقِ الْمَخْذولينَ،
व ला तम्लिक ज़िमामीश्शहवातु फ़तह्मिलुनी अ़ला तरीक़िल-मख़ज़ूलिन,
और शहवात को मेरे क़ाबू में न दे कि वे मुझे मख़ज़ूलों के रास्ते पर ले जाएँ,
وَحُلْ بَيْني وَبَيْنَ المُنْكَراتِ،
व हुल बैनी व बैनल-मुनकराति,
और मेरे और मुनकरात के दरमियान हाइल हो जा,
وَاجْعَلْ لي عِلْماً نافِعاً،
वज्अल ली अ़िल्मन नाफिअ़न,
और मेरे लिए नाफ़ेअ़ इल्म मुक़र्रर फ़रमा,
وَأغْرِسْ في قَلبي حُبَّ الْمَعْروفِ وَلا تَأخُذْني بَغْتَةً،
वग़्रिस फी क़ल्बी हुब्बल-मअ़रूफ़ि व ला तअख़ुज़्नी बग़्ततन,
और मेरे दिल में मअ़रूफ़ की मोहब्बत बो दे, और मुझे अचानक न पकड़,
وَتُبْ عَلَيَّ إنَّكَ أنْتَ التَّوّابُ الرَّحيمُ.
व तुब अ़लय्य इन्नका अन्तत्तव्वाबुर्रह़ीम.
और मेरी तौबा क़बूल फ़रमा; बेशक तू तव्वाब और रहीम है।
وَعَرِّفْني بَرَكَةَ هذا الشَّهْرِ وَيُمْنَهُ،
व अ़र्रिफ़नी बरकत हाज़श्शहरि व युम्नहू,
और मुझे इस महीने की बरकत और युम्न से आगाह कर दे,
وَارْزُقْني خَيْرَهُ وَاصْرِفْ عَنّي شَرَّهُ،
वरज़ुक़नी ख़ैरहू वस्रिफ़ अ़न्नी शर्रहू,
और मुझे इसका ख़ैर अता फ़रमा और इसका शर्र मुझसे दूर रख,
وَقِني الْمَحْذورَ فيهِ،
व क़िनी अलमह़ज़ूर फ़ीहि,
और मुझे इसमें मौजूद ख़तरात से महफ़ूज़ रख,
وَأعِنّي عَلى ما أُحِبُّهُ مِنَ القِيامِ بِحَقِّهِ،
व अ़िन्नी अ़ला मा उहिब्बुहु मिनल-क़ियामि बिहक़्क़िही,
और मुझे उसकी ज़िम्मेदारियों को अदा करने में मदद फ़रमा जिनसे मैं मोहब्बत रखता हूँ,
وَمَعْرِفَةِ فَضْلِهِ،
व मअ़रिफ़ति फ़ज़्लिही,
और उसकी फ़ज़ीलत की पहचान अता फ़रमा,
وَاجْعَلْني فيهِ مِنَ الفائِزينَ يا أرْحَمَ الرّاحِمينَ.
वज्अलनी फ़ीहि मिनल-फ़ाइज़ीना या अरह़मर-राह़िमीन.
और मुझे इसमें कामयाब होने वालों में शामिल फ़रमा, ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले,
اَللّهُمَّ إنّي أسْألُكَ بِاسْمِكَ المُتَعالِ الجَليلِ العَظيمِ،
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका बिस्मिकल-मुतअ़ालिल-जलीलिल-अ़ज़ीमि,
ऐ अल्लाह! मैं तुझसे तेरे बुलंद, जलाल वाले और अज़ीम नाम के वसीले से सवाल करता हूँ,
وَبِاسْمِكَ الواحِدِ الصَّمَدِ،
व बिस्मिकल-वाहिदिस्समद,
और तेरे उस नाम के वसीले से जो वाहिद और समद है,
وَبِاسْمِكَ العِزيزِ الأعْلى،
व बिस्मिकल-अ़ज़ीज़िल-अअ़ला,
और तेरे अ़ज़ीज़ और आला नाम के वसीले से,
وَبِأسْمائِكَ الحُسْنى كُلِّها،
व बिअस्माइकल-ह़ुस्ना कुल्लिहा,
और तेरे तमाम अच्छे नामों के वसीले से,
يا مَنْ خَشَعَتْ لَهُ الأصْواتُ
या मन ख़शअ़त लहुल-अस्वातु
ऐ वह जिसकी हैबत से सारी आवाज़ें झुक जाती हैं,
وَخَضَعَتْ لَهُ الرِّقابُ
व ख़ज़अ़त लहुर-रिक़ाबु
और सारी गर्दनें झुक जाती हैं,
وَذَلَّتْ لَهُ الأعْناقُ،
व ज़ल्लत लहुल-अअ़नाक़ु,
और तमाम सर आज़िज़ हो जाते हैं,
وَوَجِلَتْ مِنْهُ القُلوبُ،
व वजिलत मिनहुल-क़ुलूबु,
और तमाम दिल उससे डर जाते हैं,
وَدانَ لَهُ كُلُّ شَيْءٍ،
व दाना लहू कुल्लु शैइन,
और हर चीज़ उसकी इताअ़त में आ जाती है,
وَقامَتْ بِهِ السَّماواتُ وَالأرْضُ،
व क़ामत बिहिस्समावातु वल-अ़रज़ु,
और उसी से आसमान और ज़मीन क़ायम हैं,
أشْهَدُ أنَّكَ لا تُدْرِكُكَ الأبْصارُ
अशहदु अन्नका ला तुज़रिकुकल-अबसारु
मैं गवाही देता हूँ कि निगाहें तुझे नहीं पा सकतीं,
وأنْتَ تُدْرِكُ الأبْصارَ
व अन्त तुज़रिकुल-अबसार,
और तू तमाम निगाहों को देख रहा है,
وأنْتَ اللَّطيفُ الخَبِيرُ.
व अन्तल-लतीफ़ुल-ख़बीर.
और तू लतीफ़ और हर बात से बाख़बर है,
يا رَبَّ جِبْرَئيلَ وَميكائيلَ وَإسْرافيلَ،
या रब्ब जिब्राईला व मीका’ईला व इसराफ़ीला,
ऐ जिब्राईल, मीकाईल और इसराफ़ील के रब,
وَجَميعِ الْمَلائِكَةِ المُقَرَّبينَ وَالكُروبِيّينَ وَالكِرامِ الكاتِبينَ،
व जमीअ़िल-मलाइकल-मुक़र्रबीन वल-क़ुरूबिय्यीन वल-किरामिल-कातिबीन,
और तमाम मुक़र्रब फ़रिश्तों, क़ुरूबियों और इज़्ज़त वाले लिखने वाले फ़रिश्तों के रब,
وَجَميعِ الْمَلائِكَةِ المُسَبِّحينَ بِحَمْدِكَ،
व जमीअ़िल-मलाइकल-मुसब्बिहीन बिह़म्दिक,
और तेरी हम्द के साथ तस्बीह करने वाले तमाम फ़रिश्तों के रब,
وَرَبَّ آدَمَ وَشيثٍ وَإدْريسَ،
व रब्ब आदमा व शिशिन व इद्रीसा,
और आदम, शीश और इदरीस के रब,
وَنوحٍ وَهودٍ وصالِحٍ،
व नूहिन व हूदिन व स़ालिह़िन,
और नूह, हूद और स़ालिह़,
وَإبْراهيمَ وَإسْماعيلَ
व इब्राहीमा व इस्माईला
और इब्राहीम और इस्माईल,
وَإسْحاقَ وَلوطٍ،
व इस्ह़ाक़ा व लूतिन,
और इस्ह़ाक़ और लूत,
وَيَعْقوبَ وَيوسُفَ وَالأسْباطِ
व यअ़क़ूबा व यूसुफ़ा वल-असबाति
और यअ़क़ूब, यूसुफ़ और असबात,
وَأيّوبَ وَموسى
व अय्यूबा व मूसा
और अय्यूब और मूसा,
وَهارونَ وَشُعيبٍ،
व हारूना व शुअ़यबिन,
और हारून और शुअ़यब,
وَداوودَ وَسُلَيْمانَ وَإرْمِيا،
व दाऊदा व सुलयमाना व इर्मिया,
और दाऊद, सुलयमान और इर्मिया,
وَعُزَيْرٍ وَحِزْقيلَ،
व उज़ैरिन व ह़िज़्क़ीला,
और उज़ैर और ह़िज़्क़ील,
وَشَعْيا وَإلْياسَ،
व शअ़या व इल्यासा,
और शअ़या और इल्यास,
وَإليَسَعَ وَيونُسَ وَذي الكِفْلِ،
व इल्यसअ़ा व यूनुसा व ज़िल-किफ़्लि,
और इल्यसअ़, यूनुस और ज़िल-किफ़्ल,
وَزَكَرِيّا وَيَحْيى،
व ज़करिय्या व यह़्या,
और ज़करिय्या और यह़्या,
وَعيسى وَجِرْجيسَ،
व ईसा व जिरजीसा,
और ईसा और जिरजीस,
وَمُحَمَّدٍ صَلّى اللهُ عَلَيْهِمْ أجْمَعينَ،
व मुहम्मदिन सल्लल्लाहु अ़लैहिम अज्मअ़ीन,
और मुहम्मद—अल्लाह की सलात उन पर और उन सब पर हो,
وَعَلى مَلائِكَةِ اللهِ المُقَرَّبينَ
व अ़ला मलाइकतिल्लाहिल-मुक़र्रबीन
और अल्लाह के मुक़र्रब फ़रिश्तों पर,
وَالكِرامِ الكاتِبينَ
वल-किरामिल-कातिबीन
और इज़्ज़त वाले लिखने वाले फ़रिश्तों पर,
وَجَميعِ الأمْلاكِ المُسَبِّحينَ
व जमीअ़िल-अमलाकिल-मुसब्बिहीन
और तमाम तस्बीह करने वाले फ़रिश्तों पर,
وَسلَّمَ تَسْليماً كَثيراً.
व सल्लमा तस्लीमन कसीरन.
और उन सब पर बहुत ज़्यादा सलाम हो।
أنْتَ رَبُّنا الأوَّلُ الآخِرُ،
अन्त रब्बुनल-अव्वलुल-आख़िरु,
तू ही हमारा रब है—अव्वल भी और आख़िर भी,
الظّاهِرُ الباطِنُ،
अज़्-ज़ाहिरुल-बातिनु
ज़ाहिर भी और बातिन भी,
الَّذي خَلَقْتَ السَّماواتِ وَالأرَضينَ
अल्लज़ी ख़लक्तस्समावाति वल-अरज़ीन
जिसने आसमानों और ज़मीनों को पैदा किया,
ثُمَّ اسْتَوَيْتَ عَلى العَرْشِ الْمَجيدِ،
थुम्मस्तवय्ता अ़लल-अ़रशिल-मजीदि,
फिर तू अर्श-ए-मजीद पर मुस्तवी हुआ,
بِأسْمائِكَ الحُسْنى تُبْدِئُ وَتُعيدُ،
बिअस्माइकल-ह़ुस्ना तुबदि’उ व तुईदु,
अपने अस्मा-ए-हुस्ना से तू इब्तिदा करता है और फिर दुबारा पैदा करता है,
وَتُغْشي اللَيْلَ النَّهارَ يَطْلُبُهُ حَثيثاً،
व तुग़्शिल-लैला न्नहार यत्लुबुहू ह़सीसन,
और तू रात को दिन से ढाँप देता है—दिन जल्दीजल्दी उसके पीछे आता है,
وَالشَّمْسُ وَالقَمَرُ
वश्शम्सु वल-क़मरु
और सूरज और चाँद,
وَالنُّجومُ وَالفَلَكُ
वन्नुजूमु वल-फ़लकु
और सितारे और फ़लक,
وَالدُّهورُ وَالخَلْقُ
वद्दुहूरु वल-ख़ल्कु
और ज़मानों के दौर और तमाम मख़लूक़,
مُسَخَّرونَ بِأمْرِكَ،
मुसख़्ख़रूना बिअम्रिक,
सब तेरे हुक्म के ताबेअ़ हैं,
تَبارَكْتَ وَتَعالَيْتَ يا رَبَّ العالَمينَ.
तबारक्ता व तअ़ालय्ता या रब्बल-अ़ालमीन.
ऐ रब्बुल आलमीन! तू बरकत वाला है और बहुत बुलंद-ओ-बरतर है।
لا إلَهَ إلاّ أنْتَ
ला इलाहा इल्ला अन्त
तेरे सिवा कोई माबूद नहीं,
الحَنّانُ الْمَنّانُ
अल्हन्नानुल-मन्नानु
तू हन्नान है, मन्नान है,
بَديعُ السَّماواتِ وَالأرْضِ،
बदीउ’स्समावाति वल-अरज़ि,
आसमानों और ज़मीन का बदीअ़ बनाने वाला है,
ذو الجَلالِ وَالإكْرامِ،
ज़ुल-जलालि वल-इक्रामि,
ज़ुल-जलाल वल-इक्राम है,
لَوْ كَانَ الْبَحْرُ مِدَاداً لِكَلِمَاتِ رَبِّي
लौ कानल-बहरु मिदादन लिकलिमाति रब्बी
अगर समुंदर मेरे रब के कलिमात के लिए स्याही बन जाए,
لَنَفِدَ الْبَحْرُ قَبْلَ أَنْ تَنفَدَ كَلِمَاتُ رَبِّي
लनफिदल-बहरु क़ब्ल अन तनफदा कलिमातु रब्बी
तो समुंदर खत्म हो जाएगा, इससे पहले कि मेरे रब के कलिमात खत्म हों,
وَلَوْ جِئْنَا بِمِثْلِهِ مَدَداً.
व लौ जिअ़ना बिमिस्लिही मददन.
अगरचे हम वैसी ही (और) मदद लेकर आ जाएँ।
تَعْلَمُ مَثاقيلَ الجِبالِ
तअ़लमु मसाक़ीलल-जिबालि
तू पहाड़ों के वज़न जानता है,
وَمَكائيلَ البِحارِ
व मकाईलल-बिहारि
और समुंदरों के पैमाने जानता है,
وَعَدَدَ الرِّمالِ،
व अ़ददअर-रिमालि,
और रेत के ज़र्रात की तअ़दाद (भी),
وَقَطْرَ الأمْطارِ،
व क़त्रल-अम्तारि,
और बारिश की बूँदों की तअ़दाद,
وَوَرَقَ الأشْجارِ،
व वरक़ल-अश्जारि,
और दरख़्तों के पत्तों की तअ़दाद,
وَنُجومَ السَّماءِ
व नुजूमस्समाइ
और आसमान के सितारों की तअ़दाद,
وَما أظْلَمَ عَلَيْهِ اللَيْلُ وَأشْرَقَ عَلَيْهِ النَّهارُ،
व मा अज़्लमा अ़लैहिल्लैलु व अश्रक़ अ़लैहिन्नहारु,
और वह सब जिस पर रात की तारीकी छा जाए और जिस पर दिन की रौशनी चमके,
لا يُواري مِنْكَ سَماءٌ سَماءً وَلا أرْضٌ أرْضاً،
ला यूवारी मिंका समाउन समाअ़न व ला अ़रज़ुन अ़रज़न,
कोई आसमान तुझसे दूसरे आसमान को नहीं छुपा सकता और कोई ज़मीन दूसरी ज़मीन को नहीं छुपा सकती,
وَلا بَحْرٌ مُتَطابِقٌ،
व ला बहरुन मुतताबिक़ुन,
और न कोई लहराता हुआ समुंदर,
وَلا ما بَيْنَ سَدِّ الرُّتوقِ،
व ला मा बैना सद्दिर-रुतूक़ि,
और न वह जो जोड़-बंद की रुकावटों के दरमियान है,
وَلا ما في القَرارِ مِنَ الهَباءِ الْمَبْثوثِ.
व ला मा फ़िल-क़रारि मिनल-हबाइ अल-मब्थूथि.
और न वह जो गहराइयों में बिखरे हुए ज़र्रात की शक्ल में है,
أسْألُكَ بِاسْمِكَ الْمَخْزونِ الْمَكْنونِ
असअलुका बिस्मिक़ल-मख़्ज़ूनिल-मक्नूनि
मैं तुझसे तेरे उस नाम के वसीले से सवाल करता हूँ जो जमा किया हुआ और पोशीदा है,
النّورِ المُنيرِ،
अन्नूरिल-मुनीरि,
जो रौशन करने वाला नूर है,
الْحَقِّ المُبينِ،
अल्ह़क़्क़िल-मुबीनि,
जो वाज़ेह हक़ है,
الَّذي هو نورٌ مِنْ نورٍ
अल्लज़ी हुवा नूरुन मिन नूरिन
जो नूर में से नूर है,
وَنورٌ عَلى نورٍ،
व नूरुन अ़ला नूरिन,
और नूर पर नूर है,
وَنورٌ فَوْقَ كُلِّ نورٍ،
व नूरुन फ़ौक़ कुल्लि नूरिन,
और हर नूर के ऊपर नूर है,
وَنورٌ مَعَ كُلِّ نورٍ،
व नूरुन मअ़ कुल्लि नूरिन,
और हर नूर के साथ नूर है,
وَلَهُ كُلُّ نورٍ،
व लहू कुल्लु नूरिन,
और उसी के लिए हर नूर है,
مِنْكَ يا رَبُّ النّورُ،
मिंका या रब्बुन-नूरु,
ऐ रब्ब-ए-नूर! नूर तुझी से है,
وَإلَيْكَ يَرْجِعُ النّورُ.
व इलैका यर्जिअ़ुन-नूरु.
और नूर तुझी की तरफ़ लौटता है,
وَبِنورِكَ الَّذي تُضيءُ بِهِ كُلُّ ظُلْمَةٍ،
व बिनूरिकल्लज़ी तुज़ीउ बि़ही कुल्लु ज़ुल्मतिन,
और तेरे उस नूर के वसीले से जिससे हर तारीकी रौशन हो जाती है,
وَتَبْطُلُ بِهِ كَيْدُ كُلِّ شَيْطانٍ مَريدٍ،
व तब्तुलु बि़ही कैदु कुल्लि शैतानिन मरीदिन,
और जिससे हर सरकश शैतान की चाल नाकाम हो जाती है,
وَتَذُلُّ بِهِ كُلُّ جَبّارٍ عَنيدٍ،
व तज़ुल्लु बि़ही कुल्लु जब्बारिन अ़नीदिन,
और जिससे हर ज़िद्दी जब्बार ज़लील हो जाता है,
وَلا يَقومُ لَهُ شَيْءٌ مِنْ خَلْقِكَ
व ला यक़ूमु लहू शैउन मिन ख़ल्किक
और तेरी मख़लूक़ में से कोई चीज़ उसके मुक़ाबले में खड़ी नहीं हो सकती,
وَيَتَصَدَّعُ لِعَظَمَتِهِ البَرُّ وَالبَحْرُ،
व यतसद्दअ़ु लिअ़ज़मतिहिल-बर्रु वल-बहरु,
और उसकी अज़मत से ख़ुश्क़ी और समुंदर फट जाते हैं,
وَتَسْتَقِلُّ الْمَلائِكَةُ حينَ يَتَكَلَّمُ بِهِ،
व तस्तक़िल्लुल-मलाइकतु हीन यतकल्लमु बि़ही,
और जब उसका ज़िक्र किया जाता है तो फ़रिश्ते साकित हो जाते हैं,
وَتَرْعَدُ مِنْ خَشْيَتِهِ حَمَلَةُ العَرْشِ العَظيمِ
व तरअ़दु मिन ख़श्यतिही ह़मलतुल-अ़रशिल-अ़ज़ीमि
और उसके ख़ौफ़ से अर्श-ए-अज़ीम उठाने वाले (फ़रिश्ते) भी लरज़ उठते हैं,
إلى تُخومِ الأرَضينَ السَّبْعِ،
इला तुख़ूमिल-अरज़ीनस्सब्अ़ि,
यहाँ तक कि सात ज़मीनों की इंतिहा तक,
الَّذي انْفَلَقَتْ بِهِ البِحارُ،
अल्लज़ी अन्फलक़त बि़हील-बिहारु,
जिससे समुंदर फट जाते हैं,
وَجَرَتْ بِهِ الأنْهارُ،
व जरत बि़हील-अन्हारु,
और नदियाँ बह पड़ती हैं,
وَتَفَجَّرَتْ بِهِ العُيونُ،
व तफ़ज्जरत बि़हील-अ़यूनु,
और चश्मे फूट निकलते हैं,
وَسارَتْ بِهِ النُّجُومُ،
व सारत बि़हीन्नुजूमु,
और सितारे चल पड़ते हैं,
وَأُرْكِمَ بِهِ السَّحابُ وَأُجْرِيَ،
व उर्किमा बि़हीस्सहाबु व उुज्रिया,
और बादल जमा किए जाते हैं और चलाए जाते हैं,
وَاعْتَدَلَ بِهِ الضَّبابُ،
व इअ़तदला बि़हीद्दबाबु,
और धुंध (भी) उसी से मुअ़तदिल हो जाती है,
وَهالَتْ بِهِ الرِّمالُ،
व हालत बि़हीर-रिमालु,
और रेत के ढेर लग जाते हैं,
وَرَسَتْ بِهِ الجِبالُ
व रसत बि़हील-जिबालु
और पहाड़ जम जाते हैं,
وَاسْتَقَرَّتْ بِهِ الأرَضونَ،
व अस्तक़र्रत बि़हील-अरज़ूना,
और ज़मीनें (तहें) क़ायम व स्थिर हो जाती हैं,
وَنَزَلَ بِهِ القَطْرُ
व नज़ला बि़हील-क़त्रु
और बारिश की बूँदें उतरती हैं,
وَخَرَجَ بِهِ الحَبُّ،
व ख़रजा बि़हील-ह़ब्बु,
और दाने उग आते हैं,
وَتَفَرَّقَتْ بِهِ جَبَلاتُ الخَلْقِ،
व तफ़र्रक़त बि़ही जबलातुल-ख़ल्क़ि,
और मख़लूक़ की क़िस्में तरह-तरह बिखर जाती हैं,
وَخَفَقَتْ بِهِ الرِّياحُ،
व ख़फ़क़त बि़हीर-रियाहु,
और हवाएँ चलती हैं,
وَانْتَشَرَتْ وَتَنَفَّسَتْ بِهِ الأرْواحُ.
व अन्तशरत व तनफ़्फसत बि़हील-अरवाहु.
और रूहें फैलती हैं और सांस लेती हैं।
يا اَللهُ أنْتَ المُتَسَمَّى بِالإلهِيَّةِ،
या अल्लाहु अन्तल-मुतसम्मा बिल-इलाहिय्यति,
ऐ अल्लाह! तुझे ही इलाहियत के साथ मौसूम किया गया है,
بِاسْمِكَ الكَبيرِ الأكْبَرِ
बिस्मिकल-कबीिरिल-अक्बरि
तेरे नाम—कबीर, अक्बर—के वसीले से,
العَظيمِ الأعْظَمِ
अलअ़ज़ीमिल-अअ़ज़मि
(और) अज़ीम, अअ़ज़म—के वसीले से,
الَّذي عَنَتْ لَهُ الوُجوهُ،
अल्लज़ी अ़नत लहुल-वुजूहु,
जिसके सामने चेहरे झुक जाते हैं,
يا ذا الطَّوْلِ وَالآلاءِ،
या ज़त-तौ़लि वल-आलाइ,
ऐ तौ़ल और नेमतों के मालिक,
لا إلَهَ إلاّ أنْتَ يا قَريبُ،
ला इलाहा इल्ला अन्त या क़रीबु,
तेरे सिवा कोई माबूद नहीं—ऐ क़रीब (क़रीबतर)!
أنْتَ الغالِبُ عَلى كُلِّ شَيْءٍ،
अन्तल-ग़ालिबु अ़ला कुल्लि शै’इन,
तू ही हर चीज़ पर ग़ालिब है,
أسْألُكَ اَللّهُمَّ بِجَميعِ أسْمائِكَ كُلِّها
अस्अलुका अल्लाहुम्मा बिजमीइ अस्माइका कुल्लिहा
मैं तुझसे ऐ अल्लाह तेरे तमाम नामों के वसीले से सवाल करता हूँ,
ما عَلِمْتُ مِنها وَما لَمْ أعْلَمْ،
मा अ़लिम्तु मिन्हा व मा लम् अअ़लम्,
जिनमें से जो मैं जानता हूँ और जो मैं नहीं जानता,
وَبِكُلِّ اسْمٍ هُوَ لَكَ
व बि-कुल्लि इस्मिन् हुवा लक
और हर उस नाम के वसीले से जो तेरा है,
أنْ تُصَلِّيَ عَلى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अन् तुसल्लिया अ़ला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मदिन
कि तू मुहम्मद और आले मुहम्मद पर दरूद भेजे,
وَأنْ تَكْفِيَني أمْرَ أعْدائي
व अन् तक्फ़ियनी अम्र अअ़दाइ
और मेरे दुश्मनों के अम्र (मामले/शर) से मुझे काफ़ी हो जाए,
وَتُبَلِّغَني مُنايَ
व तुबल्लीग़नी मुनाय
और मुझे मेरी आरज़ू तक पहुँचा दे,
يا أرْحَمَ الرّاحِمينَ.
या अरह़म अर्राह़िमीन.
ऐ सब से बढ़कर रहम करने वाले!
اَللّهُمَّ صَلِّ عَلى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ،
अल्लाहुम्मा सल्लि अ़ला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मदिन,
ऐ अल्लाह! मुहम्मद और आले मुहम्मद पर दरूद भेज,
وارْحَمْ مُحَمَّداً وَآلَ مُحَمَّدٍ
वरह़म मुहम्मदन् व आला मुहम्मदिन
और मुहम्मद और आले मुहम्मद पर रहम फ़रमा,
وَبارِكْ عَلى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ،
व बारिक अ़ला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मदिन,
और मुहम्मद और आले मुहम्मद पर बरकत नाज़िल फ़रमा,
كَما صَلَّيْتَ وَرَحِمْتَ وَبارَكْتَ وَتَرَحَّمْتَ عَلى إبْراهيمَ وَآلِ إبْراهيمَ
कमा सल्लय्ता व रह़िम्ता व बारक्ता व तरह़्ह़म्ता अ़ला इब्राहीमा व आलि इब्राहीम
जैसे तूने इब्राहीम और आले इब्राहीम पर दरूद, रहमत, बरकत और रहम फ़रमाया,
إنَّكَ حِميدٌ مَجيدٌ،
इन्नका ह़मीदुन मजीदुन,
बेशक तू ह़मीद है, मजीद है,
اَللّهُمَّ أعْطِ مُحَمَّداً الوَسيلَةَ وَالشَّرَفَ
अल्लाहुम्मा अअ़ति मुहम्मदन् अल-वसीलता वश्शरफ़
ऐ अल्लाह! मुहम्मद को वसीला और शरफ़ अता फ़रमा,
وَالرِّفْعَةَ وَالفَضيلَةَ عَلى خَلْقِكَ
वर्रिफ़अ़ता वल-फ़ज़ीलता अ़ला ख़ल्क़िक
और अपनी मख़लूक़ पर बुलंदी और फ़ज़ीलत अता फ़रमा,
وَاجْعَلْ في المُصْطَفَيْنَ تَحِيّاتِهِ،
वज्अल फ़िल-मुस्तफ़य्न तह़िय्यातिही,
और मुस्तफ़यीन (चुने हुए बंदों) के दरमियान उनकी ताहिय्यात (सलाम/दुआएँ) क़ायम फ़रमा,
وَفي العِلِّيّينَ دَرَجَتَهُ،
व फ़िल-अ़िल्लीय्यीन दरजातहू,
और अ़िल्लीय्यीन में उनका दर्जा बुलंद फ़रमा,
وَفي المُقَرَّبينَ مَنْزِلَتَهُ،
व फ़िल-मुक़र्रबीन मन्ज़िलतहू,
और मुक़र्रबीन (क़रीबी) के दरमियान उनका मर्तबा अता फ़रमा।
اَللّهُمَّ صَلَّ عَلى جَميعِ مَلائِكَتِكَ
अल्लाहुम्मा सल्ला अ़ला जमीइ मलाइकतिक
ऐ अल्लाह! अपने तमाम फ़रिश्तों पर दरूद भेज,
وَأنْبِيائِكَ وَرُسُلِكَ
व अन्बियाइका व रुसुलिक
और अपने अंबिया व रसूलों पर,
وَأهْلِ طَاعَتِكَ.
व अह़लि ताअ़तिक.
और अपनी इताअ़त करने वालों पर।
اَللّهُمَّ اغْفِرْ لِلْمُؤمِنينَ وَالمُؤمِناتِ
अल्लाहुम्मा इग़्फ़िर लिल-मु’मिनीन वल-मु’मिनाति
ऐ अल्लाह! मोमिन मर्दों और मोमिन औरतों को बख़्श दे,
وَالمُسْلِمينَ وَالمُسْلِماتِ
वल-मुस्लिमीन वल-मुस्लिमाति
और मुसलमान मर्दों और मुसलमान औरतों को भी,
الأحْياءِ مِنْهُمْ وَالأمْواتِ،
अल-अह़याइ मिन्हुम वल-अम्वाति,
उनमें से जो ज़िंदा हैं और जो इंतिक़ाल कर चुके हैं,
وَألِّفْ بَيْنَ قُلوبِنا وَقُلوبِهِمْ عَلى الخَيْراتِ،
व अल्लिफ़ बैना क़ुलूबिना व क़ुलूबिहिम अ़ला अल-ख़ैराति,
और हमारे दिलों और उनके दिलों के दरमियान खैरात पर उल्फ़त (मोहब्बत) पैदा फ़रमा,
اَللّهُمَّ إجْزِ مُحَمَّداً صَلّى اللهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ
अल्लाहुम्मा इज़्ज़ि मुहम्मदन् सल्लल्लाहु अ़लैहि व आलिहि
ऐ अल्लाह! मुहम्मद (सल्लल्लाहु अ़लैहि व आलिहि) को बदला अता फ़रमा,
أفْضَلَ ما جَزَيْتَ نَبِيّاً عَنْ أُمَّتِهِ،
अफ़ज़ल मा जज़य्ता नबिय्यन् अ़न उम्मतिहि,
सबसे बेहतरीन बदला जो तूने किसी नबी को उसकी उम्मत की तरफ़ से दिया हो,
كَما تَلا آياتِكَ
कमा तला आयातिक
क्योंकि उन्होंने तेरी आयात तिलावत कीं,
وَبَلَّغَ ما أرْسَلْتَهُ بِهِ،
व बल्लग़ा मा अरसल्तहू बिहि,
और वह पैग़ाम पहुँचा दिया जिसके साथ तूने उन्हें भेजा,
وَنَصَحَ لأُمَّتِهِ
व नसह़ा लिउम्मतिहि
और अपनी उम्मत के लिए खैरख़्वाही की,
وَعَبَدَكَ حَتّى أتاهُ اليَقينُ
व अ़बदक ह़त्ता अताहुल-यक़ीनु
और तुझे इबादत करते रहे यहाँ तक कि यक़ीन (मौत) आ पहुँची।
صَلّى اللهُ عَلَيْهِ وَعَلى آلِهِ الطَّيِّبينَ.
सल्लल्लाहु अ़लैहि व अ़ला आलिहि अत्तय्यिबीन.
अल्लाह की रहमतें और बरकतें उन पर और उनकी पाकीज़ा इत्रत पर हों।
(تَبَارَكَ اللَّهُ رَبُّ الْعَالَمِينَ)
तबारक अल्लाहु रब्बुल्-आलमीन
“तबारक है अल्लाह, जो रब्बुल आलमीन है!”
(تَبَارَكَ اللَّهُ أَحْسَنُ الْخَالِقِينَ)
तबारक अल्लाहु अह़सनुल्-ख़ालिक़ीन
“तबारक है अल्लाह, जो सब से बेहतर ख़ालिक़ है!”
(تَبَارَكَ الَّذِي نَزَّلَ الْفُرْقَانَ عَلَى عَبْدِهِ لِيَكُونَ لِلْعَالَمِينَ نَذِيراً.
तबारक अल्लज़ी नज़्ज़ल अल-फुरक़ान अ़ला अ़ब्दिहि लियकूना लिल्-आलमीन नज़ीरा
“तबारक है वह ज़ात जिसने अपने बंदे पर फ़ुरक़ान नाज़िल किया, ताकि वह तमाम जहानों के लिए डराने वाला हो।”
الَّذِي لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالأَرْضِ
अल्लज़ी लहु मुल्कुस्-समावाति वल्-अर्ज़
“जिसके लिए आसमानों और ज़मीन की बादशाही है,”
وَلَمْ يَتَّخِذْ وَلَداً
व लम् यत्तख़िज़ वलदा
“और उसने कोई बेटा नहीं बनाया,”
وَلَمْ يَكُنْ لَهُ شَرِيكٌ فِي الْمُلْكِ
व लम् यकुन् लहू शरीकुन फ़िल्-मुल्कि
“और उसकी बादशाही में उसका कोई शरीक नहीं,”
وَخَلَقَ كُلَّ شَيْءٍ فَقَدَّرَهُ تَقْدِيراً)
व ख़लका कुल्ल शय्’इन् फ़क़द्दरहू तक़दीरन
“और उसने हर चीज़ पैदा की, फिर उसके लिए एक अंदाज़ा/तदबीर मुक़र्रर कर दी।”
(تَبَارَكَ الَّذِي إِنْ شَاءَ جَعَلَ لَكَ خَيْراً مِنْ ذَلِكَ
तबारक अल्लज़ी इन् शा’आ जअ़ला लका ख़ैरन् मिन् ज़ालिका
“तबारक है वह (अल्लाह) जो अगर चाहे तो तुम्हारे लिए इससे बेहतर कर दे,”
جَنَّاتٍ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الأَنْهَارُ
जन्नातिन् तज्री मिन् तहतिहा अल-अनहारु
“ऐसे बाग़ात जिनके नीचे नहरें बहती हों,”
وَيَجْعَلْ لَكَ قُصُوراً)
व यज्अल लका क़ुसूरा
“और तुम्हारे लिए क़स्र/महल बना दे।”
(وَتَبَارَكَ الَّذِي لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا
व तबारक अल्लज़ी लहु मुल्कुस्-समावाति वल्-अर्ज़ व मा बैन्हुमा
“और तबारक है वह जिसके लिए आसमानों और ज़मीन की बादशाही है और जो कुछ उनके दरमियान है,”
وَعِنْدَهُ عِلْمُ السَّاعَةِ
व अ़िन्दहू इ़ल्मुस्-साअ़ति
“और उसके पास क़यामत की घड़ी का इ़ल्म है,”
وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ.)
व इ़लैहि तुरजअ़ूना
“और उसी की तरफ़ तुम लौटाए जाओगे।”
(تَبَارَكَ اسْمُ رَبِّكَ ذِي الْجَلالِ وَالإِكْرَامِ.)
तबारक इस्मु रब्बिका ज़िल्-जलालि वल्-इक्रामि
“तबारक है तुम्हारे रब का नाम, जो ज़ुल-जलाल वल-इक्राम है।”
(تَبَارَكَ الَّذِي بِيَدِهِ الْمُلْكُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
तबारक अल्लज़ी बि-यदिहिल्-मुल्कु व हुवा अ़ला कुल्लि शय्’इन् क़दीरुन
“तबारक है वह जिसके हाथ में बादशाही है, और वह हर चीज़ पर क़ादिर है,”
الَّذِي خَلَقَ الْمَوْتَ وَالْحَيَاةَ لِيَبْلُوَكُمْ أَيُّكُمْ أَحْسَنُ عَمَلاً
अल्लज़ी ख़लका अल-मौता वल-ह़याता लियब्लुवकुम अय्युकुम अह़सनु अ़मला
“जिसने मौत और ज़िंदगी पैदा की ताकि तुम्हें आज़माए कि तुममें से कौन अमल में बेहतर है,”
وَهُوَ الْعَزِيزُ الْغَفُورُ.)
व हुवा अल-अ़ज़ीज़ुल्-ग़फ़ूरु
“और वही अ़ज़ीज़ (ग़ालिब) और ग़फ़ूर (बख़्शने वाला) है।”
(تَبَارَكَ الَّذِي جَعَلَ فِي السَّمَاءِ بُرُوجاً
तबारक अल्लज़ी जअ़ला फ़िस्-समाइ बुरूजा
“तबारक है वह जिसने आसमान में बुर्ज (मन्ज़िलें/किले) बनाए,”
وَجَعَلَ فِيهَا سِرَاجاً وَقَمَراً مُنِيراً.)
व जअ़ला फ़ीहा सिराजन् व क़मरन् मुनीरा
“और उसमें एक चराग़ (सूरज) और रोशन चाँद बनाया।”
أعوذُ بِكَلِماتِ اللهِ التّامّاتِ كُلِّها الَّتي لا يُجاوِزُهُنَّ بِرٌّ وَلا فاجِرٌ،
अऊज़ु बिकलिमातिल्लाहि त्ताम्माति कुल्लिहा अल्लती ला युजाविज़ुहुन्ना बिर्रुन वला फाजिरुन،
मैं अल्लाह के तमाम मुकम्मल कलिमात की पनाह मांगता हूँ जिनसे न कोई नेक और न कोई बदकार आगे बढ़ सकता है،
مِنْ شَرِّ إبْليسَ وَجُنودِهِ،
मिन शर्रि इब्लीसा व जुनूदिही،
इब्लीस और उसके लश्करों के शर से،
وَمِنْ شَرِّ كُلِّ شَيْطانٍ وَسُلْطانٍ،
व मिन शर्रि कुल्लि शैतानिन व सुलतानिन،
और हर शैतान और हर सरकश हाकिम के शर से،
وَساحِرٍ وَكاهِنٍ،
व साहिरिन व काहिनिन،
और हर जादूगर और काहिन के शर से،
وَشَرِّ كُلِّ ذي شَرٍّ.
व शर्रि कुल्लि ज़ी शर्रिन.
और हर शर रखने वाले के शर से।
اَللّهُمَّ إنّي أسْتَوْدِعُكَ نَفْسي وَديني
अल्लाहुम्मा इन्नी अस्तौदीउका नफ़्सी व दीनि
ऐ अल्लाह! मैं अपनी जान और अपना दीन तेरे सुपुर्द करता हूँ
وَسَمْعي وَبَصَري
व सम्ई व बसरी
और अपनी समअ (सुनने की कुव्वत) और अपनी बसर (देखने की कुव्वत) भी
وَجَسَدي وَجَميعَ جَوارِحي
व जसदी जमीअ जवारिही
और अपना जिस्म और अपने तमाम आज़ा (अंग) भी
وَأهْلي وَمالي وَأولادي
व अहली व माली व औलादी
और अपने अहल-ओ-अयाल, अपना माल और अपनी औलाद भी
وَجَميعَ مَنْ يُعْنيني أمْرُهُ،
व जमीअ मन युअनीनी अमरुहु،
और हर वह शख़्स जिसके अम्र की ज़िम्मेदारी मुझ पर है،
وَخَواتيمَ عَمَلي
व ख़वातिम अअमाली
और मेरे अमाल के ख़वातिम (अंत) भी
وَسائِرَ ما مَلَّكْتَني وَخَوَّلْتَني وَرَزَقْتَني
व साईर मा मल्लक्तनी व ख़व्वल्तनी व रज़क़्तनी
और हर वह नेमत जो तूने मुझे मालिक बनाया, इख़्तियार दी और रोज़ी अता की
وَأنْعَمْتَ بِهِ عَلَيَّ
व अनअम्ता बिही अलय्या
और जिससे तूने मुझ पर इनायत की
وَجَميعَ المُؤمِنينَ وَالمُؤمِناتِ،
व जमीअ अल-मुअमिनीन वल-मुअमिनाति،
और तमाम मोमिन मर्दों और मोमिन औरतों को भी،
يا خَيْرَ مُسْتَوْدَعٍ
या ख़ैरा मुस्तौदअिन
ऐ सबसे बेहतरीन अमानत रखने वाले،
وَيا خَيْرَ حافِظٍ
व या ख़ैरा हाफ़िज़िन
और ऐ सबसे बेहतरीन हिफ़ाज़त करने वाले،
وَيا أرْحَمَ الرّاحِمينَ.
व या अरहमा र्राहिमीन.
और ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले।
اَللّهُمَّ إنّي أسْألُكَ بِاسْمِكَ:
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका बिइस्मिका:
ऐ अल्लाह! मैं तेरे नाम के वसीले से तुझसे सवाल करता हूँ:
اللهِ اللهِ اللهِ اللهِ اللهِ،
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह،
अल्लाह, अल्लाह, अल्लाह, अल्लाह, अल्लाह،
الَّذي لا إلَهَ إلاّ هُوَ رَبُّ العَرْشِ العَظيمِ،
अल्लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा रब्बुल-अर्शिल-अज़ीमि،
वह (अल्लाह) जिसके सिवा कोई मअबूद नहीं, अर्श-ए-अज़ीम का रब،
أنْ تُصَلِّيَ عَلى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अन तुसल्लिया अला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मदिन्
(मैं तुझसे चाहता हूँ) कि तू मुहम्मद और आले मुहम्मद पर दुरूद भेजे
وَأنْ تُفَرِّجَ عَنّي
व अन तुफर्रिजा अन्नी
और मेरी तकलीफ़ दूर फ़रमा،
يا رَبَّ السَّماواتِ وَالأرَضينَ وَمَنْ فيهِنَّ،
या रब्बस्समावाति वल-अरज़ीन व मन फीहिन्ना،
ऐ आसमानों और ज़मीनों का रब और जो कुछ उनमें है (सब) का परवरदिगार،
وَمُجْرِيَ البِحارِ
व मुज्रिया अल-बिहारि
ऐ दरियाओं (समुंदरों) को बहाने वाले،
وَرازِقَ مَنْ فيهِنَّ،
व राज़िक़ा मन फीहिन्ना،
और जो कुछ उनमें है उसे रिज़्क़ देने वाले،
وَفاطِرَ السَّماواتِ وَالأرَضينَ وَأطْباقِها
व फातिरस्समावाति वल-अरज़ीन व अत्बाक़िहा
ऐ आसमानों और ज़मीनों और उनकी तहों का फ़ातिर (पैदा करने वाला)،
وَمُسَخِّرَ السَّحابِ وَمُجْرِيَ الفُلْكِ.
व मुसख़्ख़िरस्सहाबि व मुज्रिया अल-फुल्कि.
और बादलों को मुसख़्ख़र करने वाले और कश्तियों को चलाने वाले،
وَجاعِلَ الشَّمْسِ ضِياءً وَالقَمَرِ نوراً،
व जा'इलश्शम्सि ज़िया'न वल-क़मरि नूरन،
और सूरज को रौशनी और चाँद को नूर बनाने वाले،
وَخالِقَ آدَمَ عَلَيْهِ السَّلامُ،
व ख़ालिक़ा आदमा अलैहिस्सलामु،
और आदम (अलैहिस्सलाम) के ख़ालिक़،
وَمُنْشِئَ الأنْبِياءِ عَلَيْهِمُ السَّلامُ مِنْ ذُرِّيَّتِهِ،
व मुन्शिअल-अम्बियाई अलैहिमुस्सलामु मिन ज़ुर्रियतिही،
और उनकी नस्ल से अम्बिया (अलैहिमुस्सलाम) को पैदा करने वाले،
وَمُعَلِّمَ إدْريسَ عَدَدَ النُّجومِ وَالحِسابَ وَالسِّنينَ وَالشُّهورَ وَأوْقاتِ الأزْمانِ،
व मुअल्लिमा इद्रीसा अ'ददा अन्नुजूमि वल-हिसाबा वस्सिनीन वश्शुहूर व अवक़ातिल-अज़मानि،
और इद्रीस को सितारों की गिनती, हिसाब, सालों और महीनों की तादाद और औक़ात सिखाने वाले،
وَمُكَلِّمَ موسى،
व मुकल्लिमा मूसा،
और मूसा से कलाम करने वाले،
وَجاعِلَ عَصاهُ ثُعْباناً،
व जा'इला असाहु सुअबानन،
और उनकी लाठी को अजदहा बनाने वाले،
وَمُنْزِلَ التَّوْراةِ في الألْواحِ عَلى موسى عَلَيْهِ السَّلامُ.
व मुन्ज़िला अत्तौराति फिल-अलवाहि अला मूसा अलैहिस्सलामु.
और मूसा (अलैहिस्सलाम) पर अलवाह (तख़्तियों) में तौरात नाज़िल करने वाले،
وَمُجْرِيَ الفُلْكِ لِنوحٍ،
व मुज्रिया अल-फुल्कि लिनूहिन،
और नूह के लिए कश्ती को चलाने वाले،
وَفادِيَ إسْماعيلَ مِنَ الذَّبْحِ،
व फादिया इस्माईला मिनज़-ज़ब्हि،
और इस्माईल को ज़ब्ह से छुड़ाने वाले،
وَالمُبْتَلِي يَعْقوبَ بِفَقْدِ يوسُفَ،
वल-मुब्तलि यअक़ूबा बिफ़क़्दि यूसुफ़ा،
और याक़ूब को यूसुफ़ की जुदाई से आज़माने वाले،
وَرادَّ يوسُفَ عَلَيْهِ بَعْدَ أنِ ابْيَضَّتْ عَيناهُ مِنَ البُكاءِ،
व राद्दा यूसुफ़ा अलैहि बअ'दा अनिब्यज़्ज़त् अइनाहु मिनल-बुका'ि،
और भारी गिर्या-ओ-ज़ारी से उनकी आँखें सफ़ेद हो जाने के बाद यूसुफ़ को उन्हें वापस लौटाने वाले،
فَتَفَرَّجَ قَلْبُهُ مِنَ الحُزْنِ وَالشَّجى،
फतफर्रजा क़ल्बुहु मिनल-हुज़्नि वश्शजा،
तो उनका दिल ग़म और रंज से हल्का हो गया،
وَرازِقَ زَكَرِيّا يَحْيى عَلى الكِبَرِ بَعْدَ الإياسِ
व राज़िक़ा ज़करिय्या याह्या अला अल-किबारि बअ'दल-इयासि
और ज़करिय्या को बढ़ती उम्र में, मायूस हो जाने के बाद, याह्या अता फ़रमाने वाले،
وَمُخْرِجَ النّاقَةِ لِصالِحٍ،
व मुख्रिजा अन्नाक़ति लिसालिहिन،
और सालेह के लिए ऊँटनी निकालने वाले،
وَمُرْسِلَ الصَّيحَةِ عَلى مُكيدي هودٍ،
व मुरसिला अस्सैहति अला मुकीदी हूदिन،
और हूद के ख़िलाफ़ मकर करने वालों पर सैहा (भयानक चीख़) भेजने वाले،
وَكاشِفَ البَلاءِ عَنْ أيّوبَ،
व काशिफ़ा अल-ब्लायिन अन अय्यूबा,
और (ऐ वह) जिसने अय्यूब को उनकी बला और मुसीबत से निजात दी,
وَمُنْجي لُوطٍ مِنَ القَوْمِ الفاحِشينَ.
व मुन्जी लूतिन मिनल-क़ौमिल-फाहिशीन.
और लूत को फाहिशी करने वाली क़ौम से नजात देने वाला,
وَواهِبَ الحِكْمَةِ لِلُقْمانَ،
व वाहिबा अल-हिक्मति लिलुक़मान,
और लुक़मान को हिकमत अता करने वाला,
وَمُلقي رُوحِ القُدُسِ بِكَلِماتِهِ عَلى مَريَمَ عَلَيْها السَّلامُ،
व मुल्क़ी रूहि अल-क़ुदुसि बिकलिमातिही अला मरयमा अलैहस्सलामु,
और जिसने रूहुल-क़ुदुस को अपने कलिमात मरयम (अलैहस्सलाम) तक पहुँचाने का हुक्म दिया,
وَخَلَقْتَ مِنْها عَبْدَكَ عيسى عَلَيْهِ السَّلامُ،
व ख़लक़्ता मिन्हा अब्दका ईसा अलैहिस्सलामु,
और उसी से अपने बन्दे ईसा (अलैहिस्सलाम) को पैदा किया,
وَالمُنْتَقِمَ مِنْ قَتَلَةِ يَحْيى بْنِ زَكَرِيّا عَلَيْهِما السَّلامُ،
वल-मुन्तक़िमा मिन क़तलति याह्या ब्नि ज़करिय्या अलैहिमस्सलामु,
और याह्या बिन ज़करिय्या (अलैहिमस्सलाम) के क़ातिलों से इंतिक़ाम लेने वाला,
وأسْألُكَ بِرَفْعِكَ عيسى إلى سَمائِكَ
व असअलुका बिरफ़्अिका ईसा इला समा'इका
और मैं तुझसे सवाल करता हूँ, ईसा को अपने आसमान की तरफ उठाने के वसीले से,
وَبِإبْقائِكَ لَهُ إلى أنْ تَنْتَقِمَ لَهُ مِنْ أعْدائِكَ.
व बिइब्क़ा'इका लहू इला अन तन्तक़िमा लहू मिन अअदा'इका.
और उसे ज़िन्दा बाक़ी रखने के वसीले से, यहाँ तक कि तू उसके लिए अपने दुश्मनों से बदला ले,
وَيا مُرْسِلَ مُحَمَّدٍ صَلّى اللهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ خاتِمِ أنْبِيائِكَ
व या मुर्सिला मुहम्मदिन सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही खातिमि अन्बिया'इका
और ऐ वह जिसने मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही) को—जो तेरे नबियों के ख़ातिम हैं—भेजा,
إلى أشَرِّ عِبادِكَ بِشَرائِعِكَ الحَسَنَةِ،
इला अशर्रि इबादिका बिशराइ'इका अल-हसनति,
तेरे बन्दों में सबसे बदतर लोगों की तरफ, तेरी हसीन शराइ'अ के साथ,
وَدينِكَ القَيِّمِ،
व दीनिका अल-क़य्यिमि,
और तेरे दीन-ए-क़य्यिम के साथ,
وَمِلَّةِ إبْراهيمَ خَليلِكَ عَلَيْهِ السَّلامُ
व मिल्लति इब्राहीम खलीलिका अलैहिस्सलामु
और इब्राहीम—जो तेरे खलील हैं—की मिल्लत (अलैहिस्सलाम) के साथ,
وَإظْهارِ دينِهِ القَيِّمِ،
व इज़हारि दीनिही अल-क़य्यिमि,
और उसके दीन-ए-क़य्यिम को ज़ाहिर व ग़ालिब करने के लिए,
وَإعلائِكَ كَلِمَتَهُ
व इअला'इका कलिमतहू
और उसकी क़लिमा को बुलन्द तर करने के वसीले से।
يا ذا الجَلالِ وَالإكرامِ،
या ज़ल-जलालि वल-इकरामि،
ऐ ज़ुल-जलाल वल-इकराम،
يا مَنْ لا تَأخُذُهُ سِنَةٌ وَلا نَوْمٌ،
या मन ला तअख़ुज़ुहू सिनतुन व ला नौमुन،
ऐ वह जिसे न ऊँघ आती है और न नींद,
يا أحَدُ يا صَمَدُ
या अहदु या समदु
ऐ अहद, ऐ समद,
يا عَزيزُ يا قادِرُ يا قاهِرُ،
या अज़ीज़ु या क़ादिरु या क़ाहिरु،
ऐ अज़ीज़, ऐ क़ादिर, ऐ क़ाहिर,
يا ذا القُوَّةِ والسُّلطانِ
या ज़ल-क़ुव्वति वस्सुल्तानि
ऐ क़ुव्वत और सुल्तान के मालिक,
وَالجَبَروتِ وَالكِبْرِياءِ.
वल-जबरूति वल-किब्रिया'इ.
और जबरूत और किब्रिया के मालिक,
يا عَلِيُّ يا قَديرُ
या अलिय्यु या क़दीरु
ऐ अली, ऐ क़दीर,
يا قَريبُ يا مُجيبُ،
या क़रीबु या मुजीबु،
ऐ क़रीब, ऐ मुजीब,
يا حَليمُ يا مُعيدُ،
या हलीमु या मुईदु،
ऐ हलीम, ऐ मुईद,
يا مُتَداني يا بَعيدُ،
या मुतदानि या बईदु،
ऐ करीब आने वाले, ऐ दूर होने वाले,
يا رَؤُوفُ يا رَحيمُ
या रऊ'फु या रहीमु
ऐ रऊफ़, ऐ रहीम,
يا كَريمُ يا غَفورُ،
या करीमु या ग़फ़ूरु،
ऐ करीम, ऐ ग़फ़ूर,
يا ذا الصَّفْحِ
या ज़स्सफ़्हि
ऐ सफ़्ह (दरगुज़र) के मालिक,
يا مُغيثُ يا مُطْعِمُ،
या मुगीथु या मुत्इमु،
ऐ फ़रियाद-रस, ऐ खिलाने वाले,
يا شافي يا كافي،
या शाफी या काफ़ी،
ऐ शाफ़ी, ऐ काफ़ी,
يا كاسي يا مُعافي،
या कासी या मुआफ़ी،
ऐ पहनाने वाले, ऐ आफ़ियत देने वाले,
يا شافي الضُّرِّ،
या शाफी अज़्ज़ुर्रि,
ऐ नुकसान और तकलीफ़ दूर करने वाले,
يا عَليمُ يا حَكيمُ يا وَدودُ.
या अलीमु या हकीमु या वदूदु.
ऐ अलीम, ऐ हकीम, ऐ वदूद,
يا غَفورُ يا رَحيمُ
या ग़फ़ूरु या रहीमु
ऐ ग़फ़ूर, ऐ रहीम,
يا رَحْمانَ الدُّنيا وَالآخِرَةِ،
या रहमानद्-दुन्या वल-आख़िरति,
ऐ दुनिया और आख़िरत के रहमान,
يا ذا الْمَعارِجِ يا ذا القُدْسِ،
या ज़ल-मआरिजि या ज़ल-क़ुद्सि,
ऐ मआरिज़ के मालिक, ऐ क़ुद्स के मालिक,
يا خالِقُ يا عَليمُ
या ख़ालिक़ु या अलीमु
ऐ ख़ालिक़, ऐ अलीम,
يا مُفَرِّجُ يا أوّابُ
या मुफर्रिजु या अव्वाबु
ऐ परेशानी दूर करने वाले, ऐ अव्वाब,
يا ذا الطَّوْلِ يا خَبيرُ،
या ज़त्तौली या ख़बीरु,
ऐ तौ्ल (इनायत) के मालिक, ऐ ख़बीर,
يا مَنْ خَلَقَ وَلَمْ يُخْلَقْ
या मन ख़लक़ा व लम युख़लक़
ऐ वह जिसने पैदा किया और खुद पैदा नहीं किया गया,
يا مَنْ لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ،
या मन लम यलिद व लम यूलद,
ऐ वह जो न किसी को जनम देता है और न वह जनम दिया गया,
يا مَنْ بانَ مِنَ الأشْياءِ
या मन बाना मिनल-अश्या'इ
ऐ वह जो तमाम चीज़ों से जुदा है,
وَبانَتِ الأشْياءُ مِنْهُ بِقَهْرِهِ لَها وَخُضوعِها لَهُ،
व बानतिल-अश्या'उ मिन्हु बिक़ह्रिही लहा व ख़ुदू'इहा लहू،
और तमाम चीज़ें उसके क़हर और उसके सामने झुक जाने की वजह से उससे जुदा हैं,
يا مَنْ خَلَقَ البِحارَ وَأجْرى الأنْهارَ
या मन ख़लक़ल-बिहारा व अज्रल-अन्हारा
ऐ वह जिसने समुंदरों को पैदा किया और दरियाओं को जारी किया,
وَأنْبَتَ الأشْجارَ وَأخْرَجَ مِنْها النّارَ،
व अन्बतल-अश्जारा व अख़रजा मिन्हन-नारा،
और दरख़्तों को उगाया और उन्हीं से आग निकाली,
وَمِنْ يابِسِ الأرَضينَ النَّباتَ وَالأعْنابَ وَسائِرَ الثِّمارِ.
व मिन याबिसिल-अरज़ीनन-नबाता वल-अअ'नाबा व साईरल-थ्थिमारि.
और सूखी ज़मीनों से नबातात, अंगूर और तमाम किस्म के फल निकाले।
يا فالِقَ البَحرِ لِعَبْدِهِ موسى عَلَيْهِ السَّلامُ وَمُكَلِّمَهُ،
या फालिक़ल-बहरी लिअब्दिही मूसा अलैहिस्सलामु व मुकल्लिमहू,
ऐ वह जिसने अपने बन्दे मूसा (अलैहिस्सलाम) के लिए समुंदर को चीर दिया, और उससे कलाम किया,
وَمُغْرِقَ فِرْعَوْنَ وَحِزْبَهُ
व मुग़रिक़ा फ़िरऔना व हिज़बहू
और फ़िरऔन और उसके गिरोह को ग़र्क़ करने वाला,
وَمُهْلِكَ نَمْرودَ وَأشْياعَهُ،
व मुह्लिका नमरूदा व अश्या'अहू,
और नमरूद और उसके साथियों को हलाक करने वाला,
وَمُلَيِّنَ الحَديدِ لِخَليفَتِهِ داوودَ عَلَيْهِ السَّلامُ،
व मुलय्यिनल-हदीदि लिख़लीफ़तिही दावूदा अलैहिस्सलामु،
और अपने ख़लीफ़ा दावूद (अलैहिस्सलाम) के लिए लोहे को नरम करने वाला,
وَمُسَخِّرَ الجِبالِ مَعَهُ يُسَبِّحْنَ بِالغُدُوِّ وَالآصالِ،
व मुसख़्ख़िरल-जिबालि मअहू युसब्बिह्न बिल्ल-ग़ुदूव्वि वल-आसालि,
और पहाड़ों को उसके साथ मुसख़्ख़र किया कि सुबह-शाम तस्बीह करें,
وَمُسَخِّرَ الطَّيْرِ وَالهَوامِّ وَالرِّياحِ وَالجِنِّ وَالإنْسِ لِعَبْدِكَ سُلَيْمانَ عَلَيْهِ السَّلامُ
व मुसख़्ख़िरत्-तैरि वल-हवाम्मि वल-र्रियाहि वल-जिन्नि वल-इन्सि लिअब्दिका सुलैमान अलैहिस्सलामु
और परिंदों, हशरात, हवाओं, जिन्न और इंसानों को तेरे बन्दे सुलैमान (अलैहिस्सलाम) के लिए मुसख़्ख़र किया,
وأسْألُكَ بِاسْمِكَ الَّذي اهْتَزَّ لَهُ عَرْشُكَ
व असअलुका बिइस्मिकल-लज़ी इह्तज़्ज़ लहू अर्शुका
और मैं तुझसे तेरे उस नाम के वसीले से सवाल करता हूँ जिसके लिए तेरा अर्श लरज़ उठा,
وَفَرِحَتْ بِهِ مَلائِكَتُكَ،
व फ़रिहत बिही मलाइकतुक,
और जिससे तेरे फरिश्ते खुश हुए,
فَلا إلَهَ إلاّ أنْتَ
फला इलाहा इल्ला अन्त
तो तेरे सिवा कोई मअबूद नहीं,
خالِقُ النَّسَمَةِ وَبارِئُ النَّوى وَفالِقُ الحَبَّةِ،
ख़ालिक़ु अन-नसमति व बारिउ अन-नवा व फालिक़ु अल-हब्बति,
रूहों का ख़ालिक़, बीजों का बारी और दाने को चीरने वाला,
وَبِاسْمِكَ العَزيزِ الجَليلِ الكَبيرِ المُتَعالِ.
व बिइस्मिक अल-अज़ीज़िल-जलिलिल-कबीरिल-मुतआली.
और तेरे नाम के वसीले से—अज़ीज़, जलील, कबीर, और बुलन्द-ओ-बाला,
وَبِاسْمِكَ الَّذي يَنْفُخُ بِهِ عَبْدُكَ وَمَلَكُكَ إسْرافيلُ عَلَيْهِ السَّلامُ في الصّورِ،
व बिइस्मिकल-लज़ी यन्फुखु बिही अब्दुका व मलुकुका इस्राफीलु अलैहिस्सलामु फिस्सूरि,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तेरा बन्दा और फरिश्ता इस्राफील (अलैहिस्सलाम) सूर में फूँकेगा,
فَيَقومُ أهْلُ القُبورِ سِراعاً إلى الْمَحْشَرِ يَنْسِلونَ،
फयक़ूमु अह्लुल-क़ुबूरि सिराअन इलल-मह्शरि यन्सिलून,
तो अहले-क़ुबूर जल्द मह्शर की तरफ दौड़ते हुए निकल आएँगे,
وَبِاسْمِكَ الَّذي رَفَعْتَ بِهِ السَّماواتِ مِنْ غَيْرِ عِمادٍ
व बिइस्मिकल-लज़ी रफ़अ'ता बिहिस्समावाति मिन ग़ैरि इमादिन
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने आसमानों को बग़ैर सुतूनों के बुलन्द किया,
وَجَعَلْتَ بِهِ لِلأرَضينَ أوتاداً،
व जअल्ता बिही लिल-अरज़ीन अवतादन,
और जिससे तूने ज़मीनों के लिए मेख़ें (औताद) बनाईं,
وَبِاسْمِكَ الَّذي سَطَحْتَ بِهِ الأرَضينَ فَوْقَ الماءِ الْمَحْبوسِ،
व बिइस्मिकल-लज़ी सतह्ता बिहिल-अरज़ीन फ़ौक़ल-माइ'ल-महबूसि,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने ज़मीन को रुके हुए पानी के ऊपर बिछाया,
وَبِاسْمِكَ الَّذي حَبَسْتَ بِهِ ذلِكَ الماءَ
व बिइस्मिकल-लज़ी हबसता बिही ज़ालिकल-मा'अ
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने उस पानी को रोके रखा,
وَبِاسْمِكَ الَّذي حَمَلْتَ بِهِ الأرَضينَ مَنِ اخْتَرْتَهُ لِحَمْلِها،
व बिइस्मिकल-लज़ी हमल्ता बिहिल-अरज़ीना मनिख़्तरतहू लिहम्लिहा,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने उस शख़्स को—जिसे तूने ज़मीन उठाने के लिए चुना—उसे उठाने पर मामूर किया,
وَجَعَلْتَ لَهُ مِنَ القُوَّةِ ما اسْتَعانَ بِهِ عَلى حَمْلِها.
व जअल्ता लहू मिनल-क़ुव्वति मा इस्तआना बिही अला हम्लिहा.
और तूने उसे इतनी क़ुव्वत अता की जिससे वह उसे उठाने में मदद ले सका,
وَبِاسْمِكَ الَّذي تَجْري بِهِ الشَّمْسُ وَالقَمَرُ،
व बिइस्मिकल-लज़ी तज्री बिहिश्शम्सु वल-क़मरु,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे सूरज और चाँद चलते हैं,
وَبِاسْمِكَ الَّذي سَلَخْتَ بِهِ النَّهارَ مِنَ اللَيْلِ،
व बिइस्मिकल-लज़ी सलख़्ता बिहिन्नहारा मिनल-लैलि,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने रात से दिन को जुदा किया,
وَبِاسْمِكَ الَّذي إذا دُعيتَ بِهِ أنْزَلْتَ أرْزاقَ العِبادِ
व बिइस्मिकल-लज़ी इज़ा दुईता बिही अन्ज़ल्ता अरज़ाक़ल-इबादि
और तेरे उस नाम के वसीले से कि जब तुझे उससे पुकारा जाए तो तू बन्दों के रिज़्क़ नाज़िल फ़रमाता है,
وَجَميعِ خَلْقِكَ
व जमीइ ख़ल्क़िका
और तेरी तमाम मख़लूक़ के,
وَأرْضِكَ وَبِحارِكَ
व अरज़िका व बिहारिका
और तेरी ज़मीनों और तेरे समुंदरों के,
وَسُكّانِ البِحارِ وَالهّوامِّ،
व सुक्कानिल-बिहारि वल-हवाम्मि,
और समुंदरों के बाशिंदों और रेंगने वाले जाँदारों के,
وَالجِنِّ وَالإنْسِ
वल-जिन्नि वल-इन्सि
और जिन्न और इंसान के,
وَكُلِّ دابَّةٍ أنْتَ آخِذٌ بِناصِيَتِها
व कुल्लि दाब्बतिन अन्त आख़िज़ुन बिनासियतिहा
और हर उस चलने-फिरने वाली मख़लूक़ के जिसे तू उसकी पेशानी से पकड़े हुए है,
إنَّكَ عَلى كُلِّ شَيْءْ قَديرٌ
इन्नका अला कुल्लि शय'इन क़दीरुन.
बेशक तू हर चीज़ पर क़ादिर है।
وَبِاسْمِكَ الَّذي جَعَلْتَ بِهِ لِجَعْفَرَ عَلَيْهِ السَّلامُ جَناحاً يَطيرُ بِهِ مَعَ الْمَلائِكَةِ،
व बिइस्मिकल-लज़ी जअल्ता बिही लिजअ'फ़रा अलैहिस्सलामु जनाहन यतीरु बिही मअल-मलाइ'कति,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने जअ'फ़र (अलैहिस्सलाम) के लिए पर (जनाह) बनाया जिससे वह फरिश्तों के साथ उड़ते हैं,
وَبِاسْمِكَ الَّذي دَعاكَ بِهِ يُونُسُ عَلَيْهِ السَّلامُ في بَطْنِ الحوتِ فَأخْرَجْتَهُ مِنْهُ،
व बिइस्मिकल-लज़ी दआका बिही यूनुसु अलैहिस्सलामु फी बत्निल-हूति फ़-अख़रज्तहू मिन्हु,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे यूनुस (अलैहिस्सलाम) ने मछली के पेट में तुझे पुकारा तो तूने उसे उससे निकाल दिया,
وَبِاسْمِكَ الَّذي أنْبَتَّ بِهِ عَلَيْهِ شَجَرَةً مِنْ يَقْطينٍ،
व बिइस्मिकल-लज़ी अन्बत्ता बिही अलैहि शजरतन मिन यक़्तीनिन,
और तेरे उस नाम के वसीले से जिससे तूने उसके ऊपर कद्दू की बेल उगा दी,
فَاسْتَجَبْتَ لَهُ وَكَشَفْتَ عَنْهُ ما كانَ فيهِ مَنْ ضيقِ بَطْنِ الحوتِ.
फस्तजब्ता लहू व कशफ़्ता अन्हु मा काना फीहि मिन ज़ीक़ि बत्निल-हूति.
तो तूने उसकी दुआ क़बूल की और मछली के पेट की तंगी की वजह से जो परेशानी थी उसे उससे दूर कर दिया।
أسْألُكَ أنْ تُصَلِّيَ عَلى مُحَمَّدٍ عَبْدِكَ وَرَسولِكَ وَعَلى آلِهِ الطَّيِّبينَ،
असअलुका अन तुसल्लिया अला मुहम्मदिन अब्दिका व रसूलिका व अला आलिहित्-तय्यिबीन,
मैं तुझसे सवाल करता हूँ कि तू मुहम्मद—तेरे बन्दे और तेरे रसूल—पर और उनकी पाक आल पर दुरूद भेज,
وَأنْ تُفَرِّجَ عَنّي وَتَكْشِفَ ضُرّي وَتَسْتَنْقِذَني مِنْ وَرطَتي،
व अन तुफर्रिजा अन्नी व तकशिफ़ा ज़ुर्री व तस्तन्क़िज़नी मिन वर्तती,
और मेरी परेशानी दूर कर, मेरी तकलीफ़ हटादे और मुझे मेरी मुसीबत से निकाल ले,
وَتُخَلِّصَني مِنْ مِحْنَتي،
व तुखल्लिसनी मिन मिह्नती,
और मुझे मेरी आज़माइश से निजात दे,
وَتَقْضِيَ عَنّي دُيوني،
व तक़ज़िया अन्नी दुयूनी,
और मेरे क़र्ज़ अदा करा दे,
وَتُؤَدِّيَ عَنّي أمانَتي،
व तुअद्दिया अन्नी अमानती,
और मेरी अमानत अदा करने में मेरी मदद कर,
وَتَكْبُتَ أعْدائي،
व तक्बुता अअदाई,
और मेरे दुश्मनों को मग़लूब कर दे,
وَلا تُشْمِتَ بي حُسّادي،
व ला तुश्मिता बी हुस्सादी,
और मेरे हसद करने वालों को मेरे हाल पर खुश न कर,
وَلا تَبْتَلِيَني بِما لا طاقَةَ لي بِهِ،
व ला तब्तलियनी बिमा ला त़ाक़ता ली बिही,
और मुझे ऐसी आज़माइश में न डाल जिसकी मुझे ताक़त न हो,
وَأنْ تُبَلِّغَني أُمْنِيَّتي،
व अन तुबल्लिग़नी उम्नियती,
और मुझे मेरी आरज़ू तक पहुँचा दे,
وَتُسَهِّلَ لي مِحْنَتي،
व तुसह्हिला ली मिह्नती,
और मेरी आज़माइश को मेरे लिए आसान फ़रमा दे,
وَتُيَسِّرَ لي أرادَتي،
व तुयस्सिरा ली इरादती,
और मेरे इरादे को मेरे लिए आसान कर दे,
وَتُوصِلَني إلى بُغْيَتي،
व तूसिलनी इला बुग़्यती,
और मुझे मेरी मुराद तक पहुँचा दे,
وَتَجْمَعَ لي خَيْرَ الدّارَيْنِ،
व तज्मअ'अ ली ख़ैरा अद्दारैन,
और मेरे लिए दोनों जहानों की भलाई जमा कर दे,
وَتَحْرُسَني وَكُلَّ مَنْ يُعنيني أمْرُهُ،
व तहरुसनी व कुल्ला मन युअनीनी अम्रुहु,
और मेरी और हर उस शख़्स की हिफ़ाज़त फ़रमा जिसका अम्र मुझे अज़ीज़ है,
بِعَينِكَ الّتي لا تَنامُ في اللَيْلِ وَالنَّهارِ،
बिअइनिकल-लती ला तनामु फिल-लैलि वन्नहारि,
अपनी उस निगाह से जो रात और दिन कभी नहीं सोती,
يا ذا الجَلالِ والإكْرامِ وَالأسْماءِ العِظامِ.
या ज़ल-जलालि वल-इकरामि वल-अस्मा'इल-अ'इज़ामि.
ऐ ज़ुल-जलाल वल-इकराम और अज़ीम नामों वाले।
اَللّهُمَّ يا رَبُّ أنا عَبْدُكَ وَابْنُ عَبْدِكَ وَابْنُ أمَتِكَ
अल्लाहुम्मा या रब्बु अना अब्दुका वब्नु अब्दिका वब्नु अमतिका
ऐ अल्लाह! ऐ मेरे रब! बेशक मैं तेरा बन्दा हूँ, तेरे बन्दे का बेटा और तेरी बन्दी का बेटा,
وَمِنْ أوْلِياءِ أهْلِ بَيْتِ نَبِيِّكَ صَلّى اللهُ عَلَيْهِ وَعَلَيْهِمْ،
व मिन अवलिया'इ अह्लि बैति नबिय्यिका सल्लल्लाहु अलैहि व अलैहिम,
और मैं तेरे नबी के अहले-बैत के औलिया में से हूँ—जिन पर अल्लाह की सलामतियाँ हों,
الَّذينَ بارَكْتَ عَلَيْهِمْ
अल्लज़ीना बारक्ता अलैहिम
जिन पर तूने बरकत नाज़िल की,
وَرَحِمْتَهُمْ وَصَلَّيْتَ عَلَيْهِمْ
व रहिम्तहुम व सल्लय्ता अलैहिम
और जिन पर तूने रहमत की और दुरूद भेजा,
كَما صَلَّيْتَ وَبارَكْتَ عَلى إبْراهيمَ وَآلِ إبراهيمِ
कमा सल्लय्ता व बारक्ता अला इब्राहीमा व आलि इब्राहीमि
जैसे तूने इब्राहीम और आले इब्राहीम पर दुरूद और बरकत नाज़िल की,
إنَّكَ حَميدٌ مَجيدٌ،
इन्नका हमीदुन मजीदुन,
बेशक तू हमीद है, मजीद है,
وَلِمَجْدِكَ وَطَوْلِكَ،
व लिमज्दिका व तौलिका,
और तेरे मज्द और तेरी इनायत के वसीले से,
أسْألُكَ يا رَبّاهُ يا رَبّاهُ
असअलुका या रब्बाहु या रब्बाहु
मैं तुझसे सवाल करता हूँ, ऐ मेरे रब, ऐ मेरे रब,
يا رَبّاهُ يا رَبّاهُ
या रब्बाहु या रब्बाहु
ऐ मेरे रब, ऐ मेरे रब,
يا رَبّاهُ يا رَبّاهُ
या रब्बाहु या रब्बाहु
ऐ मेरे रब, ऐ मेरे रब,
يا رَبّاهُ يا رَبّاهُ
या रब्बाहु या रब्बाहु
ऐ मेरे रब, ऐ मेरे रब,
يا رَبّاهُ يا رَبّاهُ
या रब्बाहु या रब्बाहु
ऐ मेरे रब, ऐ मेरे रब,
بِحَقِّ مُحَمَّدٍ عَبْدِكَ وَرَسولِكَ
बिहक़्क़ि मुहम्मदिन अब्दिका व रसूलिका
मुहम्मद—तेरे बन्दे और तेरे रसूल—के हक़ के वसीले से,
صَلّى اللهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ،
सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही،
अल्लाह की सलावात हों उन पर और उनकी आल पर,
وَبِحَقِّكَ عَلى نَفْسِكَ
व बिहक़्क़िका अला नफ़्सिका
और तेरे उस हक़ के वसीले से जो तूने अपने ऊपर वाजिब किया,
إلاّ خَصَمْتَ أعْدائي وَحُسّادي
इल्ला ख़सम्ता अअदाई व हुस्सादी
कि तू मेरे दुश्मनों और मेरे हसद करने वालों को मग़लूब कर दे,
وَخَذَلْتَهُمْ وَانْتَقَمْتَ لي مِنْهُمْ،
व ख़ज़ल्तहुम वनतक़म्ता ली मिन्हुम،
और उन्हें रुस्वा व नाकाम कर दे, और मेरे लिए उनसे इंतिक़ाम ले,
وَأظْهَرْتَني عَلَيْهِمْ وَكَفَيْتَني أمْرَهُمْ،
व अज़हरतनी अलैहिम व कफ़ैतनी अम्रहुम،
और मुझे उन पर ग़ालिब कर दे, और उनके मामले में मुझे किफ़ायत फ़रमा,
وَنَصَرْتَني عَلَيْهِمْ وَحَرَسْتَني مِنْهُمْ،
व नसर्तनी अलैहिम व हरस्तनी मिन्हुम،
और मुझे उन पर मदद अता फ़रमा, और उनकी तरफ से मेरी हिफ़ाज़त फ़रमा,
وَوَسَّعْتَ عَلَيَّ في رِزْقي
व वस्सअ्ता अलय्या फी रिज़्क़ी
और मेरे रिज़्क़ में वुसअत अता फ़रमा,
وَبَلَّغْتَني غايَةَ أمَلي
व बल्लग़्तनी ग़ायत अमली
और मुझे मेरी उम्मीद की इंतिहा तक पहुँचा दे,
إنَّكَ سَميعٌ مُجيبٌ
इन्नका समीअुन मुजीबुन.
बेशक तू सुनने वाला है, दुआ क़बूल करने वाला है।

